व्यक्तित्व आप का है अद्भुत ,कर रहा प्रकाशित जन मन को |
वाणी है मधुरिम अमिय सदृश ,अभिसिंचित करती जीवन को ||
मर्मज्ञ मर्म स्पर्शी और ,ममता की हो मंगलमूर्ति |
सुविचार सरस सर्वज्ञ सदा ,सुन्दरता की हो प्रतिमूर्ति ||
शालीन शिष्ट साहस अदम्य ,विश्वास अडिग सुनियोजित मन |
कोमल कपोल कर कमल और,लोचन लालित्य सुगन्धित तन |
सम्पन्न सुशील सुकोमल अति ,समृद्ध सुयश और कर्मशील |
कर्तव्यनिष्ठ मनमोहक छवि ,तुम विपुल विलक्षण मननशील ||
निर्झर निरन्तर निर्विरोध ,नित निखिल निकुँज में बह रहा |
सुन्दर सुबोध बहु विधि तेरा,वृत्तान्त वर्णित कर रहा ||
मैं निराधार निर्लज्ज नीच ,निष्ठुर निर्मोही व्यभिचारी |
अनभिज्ञ अधम अनियन्त्रित मन ,अति धूर्त और अत्याचारी ||
अवगुण अनगिनत समाहित हैँ ,मेरे मन सूक्ष्म सरोवर में |
कर दो पावन भर अमिय अंबु ,मेरे मन शुष्क सरोवर में ||
©पूर्वार्थ
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