kashish(kavita)

kashish(kavita) Lives in Jaipur, Rajasthan, India

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सुनो! फिर तुम्हें कभी लौटकर आना हो तो इस बार पगडंडियों से आना सड़कों पर भीड़ बहुत है kavita ©kashish(kavita)

#WorldPoetryDay  सुनो! फिर तुम्हें कभी लौटकर आना हो तो इस बार
पगडंडियों से आना सड़कों पर भीड़ बहुत है

kavita

©kashish(kavita)

आंखें मेरी सोई है हर रात में पर ख्वाब मेरे जागे है तेरे इंतज़ार में kavita ©kashish(kavita)

 आंखें मेरी सोई है हर रात में 

 पर ख्वाब मेरे जागे है तेरे इंतज़ार में

kavita

©kashish(kavita)

आंखें मेरी सोई है हर रात में पर ख्वाब मेरे जागे है तेरे इंतज़ार में kavita ©kashish(kavita)

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अभी भी मेरी कलम और डायरी हर रात तुम्हारे बारे में गुफ्तगू करती है ©kashish(kavita)

 अभी भी मेरी कलम और डायरी हर रात
तुम्हारे बारे में गुफ्तगू करती है

©kashish(kavita)

अभी भी मेरी कलम और डायरी हर रात तुम्हारे बारे में गुफ्तगू करती है ©kashish(kavita)

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सुनो! आज तुम्हें फिर क्यों मेरी जरूरत पड़ गई है लगता है नयी मोहब्बत की डोरी ढीली पड़ गई है या फिर सच कहो कि तुम्हें बेवफाई की आदत पड़ गई है ©kashish(kavita)

#hills  सुनो! आज तुम्हें फिर क्यों मेरी जरूरत पड़ गई है

लगता है नयी मोहब्बत की डोरी ढीली पड़ गई है

या फिर सच कहो कि तुम्हें बेवफाई की आदत पड़ गई है

©kashish(kavita)

#hills

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आज तुम ना पूछो कि दिल क्यों उदास है दगा के चेहरे से उतरा मोहब्बत का लिबास है kavita ©kashish(kavita)

#HappyNewYear  आज तुम ना पूछो कि दिल क्यों उदास है
दगा के चेहरे से उतरा मोहब्बत का लिबास है
kavita

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बाप के घर मे मैं नाजों पली पिया के घर मे मैं हर सांचे में ढली कभी हाथ जले तो कभी रोटी जली जिम्मेदारियां उठाते उठाते उम्र ढली जब भी आंखें भरी तब तब मां की कमी खली kavita ©kashish(kavita)

#vacation  बाप के घर मे मैं नाजों पली
पिया के घर मे मैं हर सांचे में ढली
कभी हाथ जले तो कभी रोटी जली
जिम्मेदारियां उठाते उठाते उम्र ढली
जब भी आंखें भरी तब तब मां की कमी खली
kavita

©kashish(kavita)

#vacation

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