पायल, कंगन,झुमका,जुल्फों का संवारा लिख दिया कुछ | English Shayari

"पायल, कंगन,झुमका,जुल्फों का संवारा लिख दिया कुछ न छोड़ा मेरी कलम ने सारा लिख दिया ऐसे ही मुकम्मल न हो जाती मेरी ये गज़ल ले कर तेरे हुस्न का सहारा लिख दिया ●● लब़ की लाली लिखी,और लिखा काज़ल तेरी आँखों का तेरे रुखसार पे तिल जैसे चाँद का सितारा लिख दिया ●● कैसे लिख देता कोई श़ेर तेरी सुराही सी गर्दन पे ऐसे लिपटा था उसपे हार पे दिल हारा लिख दिया ●● कभी इधर कभी उधर हवा सी बलखाती तेरी कमर जाता नही ख़यालों से वो दिलकश़ नज़ारा लिख दिया ●● पन्नो पे जो लिखता तो हो जाता चर्चा जहाँ मे इस बाइस चुपके से इस दिल में नाम तुम्हारा लिख दिया ●● गनीमत होती जो सिर्फ खनकती चूडियाँ तेरी पायल की छनक ने था जान से मारा लिख दिया ●● गुस्ताखी होती जो तेरी शान में तो माज़रत चाहता,,सैज,, दी इज़ाज़त तभी तो ग़ज़ल तुझपे दोबारा लिख दिया ©saij salmaani"

 पायल, कंगन,झुमका,जुल्फों  का संवारा लिख दिया 
कुछ न छोड़ा मेरी कलम ने सारा लिख दिया
ऐसे ही मुकम्मल न हो जाती मेरी ये गज़ल 
ले कर  तेरे हुस्न का सहारा  लिख दिया 
●●
लब़ की लाली लिखी,और लिखा काज़ल तेरी आँखों का
तेरे रुखसार पे तिल जैसे चाँद का सितारा लिख दिया 
●●
कैसे लिख देता कोई श़ेर तेरी सुराही सी गर्दन पे 
ऐसे लिपटा था उसपे हार पे दिल हारा लिख दिया 
●●
कभी इधर कभी उधर हवा सी बलखाती तेरी  कमर 
जाता नही ख़यालों से वो दिलकश़ नज़ारा लिख दिया 
●●
पन्नो पे जो लिखता तो हो जाता चर्चा जहाँ मे 
इस बाइस चुपके से इस दिल में नाम तुम्हारा लिख दिया 
●●
गनीमत होती जो सिर्फ खनकती चूडियाँ तेरी
पायल की छनक ने था जान से मारा लिख दिया 
●●
गुस्ताखी होती जो तेरी शान में तो माज़रत चाहता,,सैज,,
दी इज़ाज़त तभी तो ग़ज़ल तुझपे दोबारा लिख दिया

©saij salmaani

पायल, कंगन,झुमका,जुल्फों का संवारा लिख दिया कुछ न छोड़ा मेरी कलम ने सारा लिख दिया ऐसे ही मुकम्मल न हो जाती मेरी ये गज़ल ले कर तेरे हुस्न का सहारा लिख दिया ●● लब़ की लाली लिखी,और लिखा काज़ल तेरी आँखों का तेरे रुखसार पे तिल जैसे चाँद का सितारा लिख दिया ●● कैसे लिख देता कोई श़ेर तेरी सुराही सी गर्दन पे ऐसे लिपटा था उसपे हार पे दिल हारा लिख दिया ●● कभी इधर कभी उधर हवा सी बलखाती तेरी कमर जाता नही ख़यालों से वो दिलकश़ नज़ारा लिख दिया ●● पन्नो पे जो लिखता तो हो जाता चर्चा जहाँ मे इस बाइस चुपके से इस दिल में नाम तुम्हारा लिख दिया ●● गनीमत होती जो सिर्फ खनकती चूडियाँ तेरी पायल की छनक ने था जान से मारा लिख दिया ●● गुस्ताखी होती जो तेरी शान में तो माज़रत चाहता,,सैज,, दी इज़ाज़त तभी तो ग़ज़ल तुझपे दोबारा लिख दिया ©saij salmaani

@Afreen @chandni NIKHAT الفاظ جو دل چو جائے Dhyaan mira Mr Ismail Khan Añgëľiñä (Añgël)

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