"White सम्बंधों में अपनापन हो।
सम्बंधों में अपनापन हो....!
नहीं प्रदर्शन सा जीवन हो!
प्रेम भाव सम्मान समन्वय,
कर दो यदि सब कुछ अर्पण हो!!
सम्बंधों में अपनापन हो.....!
सम्बंधों में अपनापन हो!
नहीं स्वार्थ का यह बंधन हो!!
स्नेह धैर्य बहती धारा हो!
त्याग तपस्या का संगम हो!
श्री राम चिह्न पर चल कर देखो,
निश्चय ही कुल का श्रेष्ठ सृजन हो!!
सम्बंधों में अपनापन हो!
नहीं व्यर्थ तब यह जीवन हो!!
ईर्ष्या और द्वेष का शीघ्रपतन हो!
अन्याय न्याय का भेद प्रथम हो!
प्रत्येक पटल का भी चिंतन हो!
दुर्लभ वचनों का अंकन हो!!
सम्बंधों में अपनापन हो!
नहीं प्रताड़ित चिर यौवन हो!!
सम्बंधों में अपनापन हो....!
"संवेदिता"
©संवेदिता "सायबा"
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