कुछ ख्वाब सजाये रखा है
घर की चार दिवारी में
मन को समझाए रखा है
घर की चार दिवारी में
सस्ते महंगे सामानों पर धूल जमी ये कहती है
सब कुछ लुटाये रखा है
घर की चार दिवारी में
बेटे की शैतानी हो बेटी का भोलापन
माँ की एक कोर से तृप्त हो जाता अन्तर्मन
घटनाओं का कालचक्र चलता घर की चार दिवारी में
एक उम्र संभाले रखा है घर की चार दिवारी में
कुछ ख्वाब सजाये रखा है
घर की चार दिवारी में
©Prabhash Chandra jha
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