The creativity of Anil Rathore

The creativity of Anil Rathore Lives in Bhopal, Madhya Pradesh, India

लिखता तो दिल से हूँ, #स्याही बस #साथ_निभाती है..! . जुबां अक्सर कुछ कह नहीं पाती, #कलम_ज़ज्बात_सुनाती है....! @Anil_kr93 contact: 8103095325

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दिल से रिश्ता निभाने वाले, नज़र न आये कहीं। जिंदगी हँसके बिताने वाले, नज़र न आये कहीं। हुए शरीक सभी यार मेरी खुशियों में, गम में अपना जताने वाले, नज़र न आये कहीं। बहाने दूरियों के सब तलाशते हैं बहुत, गिले-शिकवे मिटाने वाले, नज़र न आये कहीं। वफ़ाऐं लूटने का फ़न सभी ने सीख लिया, वफ़ाऐं अपनी लुटाने वाले, नज़र न आये कहीं l अपनी मजबूरियों का दुखड़ा बयाँ सबने किया, तसल्ली मन को दिलाने वाले, नज़र न आये कहीं। दिल से रिश्ता निभाने वाले, नज़र न आये कहीं। जिंदगी हँसके बिताने वाले, नज़र न आये कहीं। #Self_written ....✍️ ©The creativity of Anil Rathore

#शायरी #indianwriters #self_written #writers #Shayar  दिल से रिश्ता निभाने वाले, नज़र न आये कहीं।
जिंदगी हँसके बिताने वाले,  नज़र न आये कहीं।

हुए शरीक सभी यार मेरी खुशियों में,
गम में अपना जताने वाले, नज़र न आये कहीं।

बहाने दूरियों के सब तलाशते हैं बहुत,
गिले-शिकवे मिटाने वाले, नज़र न आये कहीं।

वफ़ाऐं लूटने का फ़न सभी ने सीख लिया, 
वफ़ाऐं अपनी लुटाने वाले, नज़र न आये कहीं l 

अपनी मजबूरियों का दुखड़ा बयाँ सबने किया, 
तसल्ली मन को दिलाने वाले, नज़र न आये कहीं।

दिल से रिश्ता निभाने वाले, नज़र न आये कहीं।
जिंदगी हँसके बिताने वाले,  नज़र न आये कहीं।
#Self_written ....✍️

©The creativity of Anil Rathore

दिल से रिश्ता निभाने वाले, नज़र न आये कहीं। जिंदगी हँसके बिताने वाले, नज़र न आये कहीं। हुए शरीक सभी यार मेरी खुशियों में, गम में अपना जताने वाले, नज़र न आये कहीं। बहाने दूरियों के सब तलाशते हैं बहुत, गिले-शिकवे मिटाने वाले, नज़र न आये कहीं।

1 Love

#Selfwrtten #LOVEGUITAR #लव

जैसे खुशियों के पल गुजरे, ऐसे ही पल हर-पल दो ना, मैं सुबहा की किरण बनूँ, तुम साँझ सा खुद को ढल दो ना, हो धूप डगर य़ा छाँव शहर, ये वादा है इक-दूजे से, मैं हाथ तुम्हारा थाम रखूँ, तुम साथ हमारे चल दो ना l कोई बात हो या कोई कहा-सुनी या नोंक-झोंक तकरार कभी, इस जनम- जनम के रिश्ते पर, पड़ सके ना कोई दरार कभी l जैसे लम्हे अब तक बीते, ऐसे ही हर एक कल दो ना,

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जब तक चल न सके तो दौड़ना सिखा रहे थे, अब दौड़ने लगे तो खींचते हैं लोग l #SelfWritten..✍️ ©The creativity of Anil Rathore

#SelfWritten #selfhate #Quotes  जब तक चल न सके 
तो दौड़ना सिखा रहे थे, 

अब दौड़ने लगे 
तो खींचते हैं लोग l
#SelfWritten..✍️

©The creativity of Anil Rathore

जब तक चल न सके तो दौड़ना सिखा रहे थे, अब दौड़ने लगे तो खींचते हैं लोग l #SelfWritten..✍️

9 Love

#PulwamaAttack कैसे भूलें हम आज का दिन, उस दिन भी आज सी सर्दी थी l गुजरा था जत्था वीरों का, जिनके संग हुई बेदर्दी थी l परखच्चे उड़े थे जिस्मों के, चिथड़ों में बिखरी बर्दी थी l वो खून के प्यासे जालिम थे, जिसने की ये नामर्दी थी l थीं देश की हर एक आँखे नम, सबके दिल में हमदर्दी थी l है फिर से नमन उन वीरों को, जिनके संग हुई बेदर्दी थी ll #SelfWriiten....✍️ ©The creativity of Anil Rathore

#PulwamaAttack #selfwriiten  #PulwamaAttack कैसे भूलें हम आज का दिन, 
उस दिन भी आज सी सर्दी थी l 

गुजरा था जत्था वीरों का, 
जिनके संग हुई बेदर्दी थी l 

परखच्चे उड़े थे जिस्मों के, 
चिथड़ों में बिखरी बर्दी थी l 

वो खून के प्यासे जालिम थे, 
जिसने की ये नामर्दी थी l 

थीं देश की हर एक आँखे नम, 
सबके दिल में हमदर्दी थी l 

है फिर से नमन उन वीरों को, 
जिनके संग हुई  बेदर्दी थी ll 

#SelfWriiten....✍️

©The creativity of Anil Rathore

कैसे भूलें हम आज का दिन, उस दिन भी आज सी सर्दी थी l गुजरा था जत्था वीरों का, जिनके संग हुई बेदर्दी थी l परखच्चे उड़े थे जिस्मों के, चिथड़ों में बिखरी बर्दी थी l

9 Love

रूके हुए से कदम वक़्त के संग चलने लगे, लोग कहते हैं कि हम फितरतें बदलने लगे l जमाना था कभी बेफिक्र हुआ करते थे हम, अब तो हर आज, कल की फ़िक्र में ही ढलने लगे l हमसे उम्मीद न अब कीजिए वफाओं की, वफ़ा के रास्ते, हद से मेरी निकलने लगे l हसरतें कागजों पर मैने लिख रखीं थी कभी, फर्ज की बारिशों में ख्वाब मेरे गलने लगे l बनके शबनम मिले थे यार मुझे राहों में, आग में नफरतों की शोले बनके जलने लगे l रूके हुए से कदम वक़्त के संग चलने लगे, लोग कहते हैं कि हम फितरतें बदलने लगे l #SelfWritten.. ✍️@Anil_kr93 ©The creativity of Anil Rathore

#SelfWritten #Shayar #gajal  रूके हुए से कदम वक़्त के संग चलने लगे,
लोग कहते हैं कि हम फितरतें बदलने लगे l 

जमाना था कभी बेफिक्र हुआ करते थे हम,
अब तो हर आज, कल की फ़िक्र में ही ढलने लगे l 

हमसे उम्मीद न अब कीजिए वफाओं  की,
वफ़ा के रास्ते, हद से मेरी निकलने लगे l 

हसरतें कागजों पर मैने लिख रखीं थी कभी, 
फर्ज की बारिशों में ख्वाब मेरे गलने लगे l 

बनके शबनम मिले थे यार मुझे राहों में, 
आग में नफरतों की शोले बनके जलने लगे l 

रूके हुए से कदम वक़्त के संग चलने लगे,
लोग कहते हैं कि हम फितरतें बदलने लगे l 
#SelfWritten.. ✍️@Anil_kr93

©The creativity of Anil Rathore

रूके हुए से कदम वक़्त के संग चलने लगे, लोग कहते हैं कि हम फितरतें बदलने लगे l जमाना था कभी बेफिक्र हुआ करते थे हम, अब तो हर आज, कल की फ़िक्र में ही ढलने लगे l हमसे उम्मीद न अब कीजिए वफाओं की, वफ़ा के रास्ते, हद से मेरी निकलने लगे l

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#septemberpoem

ये बारिश के मौसम POETRY WRITTEN BY ANIL RATHORE #septemberpoem

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