tags

New आत्म परिचय लेखन Status, Photo, Video

Find the latest Status about आत्म परिचय लेखन from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about आत्म परिचय लेखन.

  • Latest
  • Popular
  • Video
#शायरी  White तूफानों के आवेग को कोई भला मोड़ेगा कैसे
टूट जाये शीशा अगर कोई उसे जोड़ेगा कैसे।
खुद से ज्यादा ऐतबार गैरों से करके पछताते हैं
खुद पर अगर भरोसा हो कोई दिल तोड़ेगा कैसे।।

©अमित कुमार

आत्म विश्वास

135 View

#शायरी #कविता #लेखक #लेखन #flowers  White लेेखन सौन्दर्य 
जब भी लिखी दास्तान दिल की 
कलम ने मेरा बखूबी साथ निभाया
किसी ने कहा' वाह क्या बात है! '
किसी को मेरा नज़रिया न भाया 

हैं दिल की बातें भी अजीब
इस दरिया में बस कुछ ही हैं नहाते
हर एक को दृश्य सुन्दर हैं भाते
बिरला ही कोई मनमोहक दिल हैं पाते 

स्वांग न रचना न बातें बनाना 
सीधी सी बात है दिल से दिल है मिलाना
न अपना चातुर्य किसी को बार- बार दिखाना
निर्मल हृदय पूर्ण सामने वाले की बात है
 समझना
तुम कलिमल रहित मुझे अपनाना
न मैं तुम्हे परखकर दोस्ती निभाऊँ 
मेरा तो बस काम ही है लिखना
पाठक व दोस्त के घायल मन को सहलाना।।
सीता प्रसाद

©Sita Prasad
#कविता  White अब मैंने 
आत्म निर्भर 
होकर जीने  की 
काबलियत 
हासिल कर ली है 

अब न मुझे किसी की 
गुलामी  करनी है 
न झोली  फैला कर.
अपनी कोई मांग रखनी है

©Arora PR

आत्म निर्भर

90 View

शीर्षक- हाँ, तैयार हूँ मैं ---------------------------------------------------------- हाँ, तैयार हूँ मैं, क्योंकि--------------, बांध रखा है मैंने अपना सामान चलने को, जूतें भी पॉलिश कर लिये हैं चलने को, और कपड़ें भी बदल लिये हैं मैंने चलने को। हाँ, तैयार हूँ मैं, लेकिन मैं तुमसे पूछता हूँ, तुम क्यों कर रहे हो ऐसा ? क्या वहाँ तुम्हारा वश चलता है ? क्या उन्होंने दिया है तुम्हें सन्देश मेरे लिए ? हाँ, तैयार हूँ मैं, लेकिन मिट नहीं पा रही है अभी तक, आँखों में वो पुरानी तस्वीरें उनकी, निकल नहीं पा रही है दिल से अभी तक, उनकी वो नुकीली चुभती हुई बातें। हाँ, तैयार हूँ मैं, लेकिन डरता हूँ मैं वहाँ आने से, और नहीं करता हूँ उन पर विश्वास, मैं अब दुःखी नहीं रहना चाहता, मुझको अब आगे बढ़ना है। और इसीलिए, हाँ, तैयार हूँ मैं , क्योंकि--------------------। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#कविता #लेखन  शीर्षक- हाँ, तैयार हूँ मैं
----------------------------------------------------------
हाँ, तैयार हूँ मैं,
 क्योंकि--------------,
बांध रखा है मैंने अपना सामान चलने को,
जूतें भी पॉलिश कर लिये हैं चलने को,
और कपड़ें भी बदल लिये हैं मैंने चलने को।

हाँ, तैयार हूँ मैं,
लेकिन मैं तुमसे पूछता हूँ,
तुम क्यों कर रहे हो ऐसा ?
क्या वहाँ तुम्हारा वश चलता है ?
क्या उन्होंने दिया है तुम्हें सन्देश मेरे लिए ?

हाँ, तैयार हूँ मैं,
लेकिन मिट नहीं पा रही है अभी तक,
आँखों में वो पुरानी तस्वीरें उनकी,
निकल नहीं पा रही है दिल से अभी तक,
उनकी वो नुकीली चुभती हुई बातें।

हाँ, तैयार हूँ मैं,
लेकिन डरता हूँ मैं वहाँ आने से,
और नहीं करता हूँ उन पर विश्वास,
मैं अब दुःखी नहीं रहना चाहता,
मुझको अब आगे बढ़ना है।

और इसीलिए, 
हाँ, तैयार हूँ मैं ,
क्योंकि--------------------।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

#लेखन

17 Love

शीर्षक - यही तो जिंदगी का सच है ---------------------------------------------------- सबको पता है और यह सत्य है कि, पहली आवश्यकता है आदमी की, रोटी, कपड़ा और मकान, और इन्हीं के लिए वह, करता है दिनरात इतनी भागदौड़, और बहाता है अपना खून- पसीना, करता है पाप और अनैतिकता भी, जीने को वह सुख- शान्ति से।। भूल जाता है वह, अपनी मंजिल तक पहुंचने में, अपने परिचितों के चेहरे और नाम तक, याद तक नहीं आते हैं उसको, अपने गम और दर्द तक, तोड़कर सभी से अपना रिश्ता वह, जीना चाहता है अकेला होकर, और जी.आज़ाद बनकर वह।। नहीं रहता उसको कुछ भी मतलब, अपने परिचितों और परिवार से, और इसी तरह चला जाता है वह, अंत में अपने सम्बन्ध सभी से तोड़कर, बहुत दूर अपने किसी संसार में, लेकिन वहाँ भी उसको नहीं होता है, किसी से कोई मतलब,प्यार और रिश्ता, यही तो जिंदगी का सच है।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#कविता #लेखन  शीर्षक - यही तो जिंदगी का सच है
----------------------------------------------------
सबको पता है और यह सत्य है कि,
पहली आवश्यकता है आदमी की,
रोटी, कपड़ा और मकान,
और इन्हीं के लिए वह,
करता है दिनरात इतनी भागदौड़,
और बहाता है अपना खून- पसीना,
करता है पाप और अनैतिकता भी,
जीने को वह सुख- शान्ति से।।

भूल जाता है वह,
अपनी मंजिल तक पहुंचने में,
अपने परिचितों के चेहरे और नाम तक,
याद तक नहीं आते हैं उसको,
अपने गम और दर्द तक,
तोड़कर सभी से अपना रिश्ता वह,
जीना चाहता है अकेला होकर,
और जी.आज़ाद बनकर वह।।

नहीं रहता उसको कुछ भी मतलब,
अपने परिचितों और परिवार से,
और इसी तरह चला जाता है वह,
अंत में अपने सम्बन्ध सभी से तोड़कर,
बहुत दूर अपने किसी संसार में,
लेकिन वहाँ भी उसको नहीं होता है,
किसी से कोई मतलब,प्यार और रिश्ता,
यही तो जिंदगी का सच है।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

#लेखन

12 Love

#ज़िन्दगी #अनुभूति #प्रेम #आत्म
#शायरी  White तूफानों के आवेग को कोई भला मोड़ेगा कैसे
टूट जाये शीशा अगर कोई उसे जोड़ेगा कैसे।
खुद से ज्यादा ऐतबार गैरों से करके पछताते हैं
खुद पर अगर भरोसा हो कोई दिल तोड़ेगा कैसे।।

©अमित कुमार

आत्म विश्वास

135 View

#शायरी #कविता #लेखक #लेखन #flowers  White लेेखन सौन्दर्य 
जब भी लिखी दास्तान दिल की 
कलम ने मेरा बखूबी साथ निभाया
किसी ने कहा' वाह क्या बात है! '
किसी को मेरा नज़रिया न भाया 

हैं दिल की बातें भी अजीब
इस दरिया में बस कुछ ही हैं नहाते
हर एक को दृश्य सुन्दर हैं भाते
बिरला ही कोई मनमोहक दिल हैं पाते 

स्वांग न रचना न बातें बनाना 
सीधी सी बात है दिल से दिल है मिलाना
न अपना चातुर्य किसी को बार- बार दिखाना
निर्मल हृदय पूर्ण सामने वाले की बात है
 समझना
तुम कलिमल रहित मुझे अपनाना
न मैं तुम्हे परखकर दोस्ती निभाऊँ 
मेरा तो बस काम ही है लिखना
पाठक व दोस्त के घायल मन को सहलाना।।
सीता प्रसाद

©Sita Prasad
#कविता  White अब मैंने 
आत्म निर्भर 
होकर जीने  की 
काबलियत 
हासिल कर ली है 

अब न मुझे किसी की 
गुलामी  करनी है 
न झोली  फैला कर.
अपनी कोई मांग रखनी है

©Arora PR

आत्म निर्भर

90 View

शीर्षक- हाँ, तैयार हूँ मैं ---------------------------------------------------------- हाँ, तैयार हूँ मैं, क्योंकि--------------, बांध रखा है मैंने अपना सामान चलने को, जूतें भी पॉलिश कर लिये हैं चलने को, और कपड़ें भी बदल लिये हैं मैंने चलने को। हाँ, तैयार हूँ मैं, लेकिन मैं तुमसे पूछता हूँ, तुम क्यों कर रहे हो ऐसा ? क्या वहाँ तुम्हारा वश चलता है ? क्या उन्होंने दिया है तुम्हें सन्देश मेरे लिए ? हाँ, तैयार हूँ मैं, लेकिन मिट नहीं पा रही है अभी तक, आँखों में वो पुरानी तस्वीरें उनकी, निकल नहीं पा रही है दिल से अभी तक, उनकी वो नुकीली चुभती हुई बातें। हाँ, तैयार हूँ मैं, लेकिन डरता हूँ मैं वहाँ आने से, और नहीं करता हूँ उन पर विश्वास, मैं अब दुःखी नहीं रहना चाहता, मुझको अब आगे बढ़ना है। और इसीलिए, हाँ, तैयार हूँ मैं , क्योंकि--------------------। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#कविता #लेखन  शीर्षक- हाँ, तैयार हूँ मैं
----------------------------------------------------------
हाँ, तैयार हूँ मैं,
 क्योंकि--------------,
बांध रखा है मैंने अपना सामान चलने को,
जूतें भी पॉलिश कर लिये हैं चलने को,
और कपड़ें भी बदल लिये हैं मैंने चलने को।

हाँ, तैयार हूँ मैं,
लेकिन मैं तुमसे पूछता हूँ,
तुम क्यों कर रहे हो ऐसा ?
क्या वहाँ तुम्हारा वश चलता है ?
क्या उन्होंने दिया है तुम्हें सन्देश मेरे लिए ?

हाँ, तैयार हूँ मैं,
लेकिन मिट नहीं पा रही है अभी तक,
आँखों में वो पुरानी तस्वीरें उनकी,
निकल नहीं पा रही है दिल से अभी तक,
उनकी वो नुकीली चुभती हुई बातें।

हाँ, तैयार हूँ मैं,
लेकिन डरता हूँ मैं वहाँ आने से,
और नहीं करता हूँ उन पर विश्वास,
मैं अब दुःखी नहीं रहना चाहता,
मुझको अब आगे बढ़ना है।

और इसीलिए, 
हाँ, तैयार हूँ मैं ,
क्योंकि--------------------।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

#लेखन

17 Love

शीर्षक - यही तो जिंदगी का सच है ---------------------------------------------------- सबको पता है और यह सत्य है कि, पहली आवश्यकता है आदमी की, रोटी, कपड़ा और मकान, और इन्हीं के लिए वह, करता है दिनरात इतनी भागदौड़, और बहाता है अपना खून- पसीना, करता है पाप और अनैतिकता भी, जीने को वह सुख- शान्ति से।। भूल जाता है वह, अपनी मंजिल तक पहुंचने में, अपने परिचितों के चेहरे और नाम तक, याद तक नहीं आते हैं उसको, अपने गम और दर्द तक, तोड़कर सभी से अपना रिश्ता वह, जीना चाहता है अकेला होकर, और जी.आज़ाद बनकर वह।। नहीं रहता उसको कुछ भी मतलब, अपने परिचितों और परिवार से, और इसी तरह चला जाता है वह, अंत में अपने सम्बन्ध सभी से तोड़कर, बहुत दूर अपने किसी संसार में, लेकिन वहाँ भी उसको नहीं होता है, किसी से कोई मतलब,प्यार और रिश्ता, यही तो जिंदगी का सच है।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#कविता #लेखन  शीर्षक - यही तो जिंदगी का सच है
----------------------------------------------------
सबको पता है और यह सत्य है कि,
पहली आवश्यकता है आदमी की,
रोटी, कपड़ा और मकान,
और इन्हीं के लिए वह,
करता है दिनरात इतनी भागदौड़,
और बहाता है अपना खून- पसीना,
करता है पाप और अनैतिकता भी,
जीने को वह सुख- शान्ति से।।

भूल जाता है वह,
अपनी मंजिल तक पहुंचने में,
अपने परिचितों के चेहरे और नाम तक,
याद तक नहीं आते हैं उसको,
अपने गम और दर्द तक,
तोड़कर सभी से अपना रिश्ता वह,
जीना चाहता है अकेला होकर,
और जी.आज़ाद बनकर वह।।

नहीं रहता उसको कुछ भी मतलब,
अपने परिचितों और परिवार से,
और इसी तरह चला जाता है वह,
अंत में अपने सम्बन्ध सभी से तोड़कर,
बहुत दूर अपने किसी संसार में,
लेकिन वहाँ भी उसको नहीं होता है,
किसी से कोई मतलब,प्यार और रिश्ता,
यही तो जिंदगी का सच है।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

#लेखन

12 Love

#ज़िन्दगी #अनुभूति #प्रेम #आत्म
Trending Topic