कभी मंज़िल भी हुआ करती थी एक, उसकी और मेरी,
पर अब तो हो चुका है अलग-अलग हम दोनों का रास्ता,
बदल गया सब, न अब वो मेरी है और न हूं मैं उसका,
क्योंकि शक़ के बाद नहीं रहा हम दोनों के बीच प्यार जैसा कोई भी वास्ता।
तू रहेगी हमेशा मेरी, पर महज़ दोस्त बनकर,
अब मेरी निजी बातें मुझ ही से पूछना क्यों बन गई है ज़रूरत तेरी,
क्योंकि उस दिन तो तुझे पूरी बात भी सुनना गवारा नहीं था,
कि क्या वो लड़की कुछ लगती है मेरी ।
ये रिश्ता तेरा और मेरा, जिसको इश्क़ समझता था मैं, अपना,
वो तो सिर्फ़ एक तरफ़ा मोहब्बत थी, सिर्फ़ मेरी,
जो सोचा तूने, किया वो सब, अब कुछ नहीं,
हक़ीक़त है ये, कि औकात ही सिर्फ़ दोस्ती की थी तेरी ज़िदंगी में मेरी।
ये रिश्ता तेरा और मेरा, जिसको इश्क़ समझता था मैं, अपना,
वो तो सिर्फ़ एक तरफ़ा मोहब्बत थी, सिर्फ़ मेरी,
जो सोचा तूने, किया वो सब, अब कुछ नहीं,
हक़ीक़त है ये, कि औकात ही सिर्फ़ दोस्ती की थी तेरी ज़िदंगी में मेरी।
9 Love
ऐ ख़ुदा, माफ़ करना उस प्यार के लिए,
जो मुझे उससे कभी हुआ ही नहीं,
हाँ, मानता हूं मैं कि,
उसको छोड़ना मेरी बहुत बड़ी ग़लती थी,
गुस्से में ही, रूठकर ही सही, कम से कम,
वो मेरे साथ कदम से कदम मिलाकर चलती तो थी।
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