White
कल कविता ने फिर से कहा,
"तूने गाना छोड़ दिया;
तूने दोहराना छोड़ दिया;
तूने जाना छोड़ दिया
कोशिशों की कोशिकाओं में
उठ, और चल
पीकर और लेकर जल
तपती हुई हवाओं में
तू चलता चल!
अवश्य देगा सुख का सावन नभ का नल।
कभी-न-कभी तो थमेगा
ताप का तूफान,
कहीं-न-कहीं तो जमेगा
अपना अड्डा अथवा स्थान।
धरतीधारक अनंत है परेशान,
पीले पेड़ों को देख वसंत है परेशान।
दे देना कहीं और ध्यान
जब संगीत सुनते-सुनते थक जाएं दोनों कान
और इसी तरह जगे रहना
और अपनी कविता में लगे रहना!!
इसी प्रकार प्यार में कल भी सहना
मसलन तुमने आज है सहा।"
कल कविता ने फिर से कहा।।
...✍️विकास साहनी
©Vikas Sahni
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here