VAIRAGI

VAIRAGI Lives in Delhi, Delhi, India

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#कविता #Tulips  सुरूर - ए - इल्म तबीयत उदास करती है। 
सो अक़्लमंदो की सोहबत, उदास करती है। 

तुम्हें तो फ़िक्र है सोने के भाव बढ़ने का,
हमें तो दाल की क़ीमत उदास करती है। 

तिलिस्म ए यार ही इतना हसीन है कि मुझे,
विसाल - ए - यार की हसरत उदास करती है। 

वो ख़ुशमिज़ाज मुझे कल मिला सिसकते हुए,
कहा था उसको मोहब्बत उदास करती है। 

ये ज़हनी ख़्वाब तुम नमाज़ियों को ही हो अता,
हम मयक़शों को तो जन्नत उदास करती है। 

तसव्वुरात के हर शय को समझने की हनक,
मेरे हुज़ूर; ये आदत उदास करती है।

©VAIRAGI

#Tulips

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#शायरी #valentinesweek #kissday  उसका माथा चूम लिया है लब तक आना बाक़ी है। 
आधी दुनिया घूम चुका हूं आधी दुनिया बाक़ी है।

©VAIRAGI

आपने अपनी ज़िंदगी में जो सबसे ख़ुबसूरत ख़्वाब देखा होगा उसकी कभी ताबीर नहीं होगी! आप जिस शख़्स को जुनूं की हद तक चाहोगे, वो कभी आपका नहीं हो पाएगा! आपने जिस परीक्षा के लिए सबसे ज़्यादा मेहनत की होगी वो आपसे नहीं निकलेगा! आपने जिसके पीछे सारी उम्र खपाने का सोचा है यक़ीन मानिए वो आपके वास्ते लम्हा भी खर्च करने को तैयार नहीं होगा! आप जिसके लिए ख़ुद से मिलों दूर निकल जाएंगें, वो आपकी तरफ दो क़दम भी नहीं बढ़ाएगा! ज़िंदग़ी का एक उसूल है कि किसी को कभी अपना सर्वोच्च नहीं मिल सकता! आप हमेशा अधुरे रहेंगें क्योंकि; मुकम्मल होना 'शून्य' हो जाना है! ©VAIRAGI

#ज़िन्दगी #FindingOneself  आपने अपनी ज़िंदगी में जो सबसे ख़ुबसूरत ख़्वाब देखा होगा
उसकी कभी ताबीर नहीं होगी!
आप जिस शख़्स को जुनूं की हद तक चाहोगे,
 वो कभी आपका नहीं हो पाएगा!
आपने जिस परीक्षा के लिए सबसे ज़्यादा मेहनत की होगी
वो आपसे नहीं निकलेगा!
आपने जिसके पीछे सारी उम्र खपाने का सोचा है
यक़ीन मानिए वो आपके वास्ते लम्हा भी खर्च करने को तैयार नहीं होगा!
आप जिसके लिए ख़ुद से मिलों दूर निकल जाएंगें,
वो आपकी तरफ दो क़दम भी नहीं बढ़ाएगा!
ज़िंदग़ी का एक उसूल है कि किसी को कभी अपना सर्वोच्च नहीं मिल सकता! 
आप हमेशा अधुरे रहेंगें क्योंकि;

मुकम्मल होना 'शून्य' हो जाना है!

©VAIRAGI

Poetry Night With Vairagi

Poetry Night With Vairagi

Sunday, 26 June | 09:00 pm

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जो जब चाहे अंदर - बाहर होता है, अपना दिल भी इक सरकारी दफ़्तर हैं। ©VAIRAGI

#शायरी  जो जब चाहे अंदर - बाहर होता है,
अपना दिल भी इक सरकारी दफ़्तर हैं।

©VAIRAGI

जो जब चाहे अंदर - बाहर होता है, अपना दिल भी इक सरकारी दफ़्तर हैं। ©VAIRAGI

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तुम्हारा और मेरा वास्ता बस नींद तक ही है, तू मेरा‌ ख़्वाब थी जिसको हक़ीक़त मैं समझ बैठा। ©VAIRAGI

#शायरी #vairagism  तुम्हारा और मेरा वास्ता बस नींद तक ही है,
तू मेरा‌ ख़्वाब थी जिसको हक़ीक़त मैं समझ बैठा।

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#vairagism

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