Amit Ranjan

Amit Ranjan

student of Archaeology (

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कोई कहत हई मांस ना खाईए कोई कहत हई मछी। ढेर लोगन हाऊए इलाज बताउत अब केकर बात हैई सच्ची। केयू कहत हई अवला खाईओ केयू कहत हई नींबू रस अब केकर मनी केकर सुनी , सबके बतवा लागत हई अच्छी । अब केयू कहत हई ना जाऊ इधर उधर घरवा में ही रहऊ बस, अब वैध कह हई की बिन सैनेटिजरवा के हाथ धुई ,छुआै ना किसी को अब । हम कालियई ओहें कर्बई जाईसन् कहत है सब। बाकी ई बात है कि कोरोनावा के भौकाल है गजब

 कोई कहत हई मांस ना खाईए कोई कहत हई मछी। ढेर लोगन हाऊए इलाज बताउत अब केकर बात हैई सच्ची। केयू कहत हई अवला खाईओ केयू कहत हई नींबू रस
अब केकर मनी केकर सुनी , सबके बतवा लागत हई अच्छी । अब केयू कहत हई ना जाऊ इधर उधर घरवा में ही  रहऊ बस, अब वैध कह हई की बिन सैनेटिजरवा के हाथ धुई ,छुआै ना किसी को अब । हम कालियई ओहें कर्बई जाईसन् कहत है सब। बाकी ई बात है कि कोरोनावा के भौकाल है गजब

कोई कहत हई मांस ना खाईए कोई कहत हई मछी। ढेर लोगन हाऊए इलाज बताउत अब केकर बात हैई सच्ची। केयू कहत हई अवला खाईओ केयू कहत हई नींबू रस अब केकर मनी केकर सुनी , सबके बतवा लागत हई अच्छी । अब केयू कहत हई ना जाऊ इधर उधर घरवा में ही रहऊ बस, अब वैध कह हई की बिन सैनेटिजरवा के हाथ धुई ,छुआै ना किसी को अब । हम कालियई ओहें कर्बई जाईसन् कहत है सब। बाकी ई बात है कि कोरोनावा के भौकाल है गजब

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आसमान की कड़ छूने के लिए उड़ते है अजीब लोग है वापस गिरने के लिए उड़ते है

#Quote  आसमान की कड़ छूने के लिए उड़ते है 
अजीब लोग है वापस गिरने के लिए उड़ते है

आसमान की कड़ छूने के लिए उड़ते है अजीब लोग है वापस गिरने के लिए उड़ते है

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अपनी साख खुद गिराए जा रहा हूं मौत को और करीब बुलाए जा रहा हूं तुम मेरे सपनों में रोज आती हो क्या मै भी तेरी सपनों मै आ रहा हूं

 अपनी साख खुद गिराए जा रहा हूं
मौत को और करीब बुलाए जा रहा हूं
तुम मेरे सपनों में रोज आती हो 
क्या मै भी तेरी सपनों मै आ रहा  हूं

अपनी साख खुद गिराए जा रहा हूं मौत को और करीब बुलाए जा रहा हूं तुम मेरे सपनों में रोज आती हो क्या मै भी तेरी सपनों मै आ रहा हूं

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#दिल्लीदांग #poem
#IndependeceDay #poem
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