"कभी ग़मों की धूप यहाँ पर कभी ख़ुशियों की छाया,
किसी ने सब कुछ खोया तो किसी ने सब कुछ पाया,
उठ कर गिरना, गिर कर उठना सब जीवन की माया,
बड़े जतन के बाद है मिलती यह मानव की काया,
न जाने ये हृदय ये मन सब कौन यहाँ पर लाया,
आज तलक भी ये सब बातें कोई समझ न पाया।
©words by Diya"