उसमें तब्दीलियां सारी हम नज़रंदाज़ करते रहे लहज़े | हिंदी शायरी

"उसमें तब्दीलियां सारी हम नज़रंदाज़ करते रहे लहज़े में बदतमीजी और बेरूखी बर्दाश्त करते रहे खता महज़ एक थी हम किस्मत का कसूर समझते रहे ना हक ही खुद को ख़ाक उसको आसमां समझते रहे इन सब के बीच एक सच्चाई मजबूती से दिखाई दी खुद की जमीन भी है हम ही और बेशक आसमान भी बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla"

 उसमें तब्दीलियां सारी हम नज़रंदाज़ करते रहे 
लहज़े में बदतमीजी और बेरूखी बर्दाश्त करते रहे 

खता महज़ एक थी हम किस्मत का कसूर समझते रहे 
ना हक ही खुद को ख़ाक उसको आसमां समझते रहे 

इन सब के बीच एक सच्चाई मजबूती से दिखाई दी
खुद की जमीन भी है हम ही और बेशक आसमान भी 
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla

उसमें तब्दीलियां सारी हम नज़रंदाज़ करते रहे लहज़े में बदतमीजी और बेरूखी बर्दाश्त करते रहे खता महज़ एक थी हम किस्मत का कसूर समझते रहे ना हक ही खुद को ख़ाक उसको आसमां समझते रहे इन सब के बीच एक सच्चाई मजबूती से दिखाई दी खुद की जमीन भी है हम ही और बेशक आसमान भी बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla

तब्दीलियां@R... Ojha @Mili Saha @Ashutosh Mishra @Sethi Ji @Neel @Bhardwaj Only Budana

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