सोच बदल डालो सोचो, समझो और इसे तुम कर डालो। बहोत | हिंदी कविता

"सोच बदल डालो सोचो, समझो और इसे तुम कर डालो। बहोत हुआ इंतज़ार अब तो सोच बदल डालो। आया समय अब कुछ तो नया कर डालो। बलात्कारियों को दे सज़ा तुम इनके मन में भय डालो। सोचो, समझो और इसे तुम कर डालो। बहोत हुआ इंतज़ार अब तो सोच बदल डालो। बहन, बेटियां डरती हैं, तुम उनके मन को विश्वास से भर डालो। लड़ना होगा अब तुम्ही को बेलन छोड़ तलवार उठालो। ले रूप चंडी का शैतान का संघार कर डालो। दुर्बल की तुम मदद करो, ज़ालिम को मारो। बहोत हुआ इंतज़ार अब तो सोच बदल डालो। सोचो, समझो और इसे तुम कर डालो। बहोत हुआ इंतज़ार अब तो सोच बदल डालो। साथ तुम्हारा देगी जनता अबतो आवाज़ उठालो। ना सहो ज़ुल्म, घर से निकल आवाज़ निकालो। घर में हो या हो बाहर, हर शैतान के मुंह पर ताले डालो। चाबी फैक समुन्द्र में, शैतान को मोन अब कर डालो। सोचो, समझो और इसे तुम कर डालो। बहोत हुआ इंतज़ार अब तो सोच बदल डालो। अजय किशोर (दिल की आवाज़) 9999191546"

 सोच बदल डालो

सोचो, समझो और इसे तुम कर डालो।
बहोत हुआ इंतज़ार अब तो सोच बदल डालो।
आया समय अब कुछ तो नया कर डालो।
बलात्कारियों को दे सज़ा तुम इनके मन में भय डालो।

सोचो, समझो और इसे तुम कर डालो।
बहोत हुआ इंतज़ार अब तो सोच बदल डालो।

बहन, बेटियां डरती हैं,
तुम उनके मन को विश्वास से भर डालो।
लड़ना होगा अब तुम्ही को बेलन छोड़ तलवार उठालो।
ले रूप चंडी का शैतान का संघार कर डालो।
दुर्बल की तुम मदद करो, ज़ालिम को मारो।
बहोत हुआ इंतज़ार अब तो सोच बदल डालो।

सोचो, समझो और इसे तुम कर डालो।
बहोत हुआ इंतज़ार अब तो सोच बदल डालो।

साथ तुम्हारा देगी जनता अबतो आवाज़ उठालो।
ना सहो ज़ुल्म, घर से निकल आवाज़ निकालो।
घर में हो या हो बाहर, हर शैतान के मुंह पर ताले डालो।
चाबी फैक समुन्द्र में, शैतान को मोन अब कर डालो।

सोचो, समझो और इसे तुम कर डालो।
बहोत हुआ इंतज़ार अब तो सोच बदल डालो।

अजय किशोर (दिल की आवाज़)
9999191546

सोच बदल डालो सोचो, समझो और इसे तुम कर डालो। बहोत हुआ इंतज़ार अब तो सोच बदल डालो। आया समय अब कुछ तो नया कर डालो। बलात्कारियों को दे सज़ा तुम इनके मन में भय डालो। सोचो, समझो और इसे तुम कर डालो। बहोत हुआ इंतज़ार अब तो सोच बदल डालो। बहन, बेटियां डरती हैं, तुम उनके मन को विश्वास से भर डालो। लड़ना होगा अब तुम्ही को बेलन छोड़ तलवार उठालो। ले रूप चंडी का शैतान का संघार कर डालो। दुर्बल की तुम मदद करो, ज़ालिम को मारो। बहोत हुआ इंतज़ार अब तो सोच बदल डालो। सोचो, समझो और इसे तुम कर डालो। बहोत हुआ इंतज़ार अब तो सोच बदल डालो। साथ तुम्हारा देगी जनता अबतो आवाज़ उठालो। ना सहो ज़ुल्म, घर से निकल आवाज़ निकालो। घर में हो या हो बाहर, हर शैतान के मुंह पर ताले डालो। चाबी फैक समुन्द्र में, शैतान को मोन अब कर डालो। सोचो, समझो और इसे तुम कर डालो। बहोत हुआ इंतज़ार अब तो सोच बदल डालो। अजय किशोर (दिल की आवाज़) 9999191546

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