बड़ी मासूम, चंचल है वो मुस्कानों का बादल है अदा भी | हिंदी कविता

"बड़ी मासूम, चंचल है वो मुस्कानों का बादल है अदा भी खूब खुदा ने दी जो देखे उसपे पागल है जहां दिखता नहीं मंज़र वहां भी पहचान मेरी है सनम मेरा सनम ही नहीं मेरा दिल जान मेरी है........।।१।। खोलकर जब वो जुड़े से झुल्फें अपनी बिखराती हैं हवा भी हो जाती है मदहोश जब जुल्फों से टकराती है है करिश्मा भी वो जादू भी हां वो इक ईमान मेरी है जिसमें खोया मैं रहता हूं वही वो जहान मेरी है सनम मेरा सनम ही नहीं मेरा दिल जान मेरी है........।।२।। भरी बस सादगी है उसमें ना सजती संवरती है पर ना जाने क्यों गैरों की आशिकी उसपे मरती है उसे खोने से डरता हूं वो इश्क-ए-पहचान मेरी है मेरे जीने का आसरा है वो स्वाभिमान मेरी है सनम मेरा सनम ही नहीं मेरा दिल जान मेरी है........।।३।। ~ रसिया"

 बड़ी मासूम, चंचल है
वो मुस्कानों का बादल है
अदा भी खूब खुदा ने दी
जो देखे उसपे पागल है
जहां दिखता नहीं मंज़र 
वहां भी पहचान मेरी है
सनम मेरा सनम ही नहीं 
मेरा दिल जान मेरी है........।।१।।

खोलकर जब वो जुड़े से
झुल्फें अपनी बिखराती हैं
हवा भी हो जाती है मदहोश
जब जुल्फों से टकराती है 
है करिश्मा भी वो जादू भी 
हां वो इक ईमान मेरी है
जिसमें खोया मैं रहता हूं
वही वो जहान मेरी है
सनम मेरा सनम ही नहीं
मेरा दिल जान मेरी है........।।२।।

भरी बस सादगी है उसमें
ना सजती संवरती है
पर ना जाने क्यों गैरों की
आशिकी उसपे मरती है
उसे खोने से डरता हूं
वो इश्क-ए-पहचान मेरी है
मेरे जीने का आसरा है
वो स्वाभिमान मेरी है
सनम मेरा सनम ही नहीं
मेरा दिल जान मेरी है........।।३।।

                   ~ रसिया

बड़ी मासूम, चंचल है वो मुस्कानों का बादल है अदा भी खूब खुदा ने दी जो देखे उसपे पागल है जहां दिखता नहीं मंज़र वहां भी पहचान मेरी है सनम मेरा सनम ही नहीं मेरा दिल जान मेरी है........।।१।। खोलकर जब वो जुड़े से झुल्फें अपनी बिखराती हैं हवा भी हो जाती है मदहोश जब जुल्फों से टकराती है है करिश्मा भी वो जादू भी हां वो इक ईमान मेरी है जिसमें खोया मैं रहता हूं वही वो जहान मेरी है सनम मेरा सनम ही नहीं मेरा दिल जान मेरी है........।।२।। भरी बस सादगी है उसमें ना सजती संवरती है पर ना जाने क्यों गैरों की आशिकी उसपे मरती है उसे खोने से डरता हूं वो इश्क-ए-पहचान मेरी है मेरे जीने का आसरा है वो स्वाभिमान मेरी है सनम मेरा सनम ही नहीं मेरा दिल जान मेरी है........।।३।। ~ रसिया

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बड़ी मासूम, चंचल है
वो मुस्कानों का बादल है
अदा भी खूब खुदा ने दी
जो देखे उसपे पागल है
जहां दिखता नहीं मंज़र
वहां भी पहचान मेरी है

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