Sachin R. Pandey

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sunset nature देखो.... बसंत की बहार है अभी ...... और लोग आएंगे तुम्हारे पास .... तुम्हें अहसास दिलाते हुए कि उनकी नज़र में तुम्हारी कितनी अहमियत है .... तुम्हे बताते हुए और समझाते हुए कि.... तुम सही हो .... तुम सब सही कर रहे हो ... तुम्हारे निर्णय ठीक हैं और वो सब हर परिस्थिति में तुम्हारे साथ खड़े हैं ..... लेकिन जैसा कि मैंने कहा ...." बसंत है " कुछ भी स्थाई नहीं है .... सब कुछ बदल जाता है .... तो एक दिन जब पतझड़ आने को होगा .... लोगो किनारा करते जायेंगे .... तुम्हारी असफलताओं का दोष तुम पर मढ़ते जायेंगे .... हां वही लोग जो तुमको ...तुम्हारे निर्णयों को सही कह कर हौसला बढ़ा रहे थे ..... अब वही तुम्हारे प्रथम और कटु आलोचक होंगे .... तुम संदेह करोगे ....क्या ये वही लोग हैं ....जो कल तक (बसंत के दिनो मे) ..... हौसला और शाबासी देते नही थक रहे थे ....! और पतझड़ में जब तुमको लगेगा ... कि अब सब कुछ खत्म होने को है .... तुम्हारे कंधे ....हार की मार से झुके होंगे ... कर्णपटल पर आलोचनाओं के स्वर तीर से चुभ रहे होंगे ... और कपोल अश्रु से भीग रहे होंगे .... तो तुम कहना .....मुझसे ... अधिकार से.... कि अब तुम सम्हाल लो सब कुछ .... क्योंकि बिखर रहा है बहुत कुछ .... सुनो ! .... तुम यकीन मानना ....भरोसा रखना .... मैं तुम्हारे लिए सब कुछ उलट पलट कर दूंगा .... तुम प्रिय हो .... तुमसे कही अधिक प्रिय हैं तुम्हारे सपने ... मैं बनूंगा तुम्हारा सारथी ....पतझड़ में .... और तब तक जब तक वो सब ना हो जाए जो तुम चाहते हो ... लेकिन फिलहाल मैं मौन रहकर मान रख रहा हूं.....तुम्हारे निर्णयों का ....सही और गलत के भेद से परे .... अभी बसंत है .... जाओ ....खुद को .... अपनो को ....सपनो को .... यारों को ....आजमा कर देखो .... बहुत कुछ है जो आने वाला समय समझाएगा..... मैं इंतजार करूंगा तुम्हारे कह देने भर का .... ©Sachin R. Pandey

#विचार #sunsetnature  sunset nature देखो....
बसंत की बहार है अभी ......
और लोग आएंगे तुम्हारे पास ....
तुम्हें अहसास दिलाते हुए कि उनकी नज़र में तुम्हारी कितनी अहमियत है ....
तुम्हे बताते हुए और समझाते हुए कि....
तुम सही हो ....
तुम सब सही कर रहे हो ...
तुम्हारे निर्णय ठीक हैं और वो सब हर परिस्थिति में तुम्हारे साथ खड़े हैं .....
लेकिन जैसा कि मैंने कहा ...." बसंत है " 
कुछ भी स्थाई नहीं है ....
सब कुछ बदल जाता है ....
तो एक दिन जब पतझड़ आने को होगा ....
लोगो किनारा करते जायेंगे ....
तुम्हारी असफलताओं का दोष तुम पर मढ़ते जायेंगे ....
हां वही लोग जो तुमको ...तुम्हारे निर्णयों को सही कह कर हौसला बढ़ा रहे थे .....
अब वही तुम्हारे प्रथम और कटु आलोचक होंगे ....
तुम संदेह करोगे ....क्या ये वही लोग हैं ....जो कल तक (बसंत के दिनो मे) .....
हौसला और शाबासी देते नही थक रहे थे ....!
और पतझड़ में जब तुमको लगेगा ... कि अब सब कुछ खत्म होने को है ....
तुम्हारे कंधे ....हार की मार से झुके होंगे ...
कर्णपटल पर आलोचनाओं के स्वर तीर से चुभ रहे होंगे ...
और कपोल अश्रु से भीग रहे होंगे ....
तो तुम कहना .....मुझसे ...
अधिकार से....
कि अब तुम सम्हाल लो सब कुछ ....
क्योंकि बिखर रहा है बहुत कुछ ....
सुनो ! ....
तुम यकीन मानना ....भरोसा रखना ....
मैं तुम्हारे लिए सब कुछ उलट पलट कर दूंगा ....
तुम प्रिय हो .... तुमसे कही अधिक प्रिय हैं तुम्हारे सपने ...
मैं बनूंगा तुम्हारा सारथी ....पतझड़ में ....
और तब तक जब तक वो सब ना हो जाए जो तुम चाहते हो ...
लेकिन फिलहाल मैं मौन रहकर मान रख रहा हूं.....तुम्हारे निर्णयों का ....सही और गलत के भेद से परे ....

अभी बसंत है ....
जाओ ....खुद को ....
अपनो को ....सपनो को ....
यारों को ....आजमा कर देखो ....
बहुत कुछ है जो आने वाला समय समझाएगा.....
मैं इंतजार करूंगा 
तुम्हारे कह देने भर का ....

©Sachin R. Pandey

#sunsetnature आजमाना अपनी यारी को पतझड़ में सावन में तो हर पत्ता हरा नजर आता है ....

12 Love

फिर सवाल था.... कितना जानते हो .???? और हमारा ज़बाब था ......उतना ही जितना जानना चाहिए ..... सिर्फ उतना ही जितने से इस बात की सहज रूप से पहचान हो से कि इंसान का स्तर क्या है ...,,इंसानी तौर पर कितना अच्छा,,,सरल और ,, शानदार है .. चेहरे बनावटी हो सकते हैं,,,चरित्र नही,, उस दौर में जब लोगो को चमकते चेहरे ... चमकती कारें....महंगे रेस्त्रां पसंद है ...उसी दौर में.. जिसको सड़क की टपरी पर चाय पसंद हो ,,और वो सब सहजता से स्वीकार हो ..जो स्वाभाविक रूप से संभव था ..उपलब्ध हो सकता था ... जब लोग चेहरे से पहचानने के आदी हो चुके हो ऐसे में ...चेहरे पर गौर ना करना और इसके इतर बहुत कुछ गौर करना ... तुम्हारे व्यक्तित्व की शानदार अभिव्यक्ति है .....तुम्हारी श्रेष्ठता का प्रमाण है । तुम्हारा सहज और सरल होना ...अनायास अपनी ओर आकर्षित करता है मानो कोई सम्मोहन अस्त्र हो और ...मीठी अवधी मानो दिल जीतने को ब्रह्मास्त्र का संधान कर रही हो .... तुममें महान बनने के सभी सद्गुण है ...जो तुम्हे शीर्ष तक ले जायेंगे ... जानने के लिए इससे अधिक जानने की आवश्यकता कहां है .... जानने के लिए दो दिन,,,दो घड़ी ,,,दो पल काफी है. ... और ना जानने ना समझ पाने के लिए पूरी उम्र कम पड़ जाती है ....... समझने के लिए ....सामान्य विवेक ........सामान्य समझ और जानने के लिए सामान्य आचरण की अभिव्यक्ति स्वयं में पर्याप्त ,,प्रमाण है .... कुछ लोग काफी कुछ सीखते है ,,समझते हैं ,,,,चंद लम्हों के दौरान और कुछ लोग सिर्फ इतना ही ....."जब आप कहेंगे"....,,, . ©Sachin R. Pandey

#विचार #Night  फिर सवाल था....
कितना जानते हो .????
और हमारा ज़बाब था ......उतना ही जितना जानना चाहिए .....
सिर्फ उतना ही जितने से इस बात की सहज रूप से पहचान हो से कि इंसान का स्तर क्या है ...,,इंसानी तौर पर कितना अच्छा,,,सरल और ,, शानदार है ..
चेहरे बनावटी हो सकते हैं,,,चरित्र नही,,
उस दौर में जब लोगो को चमकते चेहरे ...
चमकती कारें....महंगे रेस्त्रां पसंद है ...उसी दौर में..
जिसको सड़क की टपरी पर चाय पसंद हो ,,और वो सब सहजता से स्वीकार हो ..जो स्वाभाविक रूप से संभव था ..उपलब्ध हो सकता था ...
जब लोग चेहरे से पहचानने के आदी हो चुके हो ऐसे में ...चेहरे पर गौर ना करना और इसके इतर बहुत कुछ गौर करना ...
तुम्हारे व्यक्तित्व की शानदार अभिव्यक्ति है .....तुम्हारी श्रेष्ठता का प्रमाण है ।
तुम्हारा सहज और सरल होना ...अनायास अपनी ओर आकर्षित करता है  मानो कोई सम्मोहन अस्त्र हो 
और ...मीठी  अवधी मानो दिल जीतने को ब्रह्मास्त्र का संधान कर रही हो ....
तुममें महान बनने के सभी सद्गुण है ...जो तुम्हे शीर्ष तक ले जायेंगे ...
जानने के लिए इससे अधिक जानने की आवश्यकता कहां है ....
जानने के लिए दो दिन,,,दो घड़ी ,,,दो पल काफी है. ...
और ना जानने ना समझ पाने के लिए पूरी उम्र कम पड़ जाती है .......
समझने के लिए ....सामान्य विवेक ........सामान्य समझ 
और जानने के लिए सामान्य आचरण की अभिव्यक्ति स्वयं में पर्याप्त ,,प्रमाण है ....
कुछ लोग काफी कुछ सीखते है ,,समझते हैं ,,,,चंद लम्हों के दौरान 
और कुछ लोग सिर्फ इतना ही ....."जब आप कहेंगे"....,,, .

©Sachin R. Pandey

#Night

0 Love

ये ठीक है कि शहर बदल गया है लेकिन शहर बदलने से एहसास तो नही बदलते !........... जब भी कभी कोई मेरा नाम लेगा ना तो वो तुम्हारा नाम जरूर लेगा .....जिंदगी का सफर लंबा है लेकिन तुम मेरे करीब रहोगे ....सबसे करीब ....तुम्हारी जगह मेरे दिल में है ....और हमेशा रहेगी ..... जिंदगी में तुम्हारे कितने मायने हैं ये शब्दो की सीमा में बांधे नही जा सकते । तुम जैसे लोग कोहिनूर का वो हीरा हैं जो सिर्फ मेरी किस्मत में हो सकते हैं ..... इस स्वार्थ से भरी दुनिया में तुम जैसा इंसान जो निश्चल हो ,,,,निस्वार्थ भाव से ,,,अपनी सम्पूर्ण सामर्थ्य से साथ प्रतिपल साथ हो ....वो किसी कोहिनूर से कम है भला! . समझ नही आता तुमको धन्यवाद कहूं या महादेव को .... पता नही क्या देख लिया मेरे जैसे पगलेट में 😂... पढ़े लिखे परंतु आधुनिकता की कसौटी पर निहायत अनपढ़ ,,, गवार ....ऊपर से फक्कड़ी मिजाज ...और दुर्वासा ऋषि वाला क्रोध 😂 मुझे बर्दास्त करने के लिए धन्यवाद मित्र ... उम्मीद है बर्दास्त करते रहोगे 😂 धन्यवाद अनुराग त्रिपाठी .......जब भी काशी आयेंगे महादेव के पहले तुम्हारा दर्शन करेंगे और साथ मे विश्वनाथ का अभिषेक करेंगे ..... अब जब भी मिलेंगे तो गले मिलेंगे गुरू .... कोई प्रणाम आशीर्वाद नही ..... कोई जूनियर सीनियर नहीं .....बस गले मिलेंगे 😊 और एक दूसरे से कहेंगे ....... भाई अपन शकल से शरीफ ना लगते .....😂😂 और कहेंगे ......@सारे बालक पढ़ रे से .....मेरा मन कद करेगा .....😂 best wishes for your bright future....🤗🤗 ©Sachin R. Pandey

#ज़िन्दगी #selflove  ये ठीक है कि शहर बदल गया है लेकिन शहर बदलने से एहसास तो नही बदलते
!........... जब भी कभी कोई मेरा नाम लेगा ना तो वो तुम्हारा नाम जरूर लेगा .....जिंदगी का सफर लंबा है लेकिन तुम मेरे करीब रहोगे ....सबसे करीब ....तुम्हारी जगह मेरे दिल में है ....और हमेशा रहेगी .....
जिंदगी में तुम्हारे कितने मायने हैं ये शब्दो की सीमा में बांधे नही जा सकते ।
तुम जैसे लोग कोहिनूर का वो हीरा हैं जो सिर्फ मेरी किस्मत में हो सकते हैं ..... इस स्वार्थ से भरी दुनिया में तुम जैसा इंसान जो निश्चल हो ,,,,निस्वार्थ भाव से ,,,अपनी सम्पूर्ण सामर्थ्य से साथ प्रतिपल साथ हो ....वो किसी कोहिनूर से कम है भला! .
समझ नही आता तुमको धन्यवाद कहूं या महादेव को ....
पता नही क्या देख लिया मेरे  जैसे पगलेट में 😂...
पढ़े लिखे परंतु आधुनिकता की कसौटी पर निहायत अनपढ़ ,,, गवार ....ऊपर से फक्कड़ी मिजाज ...और दुर्वासा ऋषि वाला क्रोध 😂
मुझे बर्दास्त करने के लिए धन्यवाद मित्र ... उम्मीद है बर्दास्त करते रहोगे 😂

धन्यवाद अनुराग त्रिपाठी .......जब भी काशी आयेंगे महादेव के पहले तुम्हारा दर्शन करेंगे और साथ मे विश्वनाथ का अभिषेक करेंगे .....
अब जब भी मिलेंगे तो गले मिलेंगे गुरू ....
कोई प्रणाम आशीर्वाद नही .....
कोई जूनियर सीनियर नहीं .....बस गले मिलेंगे 😊
और एक दूसरे से कहेंगे .......
भाई अपन शकल से शरीफ ना लगते .....😂😂
और कहेंगे ......@सारे बालक पढ़ रे से .....मेरा मन कद करेगा 
.....😂
best wishes for your bright future....🤗🤗

©Sachin R. Pandey

😊 #selflove

7 Love

महामना ने तय कर लिया था काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना करनी है ...... सियासी महकमे में हलचल थी और कुछ विरोध भी कि हिंदू विश्वविद्यालय क्यों ? .... समस्या स्थान की थी ,,, धन की थी और जन की भी कमी ठीक ठाक थी ...जो नीव का पत्थर बनने की हिम्मत रख पाते .... महामना जी ने प्रण ले ही लिया था कि जो सरस्वती प्रयाग में विलुप्त हैं ...उनको काशी में स्थापित करेंगे ..... सर की उपाधि से सम्मानित सुंदरलाल जी उन अग्रणी लोगो मे थे जिनको यकीन था ..... कि महामना का स्वप्न एक दिवा स्वप्न है ...जो कभी साकार नहीं होगा । यदा कदा मिलते तो व्यंग के तीखे तीर जरूर चलाते ..... महामना तो महामना थे ....बात हंस कर टाल जाते .... फिर वो दिन आया जब दिवा स्वप्न साकार हुआ ..... काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना हुई ....और भारतीय शिक्षा जगत में एक नव युग की शुरुआत हुई .... महामना ने पहल की ....और "सर सुंदरलाल " को उसी विश्वविद्यालय का प्रथम वाइस चांसलर बनाया ... इतना ही नही उन्ही के नाम पे हॉस्पिटल का नाम भी रखा । ये वही सुंदरलाल थे ....जिन्होंने महामना के स्वप्न को दिवा स्वप्न कहा .....कभी सहयोग तो नही किया ... हां व्यंग के तीर जरूर चलाए .....और महामना ने उनको vc bna दिया ..... जिंदगी में सुंदरलाल की तरह बहुत लोग होंगे ...जिनको आप पर ,,,आप की सामर्थ्य पर ,,,आप के स्वप्न पर संदेह होगा ... जब आप सफलता के शिखर पर हों ,,सर्वत्र जय जयकार हो रही हो तब.... उनको मत भूलिए जिनको कभी संदेह था .... वक्त आने पर इस कदर सम्मान दीजिएगा कि जब तक रहे उनका पद उनको याद दिलाता रहे .... " ये परितिषिक है आप के व्यंग का ,,आप के संदेह का ...आप के संशय का ... ©Sachin R. Pandey

#विचार #alone  महामना ने तय कर लिया था काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना करनी है ......
सियासी महकमे में हलचल थी और कुछ विरोध भी कि हिंदू विश्वविद्यालय क्यों ? ....
समस्या स्थान की थी ,,, धन की थी और जन की भी कमी ठीक ठाक थी ...जो नीव का पत्थर बनने की हिम्मत रख पाते ....
महामना जी ने प्रण ले ही लिया था कि जो सरस्वती प्रयाग में विलुप्त हैं ...उनको काशी में स्थापित करेंगे .....
सर की उपाधि से सम्मानित सुंदरलाल जी उन अग्रणी लोगो मे थे जिनको यकीन था ..... कि महामना का स्वप्न एक दिवा स्वप्न है ...जो कभी साकार नहीं होगा ।
यदा कदा मिलते तो व्यंग के तीखे तीर जरूर चलाते .....
महामना तो महामना थे ....बात हंस कर टाल जाते ....
फिर वो दिन आया जब दिवा स्वप्न साकार हुआ .....
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना हुई ....और भारतीय शिक्षा जगत में एक नव युग की शुरुआत हुई ....
महामना ने पहल की ....और "सर सुंदरलाल " को उसी विश्वविद्यालय का प्रथम वाइस चांसलर बनाया ...
इतना ही नही उन्ही के नाम पे हॉस्पिटल का नाम भी रखा । 
ये वही सुंदरलाल थे ....जिन्होंने महामना के स्वप्न को दिवा स्वप्न कहा .....कभी सहयोग तो नही किया ... हां व्यंग के तीर जरूर चलाए .....और महामना ने उनको vc bna दिया .....
जिंदगी में सुंदरलाल की तरह बहुत लोग होंगे ...जिनको आप पर ,,,आप की सामर्थ्य पर ,,,आप के स्वप्न पर संदेह होगा ... 
जब आप सफलता के शिखर पर हों ,,सर्वत्र जय जयकार हो रही हो तब....
उनको मत भूलिए जिनको कभी संदेह था ....
वक्त आने पर इस कदर सम्मान दीजिएगा कि जब तक रहे उनका पद उनको याद दिलाता रहे ....
" ये परितिषिक है आप के व्यंग का ,,आप के संदेह का ...आप के संशय का ...

©Sachin R. Pandey

महामना #alone

10 Love

LLB कर रहे थे तो एक लड़का मिला बिल्कुल आगे बैठता था question खूब करता था ,.पढ़ने में ठीक ठाक था। हमारी यारी दोस्ती चौबे भईया तक सीमित थी ।भले जान पहचान नही थी किसी से लेकिन हम अपने टसन में मस्त थे ....एक दिन सुने बजरंग दल वाले लव जिहाद पे चर्चा कर रहे है ,उसमे कुछ हमारे साथ पढ़ते थे,एक नाम ले रहे थे, जावेद 😂 हम सोचे साला ई कौन है ,मार न खा जाए ,खैर कैंटीन के बाहर पता चला ई जावेद वही है जो बिल्कुल आगे बैठता है 😂 हम पहली बार मिले तो ठेठ बनारसी अंदाज में कहे ...देख बे ई लोग तुमको जेहादी बोल रहे है ....तुमको कूटेंगे ई लोग किसी दिन ,तुम दोस्त बन जाओ b......k 😂 बचे रहोगे । जावेद हमको ऐसे देख रहा था जैसे उसको कोई एलियन मिल गया था 😂 आज भी वो इंसीडेंट सोच के खूब हंसते है हम लोग 😂 आज 9 साल हो रहे है ...जावेद वही से llm किए और फिलहाल रिसर्च के 3 साल हो चुके है ....शिवरात्रि के दिन दुनिया महादेव का दर्शन कर रही थी और ई हमारे पास आया था इसके पहले तब आना हुआ जब llm में एडमिशन होना था ...खैर ,हाल चाल लेने नही आया था 😂 2 काम से -हमार थीसिस कईसे लिखाई हमके हॉस्टल दियावा अंबेडकर में रहब , इक्के दिन बदे अलॉट करावा लेकिन चाही 😂 हम कुछ बोले नहीं बस इतना पूछे " का कर रहे थे बे 3 साल से ...और हम काहे बताई कैसे लिखना है ....😂 ऊ भी तीन तलाक जब शादी ब्याह हुआ नही है तो का बताए तुमको 😂 जावेद कहे व्हाट्सएप देखा समझ में आ जाई का किए 3 साल,,एक वीडियो सेंड किए थे ,बंदर को रोटी खिला रहे थे 😂 हम कहे देखो बे काम तो बढ़िया किए हो ....तो सोचते है कुछ तुम्हारे लिए .... थीसिस की हाइपोथेसिस चेंज हो गई और अंबेडकर में कब्जा भी 😂 लोग कहते हैं कि इसको काहे सर पे चढ़ाए रखते हो .... काहे लिखते हो आर्टिकल उसके लिए ...कितनी बत्तमीजी से बात करता है तुमसे ... और धर्म विशेष 😂 ये सब ठीक है ,, सब अपनी जगह है...जावेद उस वक्त अकेला शख्स था जब हम सबसे बुरे दौर से गुज़र रहे थे ....वो हमारे साथ मंदिर भी जाता और शमशान भी ... दिल का इंसान अच्छा है ,,,जुबान के वाहियात लोग दिल के अच्छे ही होते है कितने बुरे हो ...अच्छे अच्छे से कही अच्छे होते हैं .... ज्यादा नही कहेंगे बस इतना समझिए " हक सर वाला जो चैंबर है ना law faculty BHU में .... वो जावेद का है आने वाले टाइम में ...उसके लिए जितना संभव है करेंगे ... अब इतनी गाली सुना है हमारी .... इतना झेला है हमारे जैसे इंसान को ...कुछ तो करना पड़ेगा ना ! और तब भी अपनी बात बनारसी गाली से शुरू होगी ....हमारे बीच कभी कोई औपचारिकता नही होगी .....रहेगी दिलदारी ....यारी ....और बत्तमिजी 😊 और हर बार पूछते हो न बे कि काहे तुमको बर्दास्त करते है हम ...तो जान लो हमको तुम्हरे में कलाम दिखते हैं ....अरे वही जिनको देश दुनिया सलाम करती है ... ©Sachin R. Pandey

#प्रेरक #Drown  LLB कर रहे थे तो एक लड़का मिला बिल्कुल आगे बैठता था question खूब करता था ,.पढ़ने में ठीक ठाक था।
हमारी यारी दोस्ती चौबे भईया तक सीमित थी ।भले जान पहचान नही थी किसी से लेकिन हम अपने टसन में मस्त थे ....एक दिन सुने बजरंग दल वाले लव जिहाद पे चर्चा कर रहे है ,उसमे कुछ हमारे साथ पढ़ते थे,एक नाम ले रहे थे, जावेद 😂 
हम सोचे साला ई कौन है ,मार न खा जाए ,खैर कैंटीन के बाहर पता चला ई जावेद वही है जो बिल्कुल आगे बैठता है 😂 हम पहली बार मिले तो ठेठ बनारसी अंदाज में कहे ...देख बे ई लोग तुमको जेहादी बोल रहे है ....तुमको कूटेंगे ई लोग किसी दिन ,तुम दोस्त बन जाओ b......k 😂 बचे रहोगे । जावेद हमको ऐसे देख रहा था जैसे उसको कोई एलियन मिल गया था 😂 आज भी वो इंसीडेंट सोच के खूब हंसते है हम लोग 😂
आज 9 साल हो रहे है ...जावेद वही से llm किए और फिलहाल रिसर्च के 3 साल हो चुके है ....शिवरात्रि के दिन दुनिया महादेव का दर्शन कर रही थी और ई हमारे पास आया था इसके पहले तब आना हुआ जब llm में एडमिशन होना था ...खैर  ,हाल चाल लेने नही आया था 😂
2 काम से  -हमार थीसिस कईसे लिखाई 
हमके हॉस्टल दियावा अंबेडकर में रहब , इक्के दिन बदे अलॉट करावा लेकिन चाही 😂
हम कुछ बोले नहीं बस इतना पूछे " का कर रहे थे बे 3 साल से ...और हम काहे बताई कैसे लिखना है ....😂 ऊ भी तीन तलाक जब शादी ब्याह हुआ नही है तो का बताए तुमको 😂
जावेद कहे व्हाट्सएप देखा समझ में आ जाई का किए 3 साल,,एक वीडियो सेंड किए थे ,बंदर को रोटी खिला रहे थे 😂 
हम कहे देखो बे काम तो बढ़िया किए हो ....तो सोचते है कुछ तुम्हारे लिए ....
थीसिस की हाइपोथेसिस चेंज हो गई और अंबेडकर में कब्जा भी 😂
लोग कहते हैं कि इसको काहे सर पे चढ़ाए रखते हो ....
काहे लिखते हो आर्टिकल उसके लिए ...कितनी बत्तमीजी से बात करता है तुमसे ...
और धर्म विशेष 😂
ये सब ठीक है ,, सब अपनी जगह है...जावेद उस वक्त अकेला शख्स था जब हम सबसे बुरे दौर से गुज़र रहे थे ....वो हमारे साथ मंदिर भी जाता और शमशान भी ...

दिल का इंसान अच्छा है ,,,जुबान के वाहियात लोग दिल के अच्छे ही होते है  कितने बुरे हो ...अच्छे अच्छे से कही अच्छे होते हैं ....
ज्यादा नही कहेंगे बस इतना समझिए " हक सर वाला जो चैंबर है ना law faculty BHU में .... वो जावेद का है आने वाले टाइम में ...उसके लिए जितना संभव है करेंगे ... अब इतनी गाली सुना है हमारी .... इतना झेला है हमारे जैसे इंसान को ...कुछ तो करना पड़ेगा ना ! 
और तब भी अपनी बात बनारसी गाली से शुरू होगी ....हमारे बीच कभी कोई औपचारिकता नही होगी .....रहेगी दिलदारी ....यारी ....और बत्तमिजी 😊
और हर बार पूछते हो न बे कि काहे तुमको बर्दास्त करते है हम ...तो जान लो 
हमको तुम्हरे में कलाम दिखते हैं ....अरे वही जिनको देश दुनिया सलाम करती है ...

©Sachin R. Pandey

जावेद #Drown

10 Love

इलाहाबादी परंपरा है दोपहर खाने के बाद 30 min ya 1 घंटे आराम और फिर वही किताब ....वही नोट्स ... खैर नीद में थे तो और मोबाइल बजने लगी" हमनवा मेरे तू है तो " ...रिसीव किया तो आवाज आई ,,, अर्जेंट है और 5 यूनिट ब्लड चाहिए ...जगह पूछे और उठे और चल दिए ... नही पता किसको चाहिए ....क्या हुआ है ... शाम तक सारा अरेंजमेंट हो गया ...और ब्लड बैंक में डोनेट कर रहे थे तो " women empowerment " pe webinar चल रहा था ,, तनु जैन मैम गेस्ट थी ... हमने बस इतना सुना की आप को empowerment का मतलब तब समझ आएगा जब आप कम उम्र में financial independent हो जाओ .... खैर इसके आगे हम कुछ सुन नही पाए थे ...जिनको ब्लड की जरूरत थी वो 22 साल की एक बच्ची थी ...जिसका ऑपरेशन होना था और डॉक्टर ने 50-50 चांस की बात कही थी .... उस बच्ची की मां पिछले 22 सालों से प्राइवेट नौकरी कर रही थी और सैलरी के नाम पे सिर्फ 7000 मिल रहे थे .. मिनिमम वेजेज एक्ट जैसा कुछ नाम सुना होगा आप ने ! हां कुछ कानून बस नाम के हैं । हॉस्पिटल में डॉक्टर महिला थी ,मां का दर्द शायद उससे बेहतर कौन समझता ? और दुनिया भर में लोग उस दिन womens empowerment पे ज्ञान दे रहे थे ।लेकिन वहां women empowerment का कांसेप्ट लागू नही होता था ...वो गांधी को ज्यादा मानती थी वहां गांधी के आगे सारे सिद्धांत घुटनो के बल रेंग रहे थे । पैसे ज्यादा ही लगने थे ...आप घर बेचे या खुद को नीलाम करे फर्क नही पड़ता .... जितनी कोशिश की जा सकती थी ...वो की गई ...देर रात वापस आ गए ....कुछ बेचैनी सी थी या इस बात का मलाल था की चाह कर भी होनी को टाल नहीं सकते थे ... चाह कर भी कुछ कर नही सके थे सुबह के 5 बजे सागर का फिर फोन आया ....भैया ,,बच्ची को बचाया नही जा सका ... तब से यही सोच रहा कि .... हम किस बात पर ज्ञान देते है .... अपने और आप के संवेदनहीन होने का ...? हम पढ़ लिख कर शायद मानवीय संवेदना भूल तो नहीं रहे! महिला जिस ऑफिस में 22 साल से काम कर रही थी वहा ऐसे लोग भी थे जिनकी सैलरी 1 लाख से ज्यादा थी लेकिन सैलरी ज्यादा थी दिल बहुत छोटा था ...जाहिर सी बात है वहा महिलाएं भी रही होंगी और है भी लेकिन कौन समझता है किसी का दर्द ! इंसान होकर भी हम इंसान नही बन पाए हैं ....मैने उस दिन एक औरत की लाचारी देखी ...उसकी आंखे शायद सबसे सवाल कर रही थी ...... मैं महिला हूं और डॉक्टर महिला है ....बच्ची भी ....लेकिन फिर भी .....पैसा सबसे बड़ा है .... मैं स्वीकारता हूं इस देश में सबसे बड़े गांधी है ....जो नोटों पर हैं ....उसके बाद इंसानियत ..और ...संवेदना .... सबसे आखिरी पायदान पर अपनी अंतिम सांस ले रहे है .... ©Sachin R. Pandey

#ज़िन्दगी #Moon  इलाहाबादी परंपरा है दोपहर खाने के बाद 30 min ya 1 घंटे आराम और फिर वही किताब ....वही नोट्स ...
खैर नीद में थे तो और मोबाइल बजने लगी" हमनवा मेरे तू है तो " ...रिसीव किया तो आवाज आई ,,, अर्जेंट है और 5 यूनिट ब्लड चाहिए ...जगह पूछे और उठे और चल दिए ...
नही पता किसको चाहिए ....क्या हुआ है ...
शाम तक सारा अरेंजमेंट हो गया ...और ब्लड बैंक में डोनेट कर रहे थे तो " women empowerment " pe webinar चल रहा था ,, तनु जैन मैम गेस्ट थी ...
हमने बस इतना सुना की आप को empowerment का मतलब तब समझ आएगा जब आप कम उम्र में financial independent हो जाओ ....
खैर इसके आगे हम कुछ सुन नही पाए थे ...जिनको ब्लड की जरूरत थी वो 22 साल की एक बच्ची थी ...जिसका ऑपरेशन होना था और डॉक्टर ने 50-50 चांस की बात कही थी ....
उस बच्ची की मां पिछले 22 सालों से प्राइवेट नौकरी कर रही थी और सैलरी के नाम पे सिर्फ 7000 मिल रहे थे .. मिनिमम वेजेज एक्ट जैसा कुछ नाम सुना होगा आप ने ! हां कुछ कानून बस नाम के हैं ।
हॉस्पिटल में डॉक्टर महिला थी ,मां का दर्द शायद उससे बेहतर कौन समझता ? और दुनिया भर में लोग उस दिन womens empowerment पे ज्ञान दे रहे थे ।लेकिन वहां  women empowerment का कांसेप्ट लागू नही होता था ...वो गांधी को ज्यादा मानती थी
वहां गांधी के आगे सारे सिद्धांत घुटनो के बल रेंग रहे थे  ।
पैसे ज्यादा ही लगने थे ...आप घर बेचे या खुद को नीलाम करे फर्क नही पड़ता ....
जितनी कोशिश की जा सकती थी ...वो की गई ...देर रात वापस आ गए ....कुछ बेचैनी सी थी या इस बात का मलाल था की चाह कर भी होनी को टाल नहीं सकते थे ... चाह कर भी कुछ कर नही सके थे 
सुबह के 5 बजे सागर का फिर फोन आया ....भैया ,,बच्ची को बचाया नही जा सका ...
तब से यही सोच रहा कि .... हम किस बात पर ज्ञान देते है ....
अपने और आप के संवेदनहीन होने का ...? हम पढ़ लिख कर शायद मानवीय संवेदना भूल तो नहीं रहे! 
महिला जिस ऑफिस में 22 साल से काम कर रही थी वहा ऐसे लोग भी थे जिनकी सैलरी 1 लाख से ज्यादा थी लेकिन सैलरी ज्यादा थी दिल बहुत छोटा था ...जाहिर सी बात है वहा महिलाएं भी रही होंगी और है भी  लेकिन कौन समझता है किसी का दर्द !
इंसान होकर भी हम इंसान नही बन पाए हैं ....मैने उस दिन एक औरत की लाचारी देखी ...उसकी आंखे शायद सबसे सवाल कर रही थी ......
मैं महिला हूं और डॉक्टर महिला है ....बच्ची भी ....लेकिन फिर भी .....पैसा सबसे बड़ा है ....
मैं स्वीकारता हूं इस देश में सबसे बड़े गांधी है ....जो नोटों पर हैं ....उसके बाद इंसानियत ..और ...संवेदना .... सबसे आखिरी पायदान पर अपनी अंतिम सांस ले रहे है ....

©Sachin R. Pandey

जिंदगी #Moon

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