#तीन_लफ्ज़
अपने दिल की कलम को,इन आँसुओ की स्याही में डूब लिख रहा हु एक ख़त,
किसी के कोरे मन पर ,
कर रहा हूँ दुआ......
उस मर्ज की दवा की ,
जिसका इलाज केवल उस गुमनाम के पास है....
उस एक एहसास की,
जो सिर्फ उसके पास होने से मिलती है.......
उस एक झरोखे की,
जो बना सके मुझे कायल किसी का...
उस एक साथ की ,
जो मिटा सके मेरे दिल के अधूरेपन को.....
उस चांदनी रात की,
जो बन सके ढेरों अमावस का सहारा.....
उस एक तीर की ,
जो भेद सके मेरे दिल को .........
उस एक शायरी की,
जो करवा सके रूबरू किसी के हाल-ए-दिल से..
उस एक जस्बात की ,
जो मिटा हमारे सके सारे गिले -शिकवे.....
उस एक टकराहट की,
जो बन सके दिल की बातो का जरिया.....
उन तीन लफ्ज़ो की,
जो निभा सके मेरा साथ जीवन भर.....
इंतज़ार है तो बस किसी के जवाब का।
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