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#dharm #कविता #काव्य #लेखन #प्रार्थना #मंगलाचरण #कुमार_आज़ाद

81 View

#शायरी #कविता #लेखक #लेखन #flowers  White लेेखन सौन्दर्य 
जब भी लिखी दास्तान दिल की 
कलम ने मेरा बखूबी साथ निभाया
किसी ने कहा' वाह क्या बात है! '
किसी को मेरा नज़रिया न भाया 

हैं दिल की बातें भी अजीब
इस दरिया में बस कुछ ही हैं नहाते
हर एक को दृश्य सुन्दर हैं भाते
बिरला ही कोई मनमोहक दिल हैं पाते 

स्वांग न रचना न बातें बनाना 
सीधी सी बात है दिल से दिल है मिलाना
न अपना चातुर्य किसी को बार- बार दिखाना
निर्मल हृदय पूर्ण सामने वाले की बात है
 समझना
तुम कलिमल रहित मुझे अपनाना
न मैं तुम्हे परखकर दोस्ती निभाऊँ 
मेरा तो बस काम ही है लिखना
पाठक व दोस्त के घायल मन को सहलाना।।
सीता प्रसाद

©Sita Prasad
#मोटिवेशनल  Shayer ters

©Dalip Kumar Deep

🥀🥀💕✍🏿बीमार मानसिकता🥺🍂🍂

234 View

#कोट्स #Likho   प्रेम पत्र जब लिखा था हमने 
जब उनसे पहली बार पहली
 मुलाकात और पहली मोहब्बत 
का एहसास हुआ था।

©Bulbul varshney

#Likho #love प्रेम पत्र लिखा है हमने।

108 View

#पत्र💚   
पत्र तुमको लिखा यह खता थी मेरी 
तुम जो समझे नहीँ वो वफा थी मेरी 
रात को जागकर मैंने  उसको लिखा 
नीर- नयनों में भरकर उसको है रचा 
उसने  अक्षर नहीँ  मेरे  अहसास  थे 
जिन्हें समझे ना तुम वो ख्यालात थे 
तुमको सबही है यारा ओ झूठा लगा 
कौन कितना है टूटा ये भी ना दिखा 
आज आती  हँसी  तेरी हर सोच पर 
तूने जो भी किया उस हसीं खेल पर 
मैंने जैसा था सोचा तू वैसा ना मिला 
साथ रहकर मेरे ही तू दगा कर  गया 
क्या कहूँ मैं सनम उस अजब खेल पे 
जिसमें  खंजर अनौखा मुझी पे चला 
दर्द को सह गया मैंने उफ्फ भी न की 
ना ही  आँसू  बहाए ना मिन्नत ही की
तू  मेरी थी  चाहत बस इतना हीं सुन 
ना मैं हर्गिज कहूँ कि मुझॆ  ही तू चुन 
मैं वफा ,इश्क, यारा और अहसास हूँ 
जिस तलक तू न पहुंचे  वो  ख्वाब हूँ 
दिल यह अपना हवाले अब कान्हा के
उनको चरणों में रहता मैं इक दास हूँ

©ANOOP PANDEY

शीर्षक- हाँ, तैयार हूँ मैं ---------------------------------------------------------- हाँ, तैयार हूँ मैं, क्योंकि--------------, बांध रखा है मैंने अपना सामान चलने को, जूतें भी पॉलिश कर लिये हैं चलने को, और कपड़ें भी बदल लिये हैं मैंने चलने को। हाँ, तैयार हूँ मैं, लेकिन मैं तुमसे पूछता हूँ, तुम क्यों कर रहे हो ऐसा ? क्या वहाँ तुम्हारा वश चलता है ? क्या उन्होंने दिया है तुम्हें सन्देश मेरे लिए ? हाँ, तैयार हूँ मैं, लेकिन मिट नहीं पा रही है अभी तक, आँखों में वो पुरानी तस्वीरें उनकी, निकल नहीं पा रही है दिल से अभी तक, उनकी वो नुकीली चुभती हुई बातें। हाँ, तैयार हूँ मैं, लेकिन डरता हूँ मैं वहाँ आने से, और नहीं करता हूँ उन पर विश्वास, मैं अब दुःखी नहीं रहना चाहता, मुझको अब आगे बढ़ना है। और इसीलिए, हाँ, तैयार हूँ मैं , क्योंकि--------------------। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#कविता #लेखन  शीर्षक- हाँ, तैयार हूँ मैं
----------------------------------------------------------
हाँ, तैयार हूँ मैं,
 क्योंकि--------------,
बांध रखा है मैंने अपना सामान चलने को,
जूतें भी पॉलिश कर लिये हैं चलने को,
और कपड़ें भी बदल लिये हैं मैंने चलने को।

हाँ, तैयार हूँ मैं,
लेकिन मैं तुमसे पूछता हूँ,
तुम क्यों कर रहे हो ऐसा ?
क्या वहाँ तुम्हारा वश चलता है ?
क्या उन्होंने दिया है तुम्हें सन्देश मेरे लिए ?

हाँ, तैयार हूँ मैं,
लेकिन मिट नहीं पा रही है अभी तक,
आँखों में वो पुरानी तस्वीरें उनकी,
निकल नहीं पा रही है दिल से अभी तक,
उनकी वो नुकीली चुभती हुई बातें।

हाँ, तैयार हूँ मैं,
लेकिन डरता हूँ मैं वहाँ आने से,
और नहीं करता हूँ उन पर विश्वास,
मैं अब दुःखी नहीं रहना चाहता,
मुझको अब आगे बढ़ना है।

और इसीलिए, 
हाँ, तैयार हूँ मैं ,
क्योंकि--------------------।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

#लेखन

17 Love

#dharm #कविता #काव्य #लेखन #प्रार्थना #मंगलाचरण #कुमार_आज़ाद

81 View

#शायरी #कविता #लेखक #लेखन #flowers  White लेेखन सौन्दर्य 
जब भी लिखी दास्तान दिल की 
कलम ने मेरा बखूबी साथ निभाया
किसी ने कहा' वाह क्या बात है! '
किसी को मेरा नज़रिया न भाया 

हैं दिल की बातें भी अजीब
इस दरिया में बस कुछ ही हैं नहाते
हर एक को दृश्य सुन्दर हैं भाते
बिरला ही कोई मनमोहक दिल हैं पाते 

स्वांग न रचना न बातें बनाना 
सीधी सी बात है दिल से दिल है मिलाना
न अपना चातुर्य किसी को बार- बार दिखाना
निर्मल हृदय पूर्ण सामने वाले की बात है
 समझना
तुम कलिमल रहित मुझे अपनाना
न मैं तुम्हे परखकर दोस्ती निभाऊँ 
मेरा तो बस काम ही है लिखना
पाठक व दोस्त के घायल मन को सहलाना।।
सीता प्रसाद

©Sita Prasad
#मोटिवेशनल  Shayer ters

©Dalip Kumar Deep

🥀🥀💕✍🏿बीमार मानसिकता🥺🍂🍂

234 View

#कोट्स #Likho   प्रेम पत्र जब लिखा था हमने 
जब उनसे पहली बार पहली
 मुलाकात और पहली मोहब्बत 
का एहसास हुआ था।

©Bulbul varshney

#Likho #love प्रेम पत्र लिखा है हमने।

108 View

#पत्र💚   
पत्र तुमको लिखा यह खता थी मेरी 
तुम जो समझे नहीँ वो वफा थी मेरी 
रात को जागकर मैंने  उसको लिखा 
नीर- नयनों में भरकर उसको है रचा 
उसने  अक्षर नहीँ  मेरे  अहसास  थे 
जिन्हें समझे ना तुम वो ख्यालात थे 
तुमको सबही है यारा ओ झूठा लगा 
कौन कितना है टूटा ये भी ना दिखा 
आज आती  हँसी  तेरी हर सोच पर 
तूने जो भी किया उस हसीं खेल पर 
मैंने जैसा था सोचा तू वैसा ना मिला 
साथ रहकर मेरे ही तू दगा कर  गया 
क्या कहूँ मैं सनम उस अजब खेल पे 
जिसमें  खंजर अनौखा मुझी पे चला 
दर्द को सह गया मैंने उफ्फ भी न की 
ना ही  आँसू  बहाए ना मिन्नत ही की
तू  मेरी थी  चाहत बस इतना हीं सुन 
ना मैं हर्गिज कहूँ कि मुझॆ  ही तू चुन 
मैं वफा ,इश्क, यारा और अहसास हूँ 
जिस तलक तू न पहुंचे  वो  ख्वाब हूँ 
दिल यह अपना हवाले अब कान्हा के
उनको चरणों में रहता मैं इक दास हूँ

©ANOOP PANDEY

शीर्षक- हाँ, तैयार हूँ मैं ---------------------------------------------------------- हाँ, तैयार हूँ मैं, क्योंकि--------------, बांध रखा है मैंने अपना सामान चलने को, जूतें भी पॉलिश कर लिये हैं चलने को, और कपड़ें भी बदल लिये हैं मैंने चलने को। हाँ, तैयार हूँ मैं, लेकिन मैं तुमसे पूछता हूँ, तुम क्यों कर रहे हो ऐसा ? क्या वहाँ तुम्हारा वश चलता है ? क्या उन्होंने दिया है तुम्हें सन्देश मेरे लिए ? हाँ, तैयार हूँ मैं, लेकिन मिट नहीं पा रही है अभी तक, आँखों में वो पुरानी तस्वीरें उनकी, निकल नहीं पा रही है दिल से अभी तक, उनकी वो नुकीली चुभती हुई बातें। हाँ, तैयार हूँ मैं, लेकिन डरता हूँ मैं वहाँ आने से, और नहीं करता हूँ उन पर विश्वास, मैं अब दुःखी नहीं रहना चाहता, मुझको अब आगे बढ़ना है। और इसीलिए, हाँ, तैयार हूँ मैं , क्योंकि--------------------। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#कविता #लेखन  शीर्षक- हाँ, तैयार हूँ मैं
----------------------------------------------------------
हाँ, तैयार हूँ मैं,
 क्योंकि--------------,
बांध रखा है मैंने अपना सामान चलने को,
जूतें भी पॉलिश कर लिये हैं चलने को,
और कपड़ें भी बदल लिये हैं मैंने चलने को।

हाँ, तैयार हूँ मैं,
लेकिन मैं तुमसे पूछता हूँ,
तुम क्यों कर रहे हो ऐसा ?
क्या वहाँ तुम्हारा वश चलता है ?
क्या उन्होंने दिया है तुम्हें सन्देश मेरे लिए ?

हाँ, तैयार हूँ मैं,
लेकिन मिट नहीं पा रही है अभी तक,
आँखों में वो पुरानी तस्वीरें उनकी,
निकल नहीं पा रही है दिल से अभी तक,
उनकी वो नुकीली चुभती हुई बातें।

हाँ, तैयार हूँ मैं,
लेकिन डरता हूँ मैं वहाँ आने से,
और नहीं करता हूँ उन पर विश्वास,
मैं अब दुःखी नहीं रहना चाहता,
मुझको अब आगे बढ़ना है।

और इसीलिए, 
हाँ, तैयार हूँ मैं ,
क्योंकि--------------------।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

#लेखन

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