2122 1212 22/112 सिलसिला इश्क़ का यहां होगा खुदसे ज़्यादा किसे पता होगा गुल मुहब्बत का ख़िल रहा मेरा यार मुझसे न ये बयां होगा कल उसे देखा.
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