Annu Sinha

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BEFORE YOU JUDGE ME MAKE SURE THAT YOU ARE PERFECT

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बहुत भींगा ली , तेरी यादों से रूह आओ , इस बारिश में जिस्म भीगाते हैं ‌। टहनियां भी ओढ ली हरी ओढ़नी , चलो ओढ़नी के बीच ‌गुफ्तगू करते हैं । वो खिड़की गवाह है सदियों से , जिससे मेरी नयन राह तकती है तेरी। फिसलने की डर से ठहर मत जाना हर एक बूंद में तस्वीर होगी मेरी । वो पल ठहर जाए - हल्की बारिश, ठंडी हवाएं भींगा तन - संग हम दो कप चाय और मस्त होंगे हम । ©Annu Sinha

 बहुत भींगा ली , तेरी यादों से रूह 
आओ , इस बारिश में जिस्म भीगाते हैं ‌।
टहनियां भी  ओढ  ली हरी ओढ़नी  ,
चलो ओढ़नी के बीच ‌गुफ्तगू  करते हैं ।

वो खिड़की गवाह है सदियों से ,
जिससे मेरी नयन राह तकती है तेरी।
फिसलने की डर से ठहर मत जाना 
हर एक बूंद में तस्वीर होगी मेरी ।

वो पल ठहर जाए  - हल्की बारिश, ठंडी हवाएं 
भींगा तन - संग हम 
दो कप चाय
 और मस्त होंगे हम ।

©Annu Sinha

love poetry in hindi poetry on love

11 Love

होली ऐ वक्त ठहर जा , रंग दे इस पल को बेरंग सी है जींदगी , तेरे बेगैर । होली तो मैं भी मना लू ,‌ इन गिरगिटों संग पर उसमें वो बात नहीं। दस्तक तो दो तुम , फिर रंगों की बरसात होगी । ©Annu Sinha

#Holi  होली 

ऐ वक्त ठहर जा  , रंग दे इस पल को 
बेरंग सी है  जींदगी , तेरे बेगैर ।

होली तो मैं भी मना लू  ,‌ इन गिरगिटों संग 
पर उसमें वो बात नहीं।

दस्तक तो दो तुम ,
फिर रंगों की बरसात होगी ।

©Annu Sinha

होली ऐ वक्त ठहर जा , रंग दे इस पल को बेरंग सी है जींदगी , तेरे बेगैर । होली तो मैं भी मना लू ,‌ इन गिरगिटों संग पर उसमें वो बात नहीं। दस्तक तो दो तुम , फिर रंगों की बरसात होगी । ©Annu Sinha

6 Love

पहली मुलाकात 😌 मुज्तरिब - सी हो गई रूह मेरी , तेरी पहली दीदार से । निःशब्द लब्ज़ से , आंखों से ही बात हुई । तेरा यूं जुल्फें पर हाथ फेरना, हाथ चूमना - हाथ मिलाना । कमबख़्त वो पल ही गुजर गई । कुछ हसरतें थी मेरी भी - आंखों में आंखें डालकर कुछ कहना। पर , तेरी नशीली आंखों से - पलकें ही झपक गई । काश ! वह वक्त ठहर जाता , कुछ सुनती , कुछ सुनाती। एकाएक सुनाई दी हांर्न की आवाज, और चल पड़े दोनों , कुछ इस तरह पहली मुलाकात हुई । ©Annu Sinha

 पहली मुलाकात 😌

मुज्तरिब - सी हो गई रूह मेरी ,
तेरी पहली दीदार से ।
निःशब्द लब्ज़ से ,
आंखों से ही बात हुई ।

तेरा यूं जुल्फें पर हाथ फेरना,
हाथ चूमना - हाथ मिलाना ।
      कमबख़्त
वो पल ही गुजर गई ।

कुछ हसरतें थी मेरी भी -
आंखों में आंखें डालकर कुछ कहना।
पर  , तेरी नशीली आंखों से - 
पलकें ही झपक गई ।

काश ! वह वक्त ठहर जाता ,
कुछ सुनती , कुछ सुनाती।
एकाएक सुनाई दी हांर्न की आवाज, और चल पड़े दोनों ,
कुछ इस तरह पहली मुलाकात हुई ।

©Annu Sinha

पहली मुलाकात 😌 मुज्तरिब - सी हो गई रूह मेरी , तेरी पहली दीदार से । निःशब्द लब्ज़ से , आंखों से ही बात हुई । तेरा यूं जुल्फें पर हाथ फेरना, हाथ चूमना - हाथ मिलाना । कमबख़्त वो पल ही गुजर गई । कुछ हसरतें थी मेरी भी - आंखों में आंखें डालकर कुछ कहना। पर , तेरी नशीली आंखों से - पलकें ही झपक गई । काश ! वह वक्त ठहर जाता , कुछ सुनती , कुछ सुनाती। एकाएक सुनाई दी हांर्न की आवाज, और चल पड़े दोनों , कुछ इस तरह पहली मुलाकात हुई । ©Annu Sinha

11 Love

हीरा नहीं तुम पत्थर ही रहना पर मंदिर में लगी मूर्तियों की । ©Annu Sinha

#Quotes  हीरा नहीं

तुम पत्थर ही रहना
पर 
मंदिर में लगी मूर्तियों की ।

©Annu Sinha

💓💓

9 Love

अलविदा २०२३ कुछ गैरों ने हाथ थामा , तो कुछ अपने छोड़ गए । अच्छा हुआ - यह साल बीत गया । इस वर्ष की सफर में, कभी धूप तो कभी छांव आए । अच्छा हुआ - यह साल बीत गया। चाहत थी आकाश छूने की - पर डाउनफॉल् ने गले लगा लिया । अच्छा हुआ - यह साल बीत गया । ©Annu Sinha

#humantouch  अलविदा २०२३


कुछ गैरों ने हाथ थामा ,
तो कुछ अपने  छोड़ गए  ।
अच्छा हुआ - यह साल बीत गया ।

इस वर्ष की सफर में, 
कभी धूप तो कभी छांव आए ।
अच्छा हुआ - यह साल बीत गया।

चाहत थी आकाश छूने की - 
पर डाउनफॉल् ने गले लगा लिया ।
अच्छा हुआ - यह साल बीत गया ।

©Annu Sinha

#humantouch

13 Love

😔 अधूरा ख्वाब मोहब्बत भी उससे है , जो हमसे अंजान है । एकतरफा मोहब्बत भांति नहीं मुझे , इसलिए उसकी तलाश में हैं । ए वक्त उसकी पता बता - जिसकी नशा बेमिसाल है । थक चुकी उसकी बेवफाई से , वफ़ा की रंग में रंगना है उसे । सूर्य की किरणें से , ढलती शाम में ढूंढती हूं । पर तू अमावस्य हो जाती हैं । निर्दयी भी नहीं तुम , पर नाराज़ हो जरूर । वादा है मेरा - कल आओगी मुझसे मिलने‌ , पूर्णिमा बनकर । ©Annu Sinha

#BookLife  😔 अधूरा ख्वाब   

मोहब्बत भी उससे है ,
जो हमसे अंजान है ।
एकतरफा मोहब्बत भांति नहीं मुझे ,
इसलिए उसकी तलाश में हैं ।

ए वक्त उसकी पता बता - 
जिसकी नशा बेमिसाल है ।
थक चुकी उसकी बेवफाई से ,
वफ़ा की रंग में रंगना है उसे ।

सूर्य की किरणें से ,
ढलती शाम में ढूंढती हूं  ।
पर              तू  
अमावस्य हो जाती हैं ।

निर्दयी भी नहीं तुम ,
पर नाराज़ हो जरूर ।
वादा है मेरा - कल आओगी 
मुझसे मिलने‌ , पूर्णिमा बनकर ।

©Annu Sinha

#BookLife 💓💓

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