नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)

नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)

🌹मैं शायर हूं नहीं फिर भी ,दिल ए एहसास लिखता हूं। मुझे गाना नहीं आता ,मैं फिर भी गुनगुनाता हूं।🌹🙏

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#शायरी  पहुंचने में दूरी कितनी कम थी, इक दूजे तक।
मगर हालात ऐसे थे, पहुंच पाए न इक दूजे तक।

©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)

# अफसोस# शायरी#

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बदलना जिनकी आदत है, गिला उनसे है क्या करना। वफा जिनको नहीं आती, भला उम्मीद क्या करना। ©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)

#शायरी  बदलना जिनकी आदत है,
गिला उनसे है क्या करना।
वफा जिनको नहीं आती, 
भला उम्मीद क्या करना।

©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)

# शायरी# गजल# बदलना जिनकी आदत है#

12 Love

बदलना है तो खुद को बदलो। दूसरों के बदलने का इंतजार मत करो। ©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)

 बदलना है तो खुद को बदलो।
दूसरों के बदलने का इंतजार मत करो।

©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)

# सीख # विचार#

12 Love

#शायरी  न वादे न कसमें , वफा मांगता हूं ,
सदा खुश रहो ,ये दुआ मांगता हूं।
चाहत को अपने,करूं क्या बयां मैं,
तुम्हारी खुशी और तुम्हें चाहता हूं।

©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)

# चाहत# गजल#

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# राधा रानी #

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 सुनसान शहर इतना क्यों है, इन्सान यहां से कहां गए।
खिलते थे अमन फूल जहां,वो चमन सुहाने कहां गए।

रात उदासी डगर है सूनी,
शोर नहीं है अब गलियों में।
कौन लुटेरा लूट गया सब,
आग लगा दी बगियों में।

पूछ रही अब सूनी आंखें, हंसते आंगन कहां गए।
इन्सान यहां से कहां गए।

©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)

# कविता# नूह # पर

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