क्रॉप टॉप खुले बाल बिंदियाँ , अहा
उसपे तिरछी तिरछी अँखियाँ , अहा
कोई भी एक नजर देख चहक उठे
मुस्कान जैसे सुबह की कलियाँ , अहा
ख्वाबों ख्यालों से कमरे तक वही - वही
कटे कैसे उसके बिन अब रतियाँ , अहा
उसके आते हि मौसम हँसने लगे जीने लगे
यार वो लड़की एक जादू की पूड़ियाँ , अहा
यूँ आँखों हि आँखों में बात कहना समझना
कितना अप्रीतम है उससे ऐसे बतियाँ , अहा
ये गुलाब खत क्या है ? प्रेम में पहनाऊँ उसको
अपने नाम मंगलसूत्र बिछिया नथियाँ , अहा
ना जीत पाओगे ना हार पाओगे कुणाल देखो
प्रेम क्रीड़ा में उसके संग संग सब सखियाँ , अहा
©Author kunal
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