Anirudh Tyagi

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मैं उस दिन से नहीं डरता जब मेरे पास कहने के लिए बहुत कुछ है पर तुम सुनने के लिए नहीं हो, मैं डरता हूं उस दिन से जब तुम सुनने के लिए रहोगे पर मेरे पास कहने के लिए कुछ नहीं होगा! ©Anirudh Tyagi

#शायरी #brothersday  मैं उस दिन से नहीं डरता जब मेरे पास कहने के लिए बहुत कुछ है पर तुम सुनने के लिए नहीं हो,

मैं डरता हूं उस दिन से जब तुम सुनने के लिए रहोगे पर मेरे पास कहने के लिए कुछ नहीं होगा!

©Anirudh Tyagi

चाह कर देखिए किसी को, यूँ ही बेवजह, बेइन्तहा...!! रूह को आएगा सुकून यकीनन, मगर आहिस्ता आहिस्ता...!! ©Anirudh Tyagi

#शायरी #mohhbat #bepanah #beyhad #Pyar  चाह कर देखिए किसी को, यूँ ही बेवजह, बेइन्तहा...!!

रूह को आएगा सुकून यकीनन, मगर आहिस्ता आहिस्ता...!!

©Anirudh Tyagi

उससे मुलाकात हुए तो 1 साल और 70 दिन बीत चुके है, मगर फेसबुक पर उसे देखने दिन के 8 आठों पहर जाते है हम। कुछ मिलता नही है सिवाए तकलीफ के, मगर ये आदत कुछ ऐसी है कि छोड़ भी नही पा रहा हूँ मैं। उसे देखते हुए अनजाने सपनों में आज भी खो जाता हूँ, एक पल याद भी नही रहता कि वो अब किसी और कि बन चुकी है। सहसा दिमाग मे ये बात उठती है और फ़ोन के बैक होने का बटन इतनी जोर जोर से दबाते है जैसे कोई गुनाह कर दिया हो और भागने के लिए दरवाजा खोल रहे हो। जब पूरी तरह बैक हो जाते है तो फ़ोन साइड में रख कर सर पकडते हुए इस बीते हुए साल के सारी घटनाएं एक एक करके आँखों के सामने नाचने लगती है। दिल जोरों से धड़कने लगता है, और न चाह कर भी आंखों से आंसुओ की लड़ी छूट जाती है । रात के अंधेरों में खुद को खुद ही संभाल के कहना पड़ता है " जो हुआ अच्छा हुआ वो खुश है अब उसके साथ, उसकी खुशी के लिए ही तो मानी थी उसकी सारी जिदें बस इसी उधेड़बुन में रात बीत जाती है । सुबह होते ही वापस इस जिंदगी में खो जाते है मगर भूल जाते है फिर शाम होगी फिर रात होगी और फिर ये कारवाँ चलता रहेगा, चलता रहेगा, चलता ही रहेगा । ©Anirudh Tyagi

#Annyanity #mohhbat #bepanah #beyhad #pyaar  उससे  मुलाकात हुए तो 1 साल और 70 दिन बीत चुके है, मगर फेसबुक पर उसे देखने दिन के 8 आठों पहर जाते है हम। कुछ मिलता नही है सिवाए तकलीफ के, मगर ये आदत कुछ ऐसी है कि छोड़ भी नही पा रहा हूँ मैं।  उसे देखते हुए अनजाने सपनों में आज भी खो जाता हूँ, एक पल याद भी नही रहता कि वो अब किसी और कि बन चुकी है। सहसा दिमाग मे ये बात उठती है और फ़ोन के बैक होने का बटन इतनी जोर जोर से दबाते है जैसे कोई गुनाह कर दिया हो और भागने के लिए दरवाजा खोल रहे हो। जब पूरी तरह बैक हो जाते है तो फ़ोन साइड में रख कर सर पकडते हुए इस बीते हुए साल के सारी घटनाएं एक एक करके आँखों के सामने नाचने लगती है। दिल जोरों से धड़कने लगता है, और न चाह कर भी आंखों से आंसुओ की लड़ी छूट जाती है । रात के अंधेरों में खुद को खुद ही संभाल के कहना पड़ता है " जो हुआ अच्छा हुआ वो खुश है अब उसके साथ, उसकी खुशी के लिए ही तो मानी थी उसकी सारी जिदें बस इसी उधेड़बुन में रात बीत जाती है ।
सुबह होते ही वापस इस जिंदगी में खो जाते है
मगर भूल जाते है फिर शाम होगी फिर रात होगी और फिर ये कारवाँ चलता रहेगा, चलता रहेगा, चलता ही रहेगा ।

©Anirudh Tyagi

❤ दर्द ए जिगर यूँ तो गुज़र रहा है हर इक पल ख़ुशी के साथ फिर भी कोई कमी सी है, क्यों ज़िन्दगी के साथ रिश्ता, वफ़ाएँ, दोस्ती, सब कुछ तो पास है क्या बात है पता नहीं, दिल क्यों उदास है हर लम्हा है हसीं, नयी दिलकशी के साथ चाहत भी है, सुकून भी है, दिलबरी भी है आँखों में ख़्वाब भी है, लबों पर हँसी भी है दिल को नहीं है कोई शिकायत किसी के साथ सोचा था जैसा वैसा ही जीवन तो है मगर अब और किस तलाश में बेचैन है नज़र कुदरत तो मेहरबान है, दरियादिली के साथ ©Anirudh Tyagi

 ❤ दर्द ए जिगर 

यूँ तो गुज़र रहा है हर इक पल ख़ुशी के साथ
फिर भी कोई कमी सी है, क्यों ज़िन्दगी के साथ

रिश्ता, वफ़ाएँ, दोस्ती, सब कुछ तो पास है
क्या बात है पता नहीं, दिल क्यों उदास है
हर लम्हा है हसीं, नयी दिलकशी के साथ

चाहत भी है, सुकून भी है, दिलबरी भी है
आँखों में ख़्वाब भी है, लबों पर हँसी भी है
दिल को नहीं है कोई शिकायत किसी के साथ

सोचा था जैसा वैसा ही जीवन तो है मगर
अब और किस तलाश में बेचैन है नज़र
कुदरत तो मेहरबान है, दरियादिली के साथ

©Anirudh Tyagi

❤ दर्द ए जिगर यूँ तो गुज़र रहा है हर इक पल ख़ुशी के साथ फिर भी कोई कमी सी है, क्यों ज़िन्दगी के साथ रिश्ता, वफ़ाएँ, दोस्ती, सब कुछ तो पास है क्या बात है पता नहीं, दिल क्यों उदास है हर लम्हा है हसीं, नयी दिलकशी के साथ चाहत भी है, सुकून भी है, दिलबरी भी है आँखों में ख़्वाब भी है, लबों पर हँसी भी है दिल को नहीं है कोई शिकायत किसी के साथ सोचा था जैसा वैसा ही जीवन तो है मगर अब और किस तलाश में बेचैन है नज़र कुदरत तो मेहरबान है, दरियादिली के साथ ©Anirudh Tyagi

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बाहर हों रहीं हैं बारिश अंदर भीग रहें हम उफ्फ! तेरी यादें भी न जानें कब होंगी कम....!!! ©Anirudh Tyagi

#शायरी  बाहर हों रहीं हैं बारिश अंदर भीग रहें हम
उफ्फ! तेरी यादें भी न जानें कब होंगी कम....!!!

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बाहर हों रहीं हैं बारिश अंदर भीग रहें हम उफ्फ! तेरी यादें भी न जानें कब होंगी कम....!!!

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