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New government diary 7th pay commission Status, Photo, Video

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आज सुबह हमने जब अखबार उठाया चारो तरफ देश को आजाद पाया  एक तरफ आजादी का जश्न,दूसरी और रोना सुनाया  सुन कर कान को हमने अधीर पाया हुआ क्षण गंभीर और मन घबराया आज फिर नारी को हमने अबला बनाया हटा ना तिमिर ना बदली काया  उजाला देने वाले को भी आज हमने अंधकार में पाया  शक्ति कह कर जिसे पूजते हम उसे निःशक्त का आज फिर शिकार पाया  माँ से जीवन,बहन की रक्षा का था प्रण खाया पुत्र की जननी को भी अपने दूध पर लज्जित पाया जो रखती बेटों, पतियों के लिए निर्जला व्रत आज उसी की जिंदगी को तार-तार पाया I बोल रहे थे मर्द जिसे,उसने जानवरों सा नोच खाया  इज़्ज़त कहते है जिसे आज हमने उसे सरे आम बनाया  जिसे कहते दुर्गा काली,रक्षा करती खप्पर वाली  आज उसे ही हमने अपना हथियार बनाया I कैसा हो गया खून हमारा, कैसा हमने संस्कार पाया  पत्थरों में दर्द आया झंझा मे आज झंकार पाया  देख रहा था चक्र वाला भी आज त्रिलोक से,  नीचे वाले भगवान को न वो बचा पाया  इंसान की खाल में हमने भेड़िया पाया रक्षक को ही भक्षक बनाया  बेटी को क्या बचाया और क्यों उसे पढ़ाया  तलवारों की जगह रणचंडी को मोमबत्ती जलाना सिखाया                   ✒️ ✒️नीलेश सिंह पटना विश्वविद्यालय ©Nilesh

#government #stop_rape #Stop #girl #SAD  आज सुबह हमने जब अखबार उठाया
चारो तरफ देश को आजाद पाया 
एक तरफ आजादी का जश्न,दूसरी और रोना सुनाया 
सुन कर कान को हमने अधीर पाया
हुआ क्षण गंभीर और मन घबराया
आज फिर नारी को हमने अबला बनाया

हटा ना तिमिर ना बदली काया 
उजाला देने वाले को भी आज हमने अंधकार में पाया 
शक्ति कह कर जिसे पूजते हम
उसे निःशक्त का आज फिर शिकार पाया 

माँ से जीवन,बहन की रक्षा का था प्रण खाया
पुत्र की जननी को भी अपने दूध पर लज्जित पाया
जो रखती बेटों, पतियों के लिए निर्जला व्रत
आज उसी की जिंदगी को तार-तार पाया I

बोल रहे थे मर्द जिसे,उसने जानवरों सा नोच खाया 
इज़्ज़त कहते है जिसे आज हमने उसे सरे आम बनाया 
जिसे कहते दुर्गा काली,रक्षा करती खप्पर वाली 
आज उसे ही हमने अपना हथियार बनाया I

कैसा हो गया खून हमारा, कैसा हमने संस्कार पाया 
पत्थरों में दर्द आया झंझा मे आज झंकार पाया 
देख रहा था चक्र वाला भी आज त्रिलोक से, 
नीचे वाले भगवान को न वो बचा पाया 

इंसान की खाल में हमने भेड़िया पाया
रक्षक को ही भक्षक बनाया 
बेटी को क्या बचाया और क्यों उसे पढ़ाया 
तलवारों की जगह रणचंडी को मोमबत्ती जलाना सिखाया 



                 ✒️ ✒️नीलेश सिंह
                                पटना विश्वविद्यालय

©Nilesh
#Videos

hi mobile recharge app Commission

126 View

#मोटिवेशनल

Google pay Phone pay हमारा धंधा चौपट कर दिया

171 View

#Quotes

7th

117 View

#Motivational #diary  स्पष्टवादी लेखनशैली से हो 
या भाषाशैली से।
तोड़ने वाले "कथन" और "वाच्य" को 
किस तरह बयां करते हैं।
और समझाने वाले भावार्थ को 
समझाने में असमंजस में पड़ाते हैं।
अद्वितीय दिमाग़ का प्रारम्भ या जन्म 
इसी अवस्था से होता है।
जहां इंसान आंख और कान 
के आधार पर ना कोई निर्णय 
ना कोई फ़ैसला सुनाता है।

©#suman singh rajpoot

#diary

108 View

#diary  Mar gye hai khaab 
aakhion ke ! 
Har taraf gila hai 
hakikat ka !!

©Adhura Shayar

#diary

90 View

आज सुबह हमने जब अखबार उठाया चारो तरफ देश को आजाद पाया  एक तरफ आजादी का जश्न,दूसरी और रोना सुनाया  सुन कर कान को हमने अधीर पाया हुआ क्षण गंभीर और मन घबराया आज फिर नारी को हमने अबला बनाया हटा ना तिमिर ना बदली काया  उजाला देने वाले को भी आज हमने अंधकार में पाया  शक्ति कह कर जिसे पूजते हम उसे निःशक्त का आज फिर शिकार पाया  माँ से जीवन,बहन की रक्षा का था प्रण खाया पुत्र की जननी को भी अपने दूध पर लज्जित पाया जो रखती बेटों, पतियों के लिए निर्जला व्रत आज उसी की जिंदगी को तार-तार पाया I बोल रहे थे मर्द जिसे,उसने जानवरों सा नोच खाया  इज़्ज़त कहते है जिसे आज हमने उसे सरे आम बनाया  जिसे कहते दुर्गा काली,रक्षा करती खप्पर वाली  आज उसे ही हमने अपना हथियार बनाया I कैसा हो गया खून हमारा, कैसा हमने संस्कार पाया  पत्थरों में दर्द आया झंझा मे आज झंकार पाया  देख रहा था चक्र वाला भी आज त्रिलोक से,  नीचे वाले भगवान को न वो बचा पाया  इंसान की खाल में हमने भेड़िया पाया रक्षक को ही भक्षक बनाया  बेटी को क्या बचाया और क्यों उसे पढ़ाया  तलवारों की जगह रणचंडी को मोमबत्ती जलाना सिखाया                   ✒️ ✒️नीलेश सिंह पटना विश्वविद्यालय ©Nilesh

#government #stop_rape #Stop #girl #SAD  आज सुबह हमने जब अखबार उठाया
चारो तरफ देश को आजाद पाया 
एक तरफ आजादी का जश्न,दूसरी और रोना सुनाया 
सुन कर कान को हमने अधीर पाया
हुआ क्षण गंभीर और मन घबराया
आज फिर नारी को हमने अबला बनाया

हटा ना तिमिर ना बदली काया 
उजाला देने वाले को भी आज हमने अंधकार में पाया 
शक्ति कह कर जिसे पूजते हम
उसे निःशक्त का आज फिर शिकार पाया 

माँ से जीवन,बहन की रक्षा का था प्रण खाया
पुत्र की जननी को भी अपने दूध पर लज्जित पाया
जो रखती बेटों, पतियों के लिए निर्जला व्रत
आज उसी की जिंदगी को तार-तार पाया I

बोल रहे थे मर्द जिसे,उसने जानवरों सा नोच खाया 
इज़्ज़त कहते है जिसे आज हमने उसे सरे आम बनाया 
जिसे कहते दुर्गा काली,रक्षा करती खप्पर वाली 
आज उसे ही हमने अपना हथियार बनाया I

कैसा हो गया खून हमारा, कैसा हमने संस्कार पाया 
पत्थरों में दर्द आया झंझा मे आज झंकार पाया 
देख रहा था चक्र वाला भी आज त्रिलोक से, 
नीचे वाले भगवान को न वो बचा पाया 

इंसान की खाल में हमने भेड़िया पाया
रक्षक को ही भक्षक बनाया 
बेटी को क्या बचाया और क्यों उसे पढ़ाया 
तलवारों की जगह रणचंडी को मोमबत्ती जलाना सिखाया 



                 ✒️ ✒️नीलेश सिंह
                                पटना विश्वविद्यालय

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Google pay Phone pay हमारा धंधा चौपट कर दिया

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#Quotes

7th

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#Motivational #diary  स्पष्टवादी लेखनशैली से हो 
या भाषाशैली से।
तोड़ने वाले "कथन" और "वाच्य" को 
किस तरह बयां करते हैं।
और समझाने वाले भावार्थ को 
समझाने में असमंजस में पड़ाते हैं।
अद्वितीय दिमाग़ का प्रारम्भ या जन्म 
इसी अवस्था से होता है।
जहां इंसान आंख और कान 
के आधार पर ना कोई निर्णय 
ना कोई फ़ैसला सुनाता है।

©#suman singh rajpoot

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#diary  Mar gye hai khaab 
aakhion ke ! 
Har taraf gila hai 
hakikat ka !!

©Adhura Shayar

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