Tariq Azeem 'Tanha'

Tariq Azeem 'Tanha' Lives in Ghurdauri, Uttarakhand, India

Write In Urdu And Hindi. Writing Songs, Poems, Gazals, Nazms, Lyricist.

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#शायरी #nojotourdu #nojohindi #holi2024 #Holi  Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. लगाएँगे तेरे चेहरे पे इतना ज़ियाद रंग,
उभरेगा तेरे चेहरे पे फिर से मफ़ाद रंग। 

बहारों में एक साज़ है और गुल है नग़मा-सर,
देते है जश्ने-रंग की सब ही तो दर्द रंग। 

सेहरा है चार-सू कहीं दरिया भी तो नहीं,
मेरी है ज़ीस्त इन दिनों मुश्किल-कुशाद रंग। 

ब'अद जो मेरे मरने के पूछा कि उसने हाय!,
लगाएँगे किसको फ़ाख्ता हम तेरे बाद रंग। 

ऐ अहले-वतन, ऐ मेरे सब अज़ीज़ दोस्तों,
हर खुशी तुम्हें मुबारक ओ मुबारकबाद रंग। 

हुज़ूमे-शहर में लैला पे बस रंगे-क़ैस था,
शीरी पे था बस एक ही यानी फ़रहाद रंग।

तारिक़ अज़ीम 'तनहा'

©Tariq Azeem 'Tanha'
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जो घर से तुम चलो सादिक़ दुआ के साथ भी रहना, तसलसुल तोड़ देना गर खुदा के साथ भी रहना। चराग़ों की तरह गर जलो तो याद भी रखना, क़लाम-ए-तूफां कर लेना, हवा के साथ भी रहना। वो गरचे तुझको राहों में कहीं यूँ मिल भी जायें तो, खुश-आज़िज़ करना उनको और बिठा के साथ भी रहना।

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जब चुपचाप रहता हूँ, ख़ामुशी बोल पड़ती है, जब से सेहरा में आया हूँ, तिश्नगी बोल पड़ती है। मेरी बातें नहीं सुनते, मुझसे तुम क्यों रूठे रूठे हो, ये गलती जो तुम्हारी है, वो आखिरी बोल पड़ती है। वो जब खामोश हो जाये, तब नज़रें बातें करती है, जब उनसे बोलता हूं तो नज़रें सुरमई बोल पड़ती है। कोई अपना जो मिल जाये, ख़िज़ाँ में फूल खिल जाये, जो कोई चाहने वाला हो, बेख़ुदी बोल पड़ती है। कोई अपना नहीं प्यारे, है यहाँ सब मतलबी रिश्ते, ज़रा सा काम जो पड़ जाये, दुश्मनी बोल पड़ती है। किसी मौके पे हो चाहे, लगाना जब ये चौके चाहे, मेरा गर मन भी न हो तो शायरी बोल पड़ती है। माँ के पास जाना तुम, गले उसको लगाना तुम, तुम्हें चलना सिखाया है, ये उंगली बोल पड़ती है। 'तनहा' के बारे में, मैं कुछ तुमको बताऊँ यूँ उसके अंदर की बरहमी भी, आज़िज़ी बोल पड़ती है। ©Tariq Azeem 'Tanha'

#urdushayarilovers #शायरी #KumarVishwas #hindishayari #jashnerekhta #rahatindori  जब चुपचाप रहता हूँ, ख़ामुशी बोल पड़ती है,
जब से सेहरा में आया हूँ, तिश्नगी बोल पड़ती है।

मेरी बातें नहीं सुनते, मुझसे तुम क्यों रूठे रूठे हो,
ये गलती जो तुम्हारी है, वो आखिरी बोल पड़ती है।

वो जब खामोश हो जाये, तब नज़रें बातें करती है,
जब उनसे बोलता हूं तो नज़रें सुरमई बोल पड़ती है।

कोई अपना जो मिल जाये, ख़िज़ाँ में फूल खिल जाये,
जो कोई चाहने वाला हो, बेख़ुदी बोल पड़ती है।

कोई अपना नहीं प्यारे, है यहाँ सब मतलबी रिश्ते,
ज़रा सा काम जो पड़ जाये, दुश्मनी बोल पड़ती है।

किसी मौके पे हो चाहे, लगाना जब ये चौके चाहे,
मेरा गर मन भी न हो तो शायरी बोल पड़ती है।

माँ के पास जाना तुम, गले उसको लगाना तुम,
तुम्हें चलना सिखाया है, ये उंगली बोल पड़ती है।

'तनहा' के बारे में, मैं कुछ तुमको बताऊँ यूँ
उसके अंदर की बरहमी भी, आज़िज़ी बोल पड़ती है।

©Tariq Azeem 'Tanha'

कोई है जो सैलाबों-तूफां के मुक़ाबिल हो, कोई है जो लहरों से लड़ने का ज़ज़्बा रखे। तारिक़ अज़ीम 'तनहा' ©Tariq Azeem 'Tanha'

#शायरी  कोई है जो सैलाबों-तूफां के मुक़ाबिल हो,
कोई है जो लहरों से लड़ने का ज़ज़्बा रखे।

तारिक़ अज़ीम 'तनहा'

©Tariq Azeem 'Tanha'

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