Rafik Diwan

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ना शेर ना शायरी ना कोई कहानी लिखता हूँ, फ़क़त अपने दर्द को लफ़्ज़ों की ज़ुबानी लिखता हूँ। #Nashad💔

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मणिकर्णिका मंथन

 मणिकर्णिका मंथन

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इश्क़ मैं ख़ुद को ख़्वार कर के देख लिया, दोस्तों को भी गमख़्वार कर के देख लिया। मुझे मत दिखाओ रहजनों का फ़रेब,, मैंने रहबरों पर ऐतेबार कर के देख लिया।। उसे सिखाने आया है इन्तेहा इश्क़ की,, जिसने बेइंतेहा प्यार कर के देख लिया।। ख़ुदग़र्ज हो गया अब अपनी ही सोच में,, बहुत ख़ुद को मैंने बेदार कर के देख लिया।। छीन के लेता हूँ ज़माने से हर हक़ अपना,, अपने आप को लाचार कर के देख लिया।। इक माँ ने ही देखा निगाह-ए-तस्कीन से ,, मैंने भी कभी ज़माने को घर कर के देख लिया। बंद कर दे सारे दीवार-ओ-दरीचे रफ़ीक़ दिल को बहुत समन्दर कर के देख लिया।। #Nashad💔👉👀

#Nashad💔👉👀 #शायरी  इश्क़ मैं ख़ुद को ख़्वार कर के देख लिया,
दोस्तों को भी गमख़्वार कर के देख लिया।

मुझे मत दिखाओ रहजनों का फ़रेब,,
मैंने रहबरों पर ऐतेबार कर के देख लिया।।

उसे सिखाने आया है इन्तेहा इश्क़ की,,
जिसने बेइंतेहा प्यार कर के देख लिया।।

ख़ुदग़र्ज हो गया अब अपनी ही सोच में,,
बहुत ख़ुद को मैंने बेदार कर के देख लिया।।

छीन के लेता हूँ ज़माने से हर हक़ अपना,,
अपने आप को लाचार कर के देख लिया।।

इक माँ ने ही देखा निगाह-ए-तस्कीन से ,,
मैंने भी कभी ज़माने को घर कर के देख लिया।

बंद कर दे सारे दीवार-ओ-दरीचे रफ़ीक़
दिल को बहुत समन्दर कर के देख लिया।।
#Nashad💔👉👀

#Pehlealfaaz बरसती रहमतों सी नूरानी हैं आँखे तेरी, नशीली जैसे मय कोई पुरानी हैं तेरी आँखे... देखना तुम्हें भी सर से पाँव तक इबादत है जैसे, तुम इफ्तारी रमज़ान की सहरी है तेरी आँखे... कहीं शीत लहर तो कहीं बरपाती ये क़हर हैं, शांत चाँद की छाया, लर्जे तो बिजली है तेरी आँखे.. देखकर इनको क्या देखू ज़माने के नज़ारे, इस जमी पर खुल्द की खुमारी है तेरी आँखे.. सुना था रफ़ीक़ खुदा की आई किताबे चार, ये कौन सा मुज्जसमा आसमानी है तेरी आँखे.. #Nashad💔👉👀.

#Nashad💔👉👀 #शायरी #Pehlealfaaz  #Pehlealfaaz बरसती रहमतों सी नूरानी हैं आँखे तेरी,
नशीली जैसे मय कोई पुरानी हैं तेरी आँखे...

देखना तुम्हें भी सर से पाँव तक इबादत है जैसे,
तुम इफ्तारी रमज़ान की सहरी है तेरी आँखे...

कहीं शीत लहर तो कहीं बरपाती ये क़हर हैं,
शांत चाँद की छाया, लर्जे तो बिजली है तेरी आँखे..

देखकर इनको क्या देखू ज़माने के नज़ारे,
इस जमी पर खुल्द की खुमारी है तेरी आँखे..

सुना था रफ़ीक़ खुदा की आई किताबे चार,
ये कौन सा मुज्जसमा आसमानी है तेरी आँखे.. 
#Nashad💔👉👀.

कोई सहारा नही बेसहारा हूं मैं, जग से हारा नही खुद से हारा हूं मैं। सामने मेरे डूब गई मेरी कश्तियां, कुछ ना कर पाया ऐसा किनारा हूं मैं। अश्क रहते हैं मेरे तबस्सुम निहा, सोचना मत कभी तू आवारा हूं मैं। चाहे ठुकराए ज़माना मुझे ग़म नही, माँ तो कहती हैं उसका दुलारा हूं मैं। ना कर शोखियां अपनी हुस्नो अदा पर, सुन ले तू महजबीन कवारा हूं मैं। नासमझ ना समझ मुझको जाने वफ़ा, तेरी हद से भी बढ़कर पसारा हूं मैं। मेरी कंगालियत मेरी महफ़िल रफ़ीक़, अपनी तन्हाइयो का एक रसाला हूं मैं। #Nashad💔👉👀

#तबस्सुम #दुलारा #Nashad💔👉👀 #शायरी #निहा  कोई सहारा नही बेसहारा हूं मैं,
जग से हारा नही खुद से हारा हूं मैं।

सामने मेरे डूब गई मेरी कश्तियां, 
कुछ ना कर पाया ऐसा किनारा हूं मैं।

अश्क रहते हैं मेरे तबस्सुम निहा,
सोचना मत कभी तू आवारा हूं मैं।

चाहे ठुकराए ज़माना मुझे ग़म नही,
माँ तो कहती हैं उसका दुलारा हूं मैं।

ना कर शोखियां अपनी हुस्नो अदा पर,
सुन ले तू महजबीन कवारा हूं मैं।

नासमझ ना समझ मुझको जाने वफ़ा,
तेरी हद से भी बढ़कर पसारा हूं मैं।

मेरी कंगालियत मेरी महफ़िल रफ़ीक़,
अपनी तन्हाइयो का एक रसाला हूं मैं।
#Nashad💔👉👀

अदू गुलशन का बागबाँ हो जाता हैं, चमन में खिजाओ का शमा आता हैं.. हुक्मरानों से अब शिकायत कैसे करें, मुंसिफ जब जुर्म में शामिल हो जाता हैं.. ग़ैर तो ग़ैर हैं बचकर ही निकलेंगे, घर का भेदी ही लंका को जलाता हैं... इतना आसान नही उसका संभल जाना, चोट जो इश्क़ की दिल पर खाता हैं... अहद उसने भी पढ़ा होगा बेवफ़ाई का, चलती राहों में छोड़कर कोई नहीं जाता हैं... वो मल्हार था कस्ती को डुबाकर लौटा, ख़ुदा डूबते को भी वरना बचाने आता हैं... ख़याल उसको "रफ़ीक़" बाबा का आया हैं, यूँही नही वो मुकरता चाहत से जाता हैं.... #Nashad💔👉👀

#Nashad💔👉👀 #मुंसिफ #शायरी #शामिल #अहद  अदू गुलशन का बागबाँ हो जाता हैं,
चमन में खिजाओ का शमा आता हैं..

हुक्मरानों से अब शिकायत कैसे करें,
मुंसिफ जब जुर्म में शामिल हो जाता हैं..

ग़ैर तो ग़ैर हैं बचकर ही निकलेंगे,
घर का भेदी ही लंका को जलाता हैं...

इतना आसान नही उसका संभल जाना,
चोट जो इश्क़ की दिल पर खाता हैं...

अहद उसने भी पढ़ा होगा बेवफ़ाई का,
चलती राहों में छोड़कर कोई नहीं जाता हैं...

वो मल्हार था कस्ती को डुबाकर लौटा,
ख़ुदा डूबते को भी वरना बचाने आता हैं...

ख़याल उसको "रफ़ीक़" बाबा का आया हैं,
यूँही नही वो मुकरता चाहत से जाता हैं....
#Nashad💔👉👀

हर ग़म की गमख़्वार तुम्हारी पेशानी,, उठाए बिंदिया का भार तुम्हारी पेशानी।। फ़लक़ पर ढ़ेरो चाँद सितारे सूरज हैं,, और ज़मीं का आफताब तुम्हारी पेशानी।। देते हैं लोग बोसे महबूब-ए-रुख़सार,, मैं चुम लूँ सौ सौ बार तुम्हारी पेशानी।। हुस्न के यहाँ पर लगते हैं मेले नूरानी,, हैं सब की सरताज तुम्हारी पेशानी।। क्यों करते हो बेकार जिस्म की सजावटें,, जब है जलवो से पुरनूर तुम्हारी पेशानी।। #Nashad💔👉👀

#पेशानी #Nashad💔👉👀 #शायरी  हर ग़म की गमख़्वार तुम्हारी पेशानी,,
उठाए बिंदिया का भार तुम्हारी पेशानी।।

फ़लक़ पर ढ़ेरो चाँद सितारे सूरज हैं,,
और ज़मीं का आफताब तुम्हारी पेशानी।।

देते हैं लोग बोसे महबूब-ए-रुख़सार,,
मैं चुम लूँ सौ सौ बार तुम्हारी पेशानी।।

हुस्न के यहाँ पर लगते हैं मेले नूरानी,,
हैं सब की सरताज तुम्हारी पेशानी।।

क्यों करते हो बेकार जिस्म की सजावटें,,
जब है जलवो से पुरनूर तुम्हारी पेशानी।।
#Nashad💔👉👀
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