*नमन मंच*
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विषय - माँ(जननी)
विधा - स्वैच्छिक
शीर्षक- प्रेरणास्रोत माँ
दिनाँक- 09/05/2021
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*सर्व प्रथम माँ के चरणों मे वंदन*
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माँ मैं अज्ञान हूँ ,पर संतान हूँ तेरा ।
तू स्वयं इतनी ज्ञानी है,क्या करूँ विस्तार मैं तेरा।
तू मेरी जननी है,मैं बालक नादान हूँ तेरा।
यह सृजन तेरा हम प्रकृति तेरी,है अस्तित्व वरदान देने तेरा।
प्रेम की पराकाष्ठा है तू,सभी प्राणी की आस्था है तू।
सृष्टि का परिचय कराती है तू,जीवन का पाठ सिखाती है तू।
प्रेम का बहता झरना है तू,गंगा सी पावन निर्मल है तू।
सारे दुख को सहती है तू,पर मेरे लिए खुशियां बटोरती है तू।
तू जन्म से रक्त का बंधन है,तू मेरे पालन जज्बातों का संगम है।
तू शब्द नही पूर्ण ग्रंथ है,जिसका युगों युगों तक न कोई अंत है।
माँ तेरे अगणित उपकारों का कैसे मैं सब वर्णन करूँ,
माँ मै तेरे निर्मल चरणों मे मोल रूप क्या अर्पण करूँ।
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*मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं*
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*सभी माताओं के चरणों मे सादर स्पर्श सहित गुंजन*
स्वरचित एवं मौलिक रचना
वैभव मिश्रा
अमेठी उत्तर प्रदेश
©Vaibhav Mishra
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