कुछ ख्वाब सजाये रखा है घर की चार दिवारी में मन को | हिंदी कविता

"कुछ ख्वाब सजाये रखा है घर की चार दिवारी में मन को समझाए रखा है घर की चार दिवारी में सस्ते महंगे सामानों पर धूल जमी ये कहती है सब कुछ लुटाये रखा है घर की चार दिवारी में बेटे की शैतानी हो बेटी का भोलापन माँ की एक कोर से तृप्त हो जाता अन्तर्मन घटनाओं का कालचक्र चलता घर की चार दिवारी में एक उम्र संभाले रखा है घर की चार दिवारी में कुछ ख्वाब सजाये रखा है घर की चार दिवारी में ©Prabhash Chandra jha"

 कुछ ख्वाब सजाये रखा है 
घर की चार दिवारी में
मन को समझाए रखा है
घर की चार दिवारी में

सस्ते महंगे सामानों पर धूल जमी ये कहती है
सब कुछ लुटाये रखा है 
घर की चार दिवारी में

                                         बेटे की शैतानी हो बेटी का भोलापन
                                                माँ की एक कोर से तृप्त हो जाता अन्तर्मन

                घटनाओं का कालचक्र चलता  घर की  चार दिवारी में
एक उम्र संभाले रखा है घर की चार दिवारी में
कुछ ख्वाब सजाये रखा है  
घर की चार दिवारी में

©Prabhash Chandra jha

कुछ ख्वाब सजाये रखा है घर की चार दिवारी में मन को समझाए रखा है घर की चार दिवारी में सस्ते महंगे सामानों पर धूल जमी ये कहती है सब कुछ लुटाये रखा है घर की चार दिवारी में बेटे की शैतानी हो बेटी का भोलापन माँ की एक कोर से तृप्त हो जाता अन्तर्मन घटनाओं का कालचक्र चलता घर की चार दिवारी में एक उम्र संभाले रखा है घर की चार दिवारी में कुछ ख्वाब सजाये रखा है घर की चार दिवारी में ©Prabhash Chandra jha

#चार दिवारी @Author Kunal Kanth @gudiya @Yamini Thakur Dhyaan mira @Rakesh Srivastava

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