"White लिखना चाहूँ एक नारी की व्यथा
लिखना चाहूँ उसकी सम्पूर्ण कथा
कहाँ से शुरू करूँ समझ नही पाती
कैसे मैं लिखुँ अपने ही अस्तित्व की पाती
चुभने लगते हैं लफ़्ज नजरो को
कलम भी मेरी , साथ नही निभाती
क्या नारी की हर युग की सिसकियां लिखुँ
सती हुई स्त्रियों की चीखों की दास्ताँ लिखू
या लिखुँ द्रौपदी का भरे दरबार चीर हरण
या निर्भया के शरीर की चोटो का विवरण
या प्रियंका की जलती हुई देह लिखुँ
या नन्ही मासूम सी परियों का संदेह लिखुँ
ये सब लिखने में शायद कलम टूट जाएगी
नारियों की सिसकियां किसी भी युग मे ना
न रुक पाएंगी।। पूनम आत्रेय
©poonam atrey
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