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#Duryodhana, #Poetry_on_Duryodhana, #Ashvatthama, #Mahabharata, #Epic, #Poetry_on_mahabharata, #Poertry_on_Ashvtthama  अश्रेयकर लक्ष्य संधान हेतु क्रियाशील हुए व्यक्ति को अगर सहयोगियों का साथ मिल जाता है तब उचित या अनुचित का द्वंद्व क्षीण हो जाता है। अश्वत्थामा दुर्योधन को आगे बताता है कि कृतवर्मा और कृपाचार्य का साथ मिल जाने के कारण उसका मनोबल बढ़ गया और वो पूरे जोश के साथ लक्ष्यसिद्धि हेतु अग्रसर हो चला।

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#कविता #Mahabharata #Ashvatthama #Kripacharya #Duryodhana

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-29 #kavita #Duryodhana #Ashvatthama #Kritvarma #Kripacharya #Mahabharata #mahadev #Shiv #RuDra महाकाल क्रुद्ध होने पर कामदेव को भस्म करने में एक क्षण भी नहीं लगाते तो वहीं पर तुष्ट होने पर भस्मासुर को ऐसा वर प्रदान कर देते हैं जिस कारण उनको अपनी जान बचाने के लिए भागना भी पड़ा। ऐसे महादेव के समक्ष अश्वत्थामा सोच विचार में तल्लीन था।

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#दुर्योधन #कविता  #Mahabharata #Ashvatthama #Duryodhana

इस दीर्घ कविता के पिछले भाग अर्थात् तेरहवें भाग में अभिमन्यु के गलत तरीके से किये गए वध में जयद्रथ द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका और तदुपरांत केशव और अर्जुन द्वारा अभिमन्यु की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिए रचे गए प्रपंच के बारे में चर्चा की गई थी। कविता के  वर्तमान प्रकरण अर्थात् चौदहवें भाग में देखिए कैसे प्रतिशोध की भावना से वशीभूत होकर अर्जुन ने जयद्रथ का वध इस तरह से किया कि उसका सर धड़ से अलग होकर उसके तपस्वी पिता की गोद में गिरा और उसके पिता का सर टुकड़ों में विभक्त हो गया। प्रतिशोध की भ

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#अश्वत्थामा #दुर्योधन #महाभारत #जयद्रथ #कविता 

इस दीर्घ रचना के पिछले भाग अर्थात् बारहवें  भाग में आपने देखा अश्वत्थामा ने दुर्योधन को पाँच कटे हुए नर कंकाल  समर्पित करते हुए क्या कहा। आगे देखिए वो कैसे अपने पिता गुरु द्रोणाचार्य के अनुचित तरीके के किये गए वध के बारे में दुर्योधन ,कृतवर्मा और कृपाचार्य को याद दिलाता है। फिर तर्क प्रस्तुत करता है कि उल्लू  दिन में  अपने शत्रु को हरा नहीं सकता इसीलिए वो रात में हीं  घात लगाकर अपने शिकार पर प्रहार करता है। पांडव के पक्ष में अभी भी पाँचों पांडव , श्रीकृष्ण , शिखंडी , ध्रीष्टदयुम्न आदि और अनगिनत

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#अश्वत्थामा #दुर्योधन #महाभारत #कविता  #पांडव

इस दीर्घ रचना के पिछले भाग अर्थात् ग्यारहवें भाग में आपने देखा कि युद्ध के अंत में भीम द्वारा जंघा तोड़ दिए जाने के बाद दुर्योधन मरणासन्न अवस्था में  हिंसक जानवरों के बीच पड़ा हुआ था। आगे देखिए जंगली शिकारी पशु बड़े धैर्य के साथ दुर्योधन की मृत्यु का इन्तेजार कर रहे थे और उनके बीच फंसे हुए दुर्योधन को मृत्यु की आहट को देखते रहने के अलावा कोई चारा नहीं था। परंतु होनी को तो कुछ और हीं मंजूर थी । उसी समय हाथों में  पांच कटे हुए  नर कपाल लिए अश्वत्थामा का आगमन हुआ  और दुर्योधन की मृत्यु का इन्तेजार कर

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