"गजानंद करते बेड़ा पार बैठ मूषक वाहन सवारी,
देवों के देव महादेव पिता और पार्वती माता तिहारी।
बुद्धि विवेक के तुम हो स्वामी अंतर्यामी लंबोदर धारी,
उमापति शंकर के प्यारे रख लो लाज हमारी।
सुखकर्ता दुखहर्ता सुंड सुंडाला सबके विघ्नहारी,
बड़े बड़े पापी हैं तारे जो शरण में आए तिहारी।
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