preeti shukla

preeti shukla Lives in Lucknow, Uttar Pradesh, India

बस पहचान इतनी है ज़रा है शौक़ लिखने का, जो हैं नहीं हम नहीं है वो शौक़ दिखने का।

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#preetiikipoetry #romance #shayri #लव #poems #PS  बादल का है सायां चांद पर, और रोशन तब भी आसमान है,
आसमान को भी है खबर ये चांद ही उसकी जान है,
देखो अठखेलियां बहुत हो गई अब दीदार भी होने दो!!
गुमान है चलो माना तुमको, लेकिन हमारा भी कुछ अरमान है।।

©preeti shukla

बादल का है सायां चांद पर, और रोशन तब भी आसमान है, आसमान को भी है खबर ये चांद ही उसकी जान है, देखो अठखेलियां बहुत हो गई अब दीदार भी होने दो!! गुमान है चलो माना तुमको, लेकिन हमारा भी कुछ अरमान है।। @preetii_shukla #preetiikipoetry #PS #nojoto #love #romance #shayri #poems

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#preetikipoetry #preetiishukla #romance #shayri #लव #PS  ये बारिश अपने संग कई यादें लाती है,
गुजरे वक्त की बुला ये कई बातें लाती है,
शिकवा नहीं है मुझे इसके इस रवैए से,
बस लगता है बहा कई मुलाकातें लाती है ।

©preeti shukla

ये बारिश अपने संग कई यादें लाती है, गुजरे वक्त की बुला ये कई बातें लाती है, शिकवा नहीं है मुझे इसके इस रवैए से, बस लगता है बहा कई मुलाकातें लाती है । #preetikipoetry #preetiishukla #PS #Nojoto #Love #romance #shayri

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#विचार

ना केवल वर्तमान देखिए, विवेकी बन परिणाम देखिए, चिंता करिए पहले अपनी, फिर दूसरों का आसमान देखिए।। @preetii_shukla

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#शायरी #preetiikipoetry #preetii_shukla #poetrybyps #romance #preeti

संगीत हृदय का #love #romance #preeti #poetrybyps #preetiikipoetry #preetii_shukla #

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हो रहा ये क्या जो जिसकी नहीं है सुध सूझती, देखकर जिसको न मैं आंख अपनी मूंदती, क्या जो हो रहा वो अनृत है, या सब मानव ही मृत है। यूं सम्मुख सब देखकर हम बड़े व्यथित हैं, जो हो रहा कहीं वो भी तो कथित है। फिर लज्जा क्यों न आती इन समस्त मनुज को, छोड़ कर क्या जाएंगे हम समस्त अनुज को? ©preeti shukla

 हो रहा ये क्या जो जिसकी नहीं है सुध सूझती,
देखकर जिसको न  मैं आंख अपनी मूंदती,
क्या जो हो रहा वो अनृत है,
या सब मानव ही मृत है।
यूं सम्मुख सब देखकर हम बड़े व्यथित हैं,
जो हो रहा कहीं वो भी तो कथित है।
फिर लज्जा क्यों न आती इन समस्त मनुज को,
छोड़ कर क्या जाएंगे हम समस्त अनुज को?

©preeti shukla

हो रहा ये क्या जो जिसकी नहीं है सुध सूझती, देखकर जिसको न मैं आंख अपनी मूंदती, क्या जो हो रहा वो अनृत है, या सब मानव ही मृत है। यूं सम्मुख सब देखकर हम बड़े व्यथित हैं, जो हो रहा कहीं वो भी तो कथित है। फिर लज्जा क्यों न आती इन समस्त मनुज को, छोड़ कर क्या जाएंगे हम समस्त अनुज को?

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ये नाम ये शोहरत तुम ये पैसा न देखो, देखते हैं लोग जैसा तुम वैसा न देखो, ©preeti shukla

#preetiikipoetry #preetii_shukla #romance #shayri #लव  ये नाम ये शोहरत तुम ये पैसा न देखो,
देखते हैं लोग जैसा तुम वैसा न देखो,

©preeti shukla

ये नाम ये शोहरत तुम ये पैसा न देखो, देखते हैं लोग जैसा तुम वैसा न देखो, #love #romance #shayri #preetii_shukla #preetiikipoetry

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