संस्कृत एक ऐसी भाषा जो सिखाती है संस्कृति,
सभी भाषाओं की जननी कहते हैं इसे ,देववाणी भी कही जाती है यह,
आज खो गई है यह संस्कृत,
अपने यह देश में अजनबी हो गई है यह संस्कृत।
ले लिया इसका स्थान विदेशी भाषाओं ने,
आये कहां से संस्कृति जब रही ना संस्कृत,
भागते सभी इसका नाम सुनकर ,कहते नहीं पढ़ेगे हम यह संस्कृत,
मैंने कहा ,भागते तुम इस संस्कृत से,
पर भागोगे कैसे अपनी संस्कृति से,
हमारे धर्म ग्रंथ हैं लिखें इसी संस्कृत में,
कृष्ण ने दिया गीता का उपदेश इसी में,
बंधुत्व की भावना भी सिखाती है यह संस्कृत, फिर भी,
अपने ही देश में अजनबी हो गई है यह संस्कृत।
आओ हम मिलकर प्रयास करें इसे अपनाने की,
इसे फिर से वही स्थान दिलाने की, जो प्राचीन समय में थी,
जिससे रहे ना जिससे रहे ना यह अजनबी ,
अपने ही देश में,
फिर कोई यह न कहें कि,
अपने ही देश में अजनबी हो गई है यह संस्कृत।
©Priyanka Kumari
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here