शुभम कश्यप

शुभम कश्यप Lives in Patna, Bihar, India

I am shubham Kashyap..... I am an Artist (poetry , Acting, And script writer.... ) My Drama( फर्ज ए वतन , लौट कर आऊंगा) ( वॉट्सएप 8873532090)

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#कविता #Journey

#Journey

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लचक जिंदगी का लचक (टेंशन) है हर दिन यहां जीने में जीर्ण को आता मजा सखिने में कुछ लम्हा हमे वी चाहिए बिश्रान्ति में लेकिन नही है फुरसत किसीने में बड़ा लचक है हर दिन यहां जीने में संस्कारो में बहा दी अर्थ की गंगा सभी ने किया समय पे मूलार्थ नंगा कोई नही तरहीज उनके धर्मो का हरकिसी को है अवसर अपने तृष्णा का बड़ा लचक है हर दिन यहां जीने का शीर्ण में लाचार सरीर है जीने को मन को समझाना सरीखे है पड़ने को बहुत गर्ज है उनको अपने प्रिया का फिर वी मजबूर है जिन्दा रहने को बड़ा लचक है हर दिन यहां जीने को सहोदर ने ब्याह किया सभी आत्मजा का और किया अपनी निर्वाह धर्मो का पालन किया अपने धर्म कर्तब्यो का कोई नही तरहीज उनके कर्मो का बड़ा लचक है हर दिन यहां जीने का एक थे राम अपने परिवारों का चल बसे यों हमे छोड़ मझधारो में नही है कोई शिकायत उनके विचारों से लेकिन यूहीं नही छोड़ा करते अपनो को बड़ा लचक है हर दिन यहां जीने को जमीं की लड़ाई है यहां अपनो में नही कोई चाह किसी से रिस्तो में नही कोई तरहीज अपने बचनों का हरकिसी को है परवाह सिर्फ अपनो का बड़ा लचक है हर दिन यहां जीने का कनक ✍️ ©शुभम कश्यप

#कविता #Light  लचक जिंदगी का
लचक (टेंशन) है हर दिन यहां जीने में
जीर्ण को आता मजा सखिने में
कुछ लम्हा हमे वी चाहिए बिश्रान्ति में
लेकिन नही है फुरसत किसीने में
बड़ा लचक है हर दिन यहां जीने में

संस्कारो में बहा दी अर्थ की गंगा
सभी ने किया समय पे मूलार्थ नंगा
कोई नही तरहीज उनके धर्मो का
हरकिसी को है अवसर अपने तृष्णा का
बड़ा लचक है हर दिन यहां जीने का

शीर्ण में लाचार सरीर है जीने को
मन को समझाना सरीखे है पड़ने को
बहुत गर्ज है उनको अपने प्रिया का
फिर वी मजबूर है जिन्दा रहने को
बड़ा लचक है हर दिन यहां जीने को

सहोदर ने ब्याह किया सभी आत्मजा का
और किया अपनी निर्वाह धर्मो का
पालन किया अपने धर्म कर्तब्यो का
कोई नही तरहीज उनके कर्मो का
बड़ा लचक है हर दिन यहां जीने का

एक थे राम अपने परिवारों का
चल बसे यों हमे छोड़ मझधारो में
नही है कोई शिकायत उनके विचारों से
लेकिन यूहीं नही छोड़ा करते अपनो को
बड़ा लचक है हर दिन यहां जीने को

जमीं की लड़ाई है यहां अपनो में
नही कोई चाह किसी से रिस्तो में
नही कोई तरहीज अपने बचनों का
हरकिसी को है परवाह सिर्फ अपनो का
बड़ा लचक है हर दिन यहां जीने का

                               कनक ✍️

©शुभम कश्यप

#Light

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#कविता

मेरी कविता और मेरी आवाज़ "ऐ दुनिया"

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#kalhonaaho

#kalhonaaho

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#LOVEGUITAR

#LOVEGUITAR

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बहुत शौक था ना तुम्हें मुझे टूटते हुए देखने का तो देखो टूट कर बिखर गया हूं मै समेट सको तो समेट लो कुछ बीते हुए यादों के टुकड़े पर जरा संभल के शीशे और यादों के टुकड़े अक्सर चुभ हीं जाते हैं और सुनो एक टुकड़ा टांग लेना अपने घर की दहलीज पर कसम से , नजर नहीं लगने दूंगा कभी जो नींद ना आए तो क्या करोगे ? अरे हां , वो टेडी बेयर है ना ! जिसे तुमने जिद करके लिया था प्यार की पहली निशानी के तौर पर जला देना उसे कसम से , नींद अच्छी आएगी वह हर एक मेरी चीज जो तुमने संभाल रखे हैं तोड़ देना उसे भी कसम से , तुम्हें सुकून मिलेगा कोई टुकड़ा अगर चुभ जाए तो रोना मत खुशी-खुशी अपने शौक पूरे करना मुझे टूटते हुए देखना और हां मन भर जाए तो उठा कर फेंक देना दूर बहुत दूर क्योंकि , टूटा हुआ सामान किसी के काम नहीं आता " अशुभ माना जाता है ना ! " ✍️...रितेश

#expression  बहुत शौक था ना तुम्हें 
मुझे टूटते हुए देखने का
तो देखो टूट कर
 बिखर गया हूं मै

समेट सको तो समेट लो
कुछ बीते हुए यादों के टुकड़े
पर जरा संभल के
शीशे और यादों के टुकड़े
अक्सर चुभ हीं जाते हैं

और सुनो एक टुकड़ा टांग लेना
 अपने घर की दहलीज पर
कसम से ,
नजर नहीं लगने दूंगा

कभी जो नींद ना आए
तो क्या करोगे ?
अरे हां ,
वो टेडी बेयर है ना !
जिसे तुमने जिद करके लिया था
प्यार की पहली निशानी के तौर पर
जला देना उसे 
कसम से ,
नींद अच्छी आएगी

वह हर एक मेरी चीज
जो तुमने संभाल रखे हैं
तोड़ देना उसे भी
कसम से  ,
 तुम्हें सुकून मिलेगा

कोई टुकड़ा अगर चुभ जाए
तो रोना मत
खुशी-खुशी अपने शौक पूरे करना
मुझे टूटते हुए देखना

और हां
मन भर जाए तो
उठा कर फेंक देना
दूर बहुत दूर
क्योंकि ,
टूटा हुआ सामान
किसी के काम नहीं आता
" अशुभ माना जाता है ना ! "

✍️...रितेश

#expression

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