JS GURJAR

JS GURJAR Lives in Gwalior, Madhya Pradesh, India

अपने बारे मैं कम लिखती हूँ दूसरों का दुःख और दर्द लिखती हूँ कोई कवयित्री नहीं हूँ बस एक छोटी सी लेखिका हूँ हो जाए मेरी कलम से कोई भूल तो मुझे माफ़ करना।🙏🙏 https://youtube.com/@Cutytalks जे. एस. गुर्जर परिचय:- नाम- जे. एस. गुर्जर रुचि- संगीत एवं साहित्य प्रकाशित रचनाएँ- विभिन्न साझा संकलन और पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित सम्मान- विभिन्न सोशल मीडिया प्रतियोगिता में सम्मानित

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लोग तस्वीर देख के कहते हैं बहुत खुशनसीब हो तुम तस्वीर के पीछे की क्या सचाई हैं ये किसे पता,,,,,,, ©JS GURJAR

#विचार #Problems  लोग तस्वीर देख के कहते हैं 
बहुत खुशनसीब हो तुम
तस्वीर के पीछे की क्या सचाई हैं
ये किसे पता,,,,,,,

©JS GURJAR

#Problems

18 Love

White मेरे साथ रहने वाली परछाई हो तुम मेरी जान लेने वाली जुदाई हो तुम मेरी सांसो मे बजती सहनाई हो तुम मेरे साथ रहने वाली तन्हाई हो तुम ......... ©JS GURJAR

#शायरी #Couple  White मेरे साथ रहने वाली परछाई हो तुम
मेरी जान लेने वाली जुदाई हो तुम
मेरी सांसो मे बजती सहनाई हो तुम
मेरे साथ रहने वाली तन्हाई हो तुम
.........

©JS GURJAR

#Couple

15 Love

तुम सूरत की बात करते हो हम सीरत की बात करते हैं तुम रोज जीते हो अपनी जिन्दगी और हम रोज नई मौत मरते हैं ©JS GURJAR

#शायरी #sugarcandy  तुम सूरत की बात करते हो
 हम सीरत की बात करते हैं
तुम रोज जीते हो अपनी जिन्दगी 
और हम रोज नई मौत मरते हैं

©JS GURJAR

#sugarcandy

15 Love

ram lala ayodhya mandir राम राम राम जय श्री राम जय श्री राम राम राम राम जय श्री राम जय श्री राम राम नाम का ही बस सौर हैं छाया कोहरा देखो घंघोर हैं कोहरे का अंधेरा छट करके हुई राम नाम की ही भोर हैं राम नाम का डंक्का बाजे अयोध्या मे श्री राम विराजे सबके मुख पे श्री राम साजे हैं राम नाम देखो अनमोल है राम नाम की जो कीमत जाने वो बस जय श्री राम को माने राम नाम राम नाम जय श्री राम उसके बस जीव पे आवे राम राम राम जय श्री राम कहते कहते भक्त अयोध्या जाये आते जाते आते जाते बस मुख से सिर्फ श्री राम ही गाये स्वर्चित एवं मौलिक रचना- ज्योति गुर्जर "सेव्या" ग्वालियर, मध्य प्रदेश ©JS GURJAR

#ramlalaayodhyamandir #Raam  ram lala ayodhya mandir राम राम राम जय श्री राम जय श्री राम
राम राम राम जय श्री राम जय श्री राम

राम नाम का ही बस सौर हैं
छाया कोहरा देखो घंघोर हैं
कोहरे का अंधेरा छट करके
हुई राम नाम की ही भोर हैं

राम नाम का डंक्का बाजे
अयोध्या मे श्री राम विराजे
सबके मुख पे श्री राम साजे हैं
राम नाम देखो अनमोल है

राम नाम की जो कीमत जाने
वो बस जय श्री राम को माने
राम नाम राम नाम जय श्री 
राम उसके बस जीव पे आवे

राम राम राम जय श्री राम
कहते कहते भक्त अयोध्या जाये
आते जाते आते जाते बस 
मुख से सिर्फ श्री राम ही गाये

स्वर्चित एवं मौलिक रचना-
ज्योति गुर्जर "सेव्या"
ग्वालियर, मध्य प्रदेश

©JS GURJAR

अपनी राह अलग बनाते हैं बहुत हुआ अब रोना धोना बहुत हुआ लड़ना झगड़ना सब कुछ छोड़ छाड़ करके अपनी राह अलग बनाते हैं रिश्ते नाते सब बीती बाते वक्त पे कोई काम ना आते सबकी चाह छोड़ करके अपनी राह अलग बनाते हैं अपनो से मुह मोड लिया रिश्तों से नाता तोड़ लिया सब से मोह छोड़ दिया मैने चलो हुए घाव को भरते हैं अपनी राह अलग बनाते हैं दुस्मन लगते हैं सब मुझे मुह पे मीठा बोलने वाले पीठ पीछे बोलने बाले सब दिखते है जहर घोलने बाले स्वरचित एवं मौलिक रचना - ज्योति गुर्जर "सेव्या" ©JS GURJAR

#ballet  अपनी राह अलग बनाते हैं

बहुत हुआ अब रोना धोना
बहुत हुआ लड़ना झगड़ना
सब कुछ छोड़ छाड़ करके
अपनी राह अलग बनाते हैं

रिश्ते नाते सब बीती बाते
वक्त पे कोई काम ना आते
सबकी चाह छोड़ करके
अपनी राह अलग बनाते हैं

अपनो से मुह मोड लिया
रिश्तों से नाता तोड़ लिया
सब से मोह छोड़ दिया मैने
चलो हुए घाव को भरते हैं
अपनी राह अलग बनाते हैं


दुस्मन लगते हैं सब मुझे
मुह पे मीठा बोलने वाले
पीठ पीछे बोलने बाले सब
दिखते है जहर घोलने बाले
स्वरचित एवं मौलिक रचना - 
ज्योति गुर्जर "सेव्या"

©JS GURJAR

#ballet

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शीर्षक- ना जाने कहाँ मैं ना जाने कहाँ मैं किधर गई हूँ कुछ रिश्तों मे मैं मिटर गई हूँ रोना धोना खूब किया मैने जो भी दिखा अपना उसी से रो लिपट गई हूँ ना जाने कहाँ मैं किधर गई हूँ.......... हर किसी ने देखो तोडा मुझको ना जाने कहाँ लाके छोड़ा मुझको राह नही हैं जहाँ से बापस आने की ना जाने कौनसी राह पे मोड़ा मुझको ना जाने कहाँ मैं किधर गई हूँ.......... सबकी आँखों मे मैं खटक रही हूँ कंकर बन करके मैं करक रही हूँ फिर भी देखो मैं मौज मे जीती हूँ सबको जला करके मटक रही हूँ ना जाने कहाँ मैं किधर गई हूँ.......... वेबस सी मैं जब लाचार बनी थी सबकी नजरो में मैं खराब बनी थी अत्याचार सभी का झेला मैने तब जा करके मैं खूंखार बनी थी ना जाने कहाँ मैं किधर गई हूँ.......... स्वरचित एवं मौलिक रचना -ज्योति गुर्जर' सेव्या' ©JS GURJAR

#berang  शीर्षक- ना जाने कहाँ मैं
 
ना जाने कहाँ मैं किधर गई हूँ
कुछ रिश्तों मे मैं मिटर गई हूँ
रोना धोना खूब किया मैने जो भी
दिखा अपना उसी से रो लिपट गई हूँ

ना जाने कहाँ मैं किधर गई हूँ.......... 

हर किसी ने देखो तोडा मुझको
ना जाने कहाँ लाके छोड़ा मुझको
राह नही हैं जहाँ से बापस आने की
ना जाने कौनसी राह पे मोड़ा मुझको

 ना जाने कहाँ मैं किधर गई हूँ.......... 

सबकी आँखों मे मैं खटक रही हूँ
कंकर बन करके मैं करक रही हूँ
फिर भी देखो मैं मौज मे जीती हूँ
सबको जला करके मटक रही हूँ

ना जाने कहाँ मैं किधर गई हूँ.......... 

वेबस सी मैं  जब लाचार बनी थी
सबकी नजरो में मैं खराब बनी थी
अत्याचार सभी का झेला मैने
तब जा करके मैं खूंखार बनी थी
 
ना जाने कहाँ मैं किधर गई हूँ..........
स्वरचित एवं मौलिक रचना -ज्योति गुर्जर' सेव्या'

©JS GURJAR

#berang

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