कभी ग़मों की धूप यहाँ पर कभी ख़ुशियों की छाया, कि | हिंदी शायरी

"कभी ग़मों की धूप यहाँ पर कभी ख़ुशियों की छाया, किसी ने सब कुछ खोया तो किसी ने सब कुछ पाया, उठ कर गिरना, गिर कर उठना सब जीवन की माया, बड़े जतन के बाद है मिलती यह मानव की काया, न जाने ये हृदय ये मन सब कौन यहाँ पर लाया, आज तलक भी ये सब बातें कोई समझ न पाया। ©words by Diya"

 कभी ग़मों की धूप यहाँ पर कभी ख़ुशियों की छाया, 
किसी ने सब कुछ खोया तो किसी ने सब कुछ पाया,
उठ कर गिरना, गिर कर उठना सब जीवन की माया, 
बड़े जतन के बाद है मिलती यह मानव की काया,
न जाने ये हृदय ये मन सब कौन यहाँ पर लाया,
आज तलक भी ये सब बातें कोई समझ न पाया।

©words by Diya

कभी ग़मों की धूप यहाँ पर कभी ख़ुशियों की छाया, किसी ने सब कुछ खोया तो किसी ने सब कुछ पाया, उठ कर गिरना, गिर कर उठना सब जीवन की माया, बड़े जतन के बाद है मिलती यह मानव की काया, न जाने ये हृदय ये मन सब कौन यहाँ पर लाया, आज तलक भी ये सब बातें कोई समझ न पाया। ©words by Diya

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#lost @Rafik Diwan Shivam Dwivedi "दुबे जी" MayanK

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