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#शायरी #कविता #लेखक #लेखन #flowers  White लेेखन सौन्दर्य 
जब भी लिखी दास्तान दिल की 
कलम ने मेरा बखूबी साथ निभाया
किसी ने कहा' वाह क्या बात है! '
किसी को मेरा नज़रिया न भाया 

हैं दिल की बातें भी अजीब
इस दरिया में बस कुछ ही हैं नहाते
हर एक को दृश्य सुन्दर हैं भाते
बिरला ही कोई मनमोहक दिल हैं पाते 

स्वांग न रचना न बातें बनाना 
सीधी सी बात है दिल से दिल है मिलाना
न अपना चातुर्य किसी को बार- बार दिखाना
निर्मल हृदय पूर्ण सामने वाले की बात है
 समझना
तुम कलिमल रहित मुझे अपनाना
न मैं तुम्हे परखकर दोस्ती निभाऊँ 
मेरा तो बस काम ही है लिखना
पाठक व दोस्त के घायल मन को सहलाना।।
सीता प्रसाद

©Sita Prasad

शीर्षक- और तो क्या ? --------------------------------------------------------- खास तुम भी होते साथ में, या फिर मैं होता तुम्हारे साथ में, और तो क्या ? यह खुशी दुगनी नहीं होती। ये दिन सुकून से गुजर जाते, मगर इस शक की दीवार को तो, तोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी, और अपने अहम को भी, छोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी। और तो क्या ? लोगों नहीं मिल जाता अवसर, कहानियां नई गढ़ने का, वहम को और बढ़ाने को, लेकिन इसमें हार तो, हम दोनों की ही होती, लेकिन मुझको बिल्कुल भी नहीं है, मेरे हारने का कोई गम। मुझको रहती है हमेशा यही चिन्ता, मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूँ , भगवान को तो मैं मानता नहीं हूँ , फिर भी मिल जाये कुछ खुशी, आत्मा को निश्चिंत रखने के लिए, जला रहा हूँ मैं अकेले ही दीपक, और मना रहा हूँ मैं अकेले ही दीपावली, और तो क्या ? हंस लेता मैं भी--------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#कविता #लेखक  शीर्षक- और तो क्या ?
---------------------------------------------------------
खास तुम भी होते साथ में,
या फिर मैं होता तुम्हारे साथ में,
और तो क्या ?
 यह खुशी दुगनी नहीं होती।

ये दिन सुकून से गुजर जाते,
मगर इस शक की दीवार को तो, 
तोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी,
और अपने अहम को भी,
छोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी।
और तो क्या ?

लोगों नहीं मिल जाता अवसर,
कहानियां नई गढ़ने का,
वहम को और बढ़ाने को,
लेकिन इसमें हार तो,
हम दोनों की ही होती,
लेकिन मुझको बिल्कुल भी नहीं है,
मेरे हारने का कोई गम।

मुझको रहती है हमेशा यही चिन्ता,
मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूँ ,
भगवान को तो मैं मानता नहीं हूँ ,
फिर भी मिल जाये कुछ खुशी,
आत्मा को निश्चिंत रखने के लिए,
जला रहा हूँ मैं अकेले ही दीपक,
और मना रहा हूँ मैं अकेले ही दीपावली,
और तो क्या ?
हंस लेता मैं भी--------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

#लेखक

10 Love

#MereKhayal #CTET

#CTET प्रमुख पुस्तक और उनके लेखक #MereKhayal

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अपनी लेखनी अपनी वार्ता लेखक भगत सतीश कुमार घोडेला

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अपनी लेखनी अपनी वार्ता लेखक भगत सतीश कुमार घोडेला

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#शायरी #कविता #लेखक #लेखन #flowers  White लेेखन सौन्दर्य 
जब भी लिखी दास्तान दिल की 
कलम ने मेरा बखूबी साथ निभाया
किसी ने कहा' वाह क्या बात है! '
किसी को मेरा नज़रिया न भाया 

हैं दिल की बातें भी अजीब
इस दरिया में बस कुछ ही हैं नहाते
हर एक को दृश्य सुन्दर हैं भाते
बिरला ही कोई मनमोहक दिल हैं पाते 

स्वांग न रचना न बातें बनाना 
सीधी सी बात है दिल से दिल है मिलाना
न अपना चातुर्य किसी को बार- बार दिखाना
निर्मल हृदय पूर्ण सामने वाले की बात है
 समझना
तुम कलिमल रहित मुझे अपनाना
न मैं तुम्हे परखकर दोस्ती निभाऊँ 
मेरा तो बस काम ही है लिखना
पाठक व दोस्त के घायल मन को सहलाना।।
सीता प्रसाद

©Sita Prasad

शीर्षक- और तो क्या ? --------------------------------------------------------- खास तुम भी होते साथ में, या फिर मैं होता तुम्हारे साथ में, और तो क्या ? यह खुशी दुगनी नहीं होती। ये दिन सुकून से गुजर जाते, मगर इस शक की दीवार को तो, तोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी, और अपने अहम को भी, छोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी। और तो क्या ? लोगों नहीं मिल जाता अवसर, कहानियां नई गढ़ने का, वहम को और बढ़ाने को, लेकिन इसमें हार तो, हम दोनों की ही होती, लेकिन मुझको बिल्कुल भी नहीं है, मेरे हारने का कोई गम। मुझको रहती है हमेशा यही चिन्ता, मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूँ , भगवान को तो मैं मानता नहीं हूँ , फिर भी मिल जाये कुछ खुशी, आत्मा को निश्चिंत रखने के लिए, जला रहा हूँ मैं अकेले ही दीपक, और मना रहा हूँ मैं अकेले ही दीपावली, और तो क्या ? हंस लेता मैं भी--------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#कविता #लेखक  शीर्षक- और तो क्या ?
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खास तुम भी होते साथ में,
या फिर मैं होता तुम्हारे साथ में,
और तो क्या ?
 यह खुशी दुगनी नहीं होती।

ये दिन सुकून से गुजर जाते,
मगर इस शक की दीवार को तो, 
तोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी,
और अपने अहम को भी,
छोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी।
और तो क्या ?

लोगों नहीं मिल जाता अवसर,
कहानियां नई गढ़ने का,
वहम को और बढ़ाने को,
लेकिन इसमें हार तो,
हम दोनों की ही होती,
लेकिन मुझको बिल्कुल भी नहीं है,
मेरे हारने का कोई गम।

मुझको रहती है हमेशा यही चिन्ता,
मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूँ ,
भगवान को तो मैं मानता नहीं हूँ ,
फिर भी मिल जाये कुछ खुशी,
आत्मा को निश्चिंत रखने के लिए,
जला रहा हूँ मैं अकेले ही दीपक,
और मना रहा हूँ मैं अकेले ही दीपावली,
और तो क्या ?
हंस लेता मैं भी--------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

#लेखक

10 Love

#MereKhayal #CTET

#CTET प्रमुख पुस्तक और उनके लेखक #MereKhayal

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अपनी लेखनी अपनी वार्ता लेखक भगत सतीश कुमार घोडेला

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