Prashant Kapsime

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#meredeshkimitti #2611bomblast #myvoice #Jawano

||हिंदी - अन्तःश्वसन|| -© प्रशान्त कपसिमे

#Hindidiwas  ||हिंदी - अन्तःश्वसन||
-© प्रशान्त कपसिमे

||सुशांत सिंह राजपूत - काश तुम जीवित होते|| काश ये आखिरी बाउंसर डक कर लेते यार, क्या पता अगली गेंद फुलटॉस मिलती यार। काश अपनी इनिंग्स को टेस्ट मैच समझ लेते यार, आखिरी इनस्विंग गेंद को डिफेंड कर लेते यार। काश कोई और रास्ता निकाल लेते भाई, अपनों की पीड़ा का थोड़ा ख्याल रख लेते भाई। काश मन में ज्वाला की बबंडर को रोक लेते भाई, अशांत मन में क्रोध की घूंट पी लते सुशांत भाई। कैसे यकीन करूं हंसता खिलखिलाता सितारा आज बुझ गया, कैसे यकीन करूं छिछोरे का प्रेरक अभिनेता आज टूट गया। गलत किए भाई, ऐसा कोई रूठा नहीं करता, लाखों दिलों पे राज कर, ऐसा कोई जुदा नहीं होता। तेरी याद तो सभी को आएंगी, ना जाने कब तक तड़पाएंगी, सुना था तेरे पास वक्त ही वक़्त है, वो वक़्त अब नहीं आएंगी। किसे कहूंगा मै अब बिहार की शान, कैसे मै खुद को संभालूंगा, चले गए जो तुम छोड़ हमें, ना जाने कब तक तेरी याद में रोऊंगा।😢 ©प्रशांत कपसिमे 14/06/20 #RIP #SushantSinghRajput #Bihar #bollywood #DhatTeriKi😢

#SushantSinghRajput #DhatTeriKi😢 #Bollywood #bihar #RIP  ||सुशांत सिंह राजपूत - काश तुम जीवित होते||

काश ये आखिरी बाउंसर डक कर लेते यार,
क्या पता अगली गेंद फुलटॉस मिलती यार।
काश अपनी इनिंग्स को टेस्ट मैच समझ लेते यार,
आखिरी इनस्विंग गेंद को डिफेंड कर लेते यार।

काश कोई और रास्ता निकाल लेते भाई,
अपनों की पीड़ा का थोड़ा ख्याल रख लेते भाई।
काश मन में ज्वाला की बबंडर को रोक लेते भाई,
अशांत मन में क्रोध की घूंट पी लते सुशांत भाई।

कैसे यकीन करूं हंसता खिलखिलाता सितारा आज बुझ गया,
कैसे यकीन करूं छिछोरे का प्रेरक अभिनेता आज टूट गया।
गलत किए भाई, ऐसा कोई रूठा नहीं करता,
लाखों दिलों पे राज कर, ऐसा कोई जुदा नहीं होता।

तेरी याद तो सभी को आएंगी, ना जाने कब तक तड़पाएंगी,
सुना था तेरे पास वक्त ही वक़्त है, वो वक़्त अब नहीं आएंगी।
किसे कहूंगा मै अब बिहार की शान, कैसे मै खुद को संभालूंगा,
चले गए जो तुम छोड़ हमें, ना जाने कब तक तेरी याद में रोऊंगा।😢

©प्रशांत कपसिमे
14/06/20
#RIP #SushantSinghRajput #Bihar #bollywood #DhatTeriKi😢

||सामाजिक रंगमंच|| टांग खींचना, खींच कर पटक देना आम बात है, गिरना, उठना, फिर से गिर कर उठना, ये कहाँ आसान है। बाधाएं तो आएंगी, जाएंगी, मनोबल को तोड़ना चाहेंगी। पर्वतारोही की छोटी सोंच नहीं, उचक्के टांग अड़ाने से बाज आएंगे नहीं। हंसना,रोना, रोते-खिलखिलाना, आम बात है, कंधों पे हाथ रखना, हाथ रख कर सद्भावना देना, ये कहां आसान है। ये शक्ति जो तुम्हे वरदान है, उठ आवाज़ अब बुलंद कर। मौन धारक को लोग गूंगा समझते हैं, उठ अब तपस्या का प्रचंड वेग सामर्थ्य कर। कार्य आरंभ करना, आरंभ कर प्रभुत्व होना, आम बात है, पर सामाजिक गतिविधियों को कायम रखना, ये कहाँ आसान है। समंदर में डूबते हुए नौका को, आज नाविक की जरुरत है। जिसने दिया तुझे मान-सम्मान, आज उसे पूर्तिकर की जरुरत है। भीड़ इकट्ठा करना, फिर तितर-बितर करना, आम बात है। भीड़ में छोटे-बड़ों को अपना मानना, सम्मान देना, ये कहाँ आसान है। समय का पहिया फिर से घूमेगा, दो-धारी तलवार को वो चूमेगा। अनभिज्ञ होकर चुप्पी साधे तुम, कटु सत्य को अब वो प्रत्यक्ष लाएगा। ©प्रशांत कपसिमे 14/06/20

#सामाजिक #Barrier #Social #Coward  ||सामाजिक रंगमंच||

टांग खींचना, खींच कर पटक देना
आम बात है,
गिरना, उठना, फिर से गिर कर उठना,
ये कहाँ आसान है।

बाधाएं तो आएंगी, जाएंगी,
मनोबल को तोड़ना चाहेंगी।
पर्वतारोही की छोटी सोंच नहीं,
उचक्के टांग अड़ाने से बाज आएंगे नहीं।
 
हंसना,रोना, रोते-खिलखिलाना,
आम बात है,
कंधों पे हाथ रखना, हाथ रख कर सद्भावना देना,
ये कहां आसान है।

ये शक्ति जो तुम्हे वरदान है,
उठ आवाज़ अब बुलंद कर।
मौन धारक को लोग गूंगा समझते हैं,
उठ अब तपस्या का प्रचंड वेग सामर्थ्य कर।

कार्य आरंभ करना, आरंभ कर प्रभुत्व होना,
आम बात है,
पर सामाजिक गतिविधियों को कायम रखना,
ये कहाँ आसान है।

समंदर में डूबते हुए नौका को,
आज नाविक की जरुरत है।
जिसने दिया तुझे मान-सम्मान,
आज उसे पूर्तिकर की जरुरत है।

भीड़ इकट्ठा करना, फिर तितर-बितर करना,
आम बात है।
भीड़ में छोटे-बड़ों को अपना मानना, सम्मान देना,
ये कहाँ आसान है।

समय का पहिया फिर से घूमेगा,
दो-धारी तलवार को वो चूमेगा।
अनभिज्ञ होकर चुप्पी साधे तुम,
कटु सत्य को अब वो प्रत्यक्ष लाएगा।
©प्रशांत कपसिमे
14/06/20

कि गिरती है जात, गिरती है तुम्हारी औकात, मनुष्य रूप में तू करता है घिनौना आघात। मेरी जंगल तो तुम हड़प लिए, हड़प लिए संसार, और जला जला कर जंगल तूने कर लिए संहार।। कि मनुष्य की माता कहा, हाथी राजा का श्रेणी दिया, सकल तुम किसे दिखालाओगे, कुल का जो नाश किया। भूल गई थी तू इंसान है, इंसान रूपी तू हैवान है, और इंसान का दर्द जो इंसान ना समझे, ऐसा तू सैतान है।। कि निकली थी भूखा पेट लिए, पेट में नन्ही जान लिए, ज्ञात नहीं था तुम पाप करोगे, मेरी पेट में ही विस्फोट करोगे। अटकी थी जो प्राण मेरी, चिंता थी गर्भ में जान है मेरी, और हारी थी मै खुद से, उजड़ चुकी थी जो संतान मेरी।। कि जघन्य अपराध का तूने जो पाखंड किया, इंसान को इंसान कहलाने का, दर्जा तूने समाप्त किया। मत कहना तुझपे कहर बसरी, गजकर्ण का तूने अपमान किया, शुभ घड़ी में पूजा करते हो जिसे, वो विघ्नविनाशक का जान लिया।। ©✍️प्रशांत कपसिमे

#RIPHUMANITY  कि गिरती है जात, गिरती है तुम्हारी औकात,
मनुष्य रूप में तू करता है घिनौना आघात।
मेरी जंगल तो तुम हड़प लिए, हड़प लिए संसार,
 और जला जला कर जंगल तूने कर लिए संहार।।

कि मनुष्य की माता कहा, हाथी राजा का श्रेणी दिया,
सकल तुम किसे दिखालाओगे, कुल का जो नाश किया।
भूल गई थी तू इंसान है, इंसान रूपी तू हैवान है, 
और इंसान का दर्द जो इंसान ना समझे, ऐसा तू सैतान है।।

कि निकली थी भूखा पेट लिए, पेट में नन्ही जान लिए,
ज्ञात नहीं था तुम पाप करोगे, मेरी पेट में ही विस्फोट करोगे।
 अटकी थी जो प्राण मेरी, चिंता थी गर्भ में जान है मेरी,
और हारी थी मै खुद से, उजड़ चुकी थी जो संतान मेरी।।

कि जघन्य अपराध का तूने जो पाखंड किया, 
इंसान को इंसान कहलाने का, दर्जा तूने समाप्त किया।
मत कहना तुझपे कहर बसरी, गजकर्ण का तूने अपमान किया,
शुभ घड़ी में पूजा करते हो जिसे, वो विघ्नविनाशक का जान लिया।।

©✍️प्रशांत कपसिमे
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