Deepti Sengar

Deepti Sengar Lives in Fatehgarh, Uttar Pradesh, India

बस एक ख्वाहिश है जिंदगी में अब तो,, की हाथो में मेरे जाम हो ,, मेरे दोस्तो के साथ वो शाम हो, वो जिंदगी की आखिरी शाम हो बस वही शाम मेरे दोस्तो के नाम हो

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#कविता #FathersDay #BeatMusic

पिता नारियल की तरह होता है गर्मी की धूप में, एक वृक्ष छांव का होता है पिता नारियल की तरह होता है किसी के सामने नहीं रोता है, अकेले में भले परेशान होता है पिता नारियल की तरह होता है ©Deepti Sengar

#विचार #foryoupapa #Papa  पिता नारियल की तरह होता है 
गर्मी की धूप में, एक वृक्ष छांव का होता है 
पिता नारियल की तरह होता है 
किसी के सामने नहीं रोता है,
 अकेले में भले परेशान होता है
 पिता नारियल की तरह होता है

©Deepti Sengar

रूह कांपा दि गोरों कि, वह आंधी बन कर आई थी मणिकर्णिका ज्वाला बन के, वाराणसी से आई थी भगवान नहीं थी यारों वो, झांसी की लक्ष्मीबाई थी तात्या कि वो शिष्य थी, बाबा की मनु पराई थी सन् 1842 में, वो रानी बनकर छाई थी बन झांसी की रानी फिर, गोरी से लड़ी लड़ाई थी भगवान नहीं थी यारों वो, रानी लक्ष्मीबाई थी सन् 1857 गोरों की आफत आई थी जो सामत उनकी लाई थी, वो रानी लक्ष्मीबाई थी अपनों से वह हारी थी, पर गोरों को धूल चटाई थी नींद उड़ी थी गोरों की, जान पे जो बनाई थी, ना काली ना दुर्गा वो, झांसी की लक्ष्मीबाई थी दो धारी तलवार चलाकर, युद्ध भूमि में छाई थी दोनों हाथ में अस्त्र लिए, जैसे काली बन कर आई थी सन् 1858 में, अंतिम लड़ी लड़ाई थी 30 वर्ष की रानी ने फिर खुद की चिता जलाई थी भगवान नहीं थी यारों वो, रानी लक्ष्मीबाई थी ©Deepti Sengar

#कविता #jhasikirani #laxmibai  रूह कांपा दि गोरों  कि, वह आंधी बन कर आई थी
 मणिकर्णिका ज्वाला बन के, वाराणसी से आई थी
भगवान नहीं थी यारों वो, झांसी की लक्ष्मीबाई थी
तात्या कि वो शिष्य थी, बाबा की मनु पराई थी
सन् 1842 में, वो रानी बनकर छाई थी
बन झांसी की रानी फिर, गोरी से लड़ी लड़ाई थी
भगवान नहीं थी यारों वो,  रानी लक्ष्मीबाई थी
सन् 1857 गोरों की आफत आई थी
 जो सामत उनकी लाई थी, वो रानी लक्ष्मीबाई थी
अपनों से वह हारी थी, पर गोरों को धूल चटाई थी
नींद उड़ी थी गोरों की, जान पे जो बनाई थी,

ना काली ना दुर्गा वो, झांसी की लक्ष्मीबाई थी
दो धारी तलवार चलाकर, युद्ध भूमि में छाई  थी
दोनों हाथ में अस्त्र लिए, जैसे काली बन कर आई थी
सन् 1858 में, अंतिम लड़ी लड़ाई थी 
30 वर्ष की रानी ने फिर खुद की चिता जलाई थी
 भगवान नहीं थी यारों वो, रानी लक्ष्मीबाई थी

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जब बीमारी हुई थी मां तू, तुझे खोने का डर, सताता बहुत था । तेरे बिना कैसी होगी जिंदगी, सोच कर ये दिल, घबराता बहुत था ।। पहली शिक्षक, पहला प्यार, पहला आगाज है, मां तू । जिंदगी की हर पहली, शुरुआत है मां तू।। ©Deepti Sengar

#MothersDay  जब बीमारी हुई थी मां तू, 
तुझे खोने का डर, सताता बहुत था ।
तेरे बिना कैसी होगी जिंदगी, सोच कर ये दिल, घबराता बहुत था ।।
पहली शिक्षक, पहला प्यार, पहला आगाज है, मां तू ।
जिंदगी की हर पहली, शुरुआत है मां तू।।

©Deepti Sengar

#MothersDay

19 Love

सबकी शिकायत एक दिन दूर हो जाएगी, दीप नहीं हैं इस दुनिया में, जब ये बात मशहूर हो जाएगी ! बड़ी बेचैनी से इंतजार है उस दिन का, जब दीप बस नाम की हो जाएगी !! सबकी शिकायत उस दिन दूर हो जाएगी !! ©Deepti Sengar

#lifeafterdeath #Death  सबकी शिकायत एक दिन दूर हो जाएगी,
दीप नहीं हैं इस दुनिया में, जब ये बात मशहूर हो जाएगी !
बड़ी बेचैनी से इंतजार है उस दिन का,  जब दीप बस नाम की हो जाएगी !!
सबकी शिकायत उस दिन दूर हो जाएगी !!

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हाथी गिर गया, साईकिल टूटी, भईया रह गए दंग, चौक के सब भाभी को देखे, भाभी आ गई संग पता चला है, पता चला है, भईया मुंह छुपाएंगे ! अबकी बार, तो फिर से देखो, योगी जी ही आयेगे !! सामने सबके आ चुके हैं, साईकिल के सब रंग ! जनता अब भी भक्त बनी हैं योगी जी के संग ©Deepti Sengar

#HappyBirthdayYogiJi  हाथी गिर गया, साईकिल टूटी, भईया रह गए दंग,
चौक के सब भाभी को देखे, भाभी आ गई संग
पता चला है, पता चला है, भईया मुंह छुपाएंगे !
अबकी बार, तो फिर से देखो, योगी जी ही आयेगे !!
सामने सबके आ चुके हैं, साईकिल के सब रंग !
जनता अब भी भक्त बनी हैं योगी जी के संग

©Deepti Sengar
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