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New 'नज्म शायरी' Status, Photo, Video

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 White ज़ोफ़ से आँखों के नीचे तितलियाँ फिरती हुई
औज-ए-ख़ुद्दारी से दिल पर बिजलियाँ गिरती हुई

लाश काँधे पर ख़ुद अपने जज़्बा-ए-तकरीम की
मुल्तजी चेहरे पे लहरें सी उम्मीद-ओ-बीम की

इज़्ज़त-ए-अज्दाद के सर पर दमा-दम ठोकरें
रिश्ता-ए-आवाज़ पर लफ़्ज़ों की पैहम ठोकरें

चहरा-ए-अफ़्सुर्दा पर ठंडा पसीना शर्म का
सुस्त नब्ज़ें भीक का लहजे के अंदर ठीकरा

क़र्ज़ की दरख़्वास्त की उलझी हुई तक़रीर में
कपकपी आसाब की बेचैन दिल की लरज़िशें

इक तरफ़ हाजत की शिद्दत इक तरफ़ ग़ैरत का जोश
नुत्क़ पर हर्फ़-ए-तमन्ना दिल में ग़ुस्से का ख़रोश

जुम्बिश-ए-मिज़्गाँ के ज़ेर-ए-साया नादारी की रात
जौहर-ए-इंसानियत जोड़े हुए आँखों में हात

साँस दहशत से ज़मीं की आसमाँ रोके हुए
मुफ़लिसी मर्दाना लहजे की इनाँ रोके हुए

लब पे ख़ुश्की रुख़ पे ज़र्दी आँख शर्माई हुई
चश्म ओ अबरू में ख़ुदी की आग कजलाई हुई

नफ़स में शेराना तेवर आरज़ू रूबा-मिज़ाज
एहतियाज ओ एहतियाज ओ एहतियाज ओ एहतियाज!

©Jashvant

मुफ़लिस एक 'नज्म' Geet Sangeet @Rajdeep Anupma Aggarwal @Neema @Ek Alfaaz Shayri

153 View

 White लरज़ने वाले लरज़ रहे हैं
लरज़ते झोंके
गुज़रते बल खाते रेंगते सरसराते झोंके
निसाई मल्बूस की तरह सरसराने वाले
कड़कने वाली की चाबुकों से
अगरचे दौर-ए-रवाँ के आँसू टपक रहे हैं
मगर नज़र जिस तरफ़ भी उठती है देखती है
गुज़र रहे हैं गुज़रने वाले
ये कौन दुबका हुआ इस आवारा रास्ते में खड़ा हुआ है
कि जैसे साबुन का कोई रंगीन बुलबुला हो
ज़मीं के बचपन में जो भी शय थी वो ना-शनासा-ए-आरज़ू थी
शबाब आया तो रेंगने वाली रेंग उठी
और आज ये हाल है कि हर शय ये चाहती है
कि एक तूफ़ान बन के गिराए रास्तों में
ये कौन दुबका हुआ उस आवारा रास्ते में खड़ा हुआ है
कि जिस तरह बहते बहते आवाज़ रुक के ये सोचने लगी हो
कि जू-ए-सहरा बहेगी कब तक
ये ज़िंदगी एक जू-ए-सहरा है बह रही है
लरज़ने वाले लरज़ रहे हैं
मगर नज़र जिस तरफ़ भी उठती है देखती है
गुज़र रहे हैं गुज़रने वाले

©Jashvant

एक नज्म Geet Sangeet ADV.काव्या मझधार @Andy Mann @Ek Alfaaz Shayri @Lalit Saxena

297 View

#नज्म #यार

#यार जुलाहे #नज्म

126 View

#हमदोनो #नज्म
#relaxation  कई बरस बाद अचानक एक मुलाक़ात
और दोनों की हस्ती इक नज़्म की तरह काँपी
सामने पूरी रात थी
मगर आधी नज़्म एक गोशे में आवेज़ाँ रही
सुब्ह हुई तो हम फटे हुए काग़ज़ के टुकड़ों की तरह मिले
मैं ने अपने हाथ में उस का हाथ थामा
उस ने अपनी बाँह में मेरी बाँह डाली
फिर हम दोनों सेंसर की तरह हँसे
और काग़ज़ को ठंडी मेज़ पर रख कर
सारी नज़्म पर एक लकीर फेर दी

©Jashvant

#relaxation with नज्म Dr.Mahira khan Geet Sangeet @Lalit Saxena @Ek Alfaaz Shayri @vineetapanchal

234 View

 रोज़-ए-अज़ल से एक तमाशे में गुम थे हम
नाराज़ हो गए हैं अब इक दूसरे से हम

बे-नाम ख़्वाहिशों की रियाज़त से थक गए
हम लोग तेरी वक़्ती मोहब्बत से थक गए
जो तुझ को जीना चाहते थे जल्दी मर गए
जो बच गए वो तेरी मसाफ़त से थक गए

अब तेरी सम्त मैं कभी पलटूँगा ही नहीं
गर तू बुलाए भी तो मैं लौटूँगा ही नहीं

हुज्जत तमाम हो गई और आ गई है शाम
ऐ ज़िंदगी जवाँ का तुझे आख़िरी सलाम

©Jashvant

नज्म @Andy Mann @narendra bhakuni Geet Sangeet @Raj Guru Dr.Mahira khan

135 View

 White ज़ोफ़ से आँखों के नीचे तितलियाँ फिरती हुई
औज-ए-ख़ुद्दारी से दिल पर बिजलियाँ गिरती हुई

लाश काँधे पर ख़ुद अपने जज़्बा-ए-तकरीम की
मुल्तजी चेहरे पे लहरें सी उम्मीद-ओ-बीम की

इज़्ज़त-ए-अज्दाद के सर पर दमा-दम ठोकरें
रिश्ता-ए-आवाज़ पर लफ़्ज़ों की पैहम ठोकरें

चहरा-ए-अफ़्सुर्दा पर ठंडा पसीना शर्म का
सुस्त नब्ज़ें भीक का लहजे के अंदर ठीकरा

क़र्ज़ की दरख़्वास्त की उलझी हुई तक़रीर में
कपकपी आसाब की बेचैन दिल की लरज़िशें

इक तरफ़ हाजत की शिद्दत इक तरफ़ ग़ैरत का जोश
नुत्क़ पर हर्फ़-ए-तमन्ना दिल में ग़ुस्से का ख़रोश

जुम्बिश-ए-मिज़्गाँ के ज़ेर-ए-साया नादारी की रात
जौहर-ए-इंसानियत जोड़े हुए आँखों में हात

साँस दहशत से ज़मीं की आसमाँ रोके हुए
मुफ़लिसी मर्दाना लहजे की इनाँ रोके हुए

लब पे ख़ुश्की रुख़ पे ज़र्दी आँख शर्माई हुई
चश्म ओ अबरू में ख़ुदी की आग कजलाई हुई

नफ़स में शेराना तेवर आरज़ू रूबा-मिज़ाज
एहतियाज ओ एहतियाज ओ एहतियाज ओ एहतियाज!

©Jashvant

मुफ़लिस एक 'नज्म' Geet Sangeet @Rajdeep Anupma Aggarwal @Neema @Ek Alfaaz Shayri

153 View

 White लरज़ने वाले लरज़ रहे हैं
लरज़ते झोंके
गुज़रते बल खाते रेंगते सरसराते झोंके
निसाई मल्बूस की तरह सरसराने वाले
कड़कने वाली की चाबुकों से
अगरचे दौर-ए-रवाँ के आँसू टपक रहे हैं
मगर नज़र जिस तरफ़ भी उठती है देखती है
गुज़र रहे हैं गुज़रने वाले
ये कौन दुबका हुआ इस आवारा रास्ते में खड़ा हुआ है
कि जैसे साबुन का कोई रंगीन बुलबुला हो
ज़मीं के बचपन में जो भी शय थी वो ना-शनासा-ए-आरज़ू थी
शबाब आया तो रेंगने वाली रेंग उठी
और आज ये हाल है कि हर शय ये चाहती है
कि एक तूफ़ान बन के गिराए रास्तों में
ये कौन दुबका हुआ उस आवारा रास्ते में खड़ा हुआ है
कि जिस तरह बहते बहते आवाज़ रुक के ये सोचने लगी हो
कि जू-ए-सहरा बहेगी कब तक
ये ज़िंदगी एक जू-ए-सहरा है बह रही है
लरज़ने वाले लरज़ रहे हैं
मगर नज़र जिस तरफ़ भी उठती है देखती है
गुज़र रहे हैं गुज़रने वाले

©Jashvant

एक नज्म Geet Sangeet ADV.काव्या मझधार @Andy Mann @Ek Alfaaz Shayri @Lalit Saxena

297 View

#नज्म #यार

#यार जुलाहे #नज्म

126 View

#हमदोनो #नज्म
#relaxation  कई बरस बाद अचानक एक मुलाक़ात
और दोनों की हस्ती इक नज़्म की तरह काँपी
सामने पूरी रात थी
मगर आधी नज़्म एक गोशे में आवेज़ाँ रही
सुब्ह हुई तो हम फटे हुए काग़ज़ के टुकड़ों की तरह मिले
मैं ने अपने हाथ में उस का हाथ थामा
उस ने अपनी बाँह में मेरी बाँह डाली
फिर हम दोनों सेंसर की तरह हँसे
और काग़ज़ को ठंडी मेज़ पर रख कर
सारी नज़्म पर एक लकीर फेर दी

©Jashvant

#relaxation with नज्म Dr.Mahira khan Geet Sangeet @Lalit Saxena @Ek Alfaaz Shayri @vineetapanchal

234 View

 रोज़-ए-अज़ल से एक तमाशे में गुम थे हम
नाराज़ हो गए हैं अब इक दूसरे से हम

बे-नाम ख़्वाहिशों की रियाज़त से थक गए
हम लोग तेरी वक़्ती मोहब्बत से थक गए
जो तुझ को जीना चाहते थे जल्दी मर गए
जो बच गए वो तेरी मसाफ़त से थक गए

अब तेरी सम्त मैं कभी पलटूँगा ही नहीं
गर तू बुलाए भी तो मैं लौटूँगा ही नहीं

हुज्जत तमाम हो गई और आ गई है शाम
ऐ ज़िंदगी जवाँ का तुझे आख़िरी सलाम

©Jashvant

नज्म @Andy Mann @narendra bhakuni Geet Sangeet @Raj Guru Dr.Mahira khan

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