secretgirl0777

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follow me on Instagram =@secretgirl0777 शायरा हुं जनाब 😉 लफ्जों का पोस्टमार्टम करती हुँ।

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इन रातों मे कुछ रातें याद आती हैं तुमसे की हुई कुछ बाते याद आती हैं कुछ ख्वाब तारों की तरह टूटते हैं कुछ हाथ जैसे हाथों से छूटते हैं इन अंधेरों मे एक उजाला नजर आता हैं जैसे ख्वाबों मे उनका चहरा नजर आता हैं इस खमोशी मे भी बहुत जोर होता हैं दिल की आवाज का कितना शोर होता हैं ऐसे ही खयालों मे नींद आ जाती हैं और आखिर ये रात पूरी हो जाती हैं।

 इन रातों मे कुछ रातें याद आती हैं
तुमसे की हुई कुछ बाते याद आती हैं
कुछ ख्वाब तारों की तरह टूटते हैं
कुछ हाथ जैसे हाथों से छूटते हैं
इन अंधेरों मे एक उजाला नजर आता हैं
जैसे ख्वाबों मे उनका चहरा नजर आता हैं
इस खमोशी मे भी बहुत जोर होता हैं
दिल की आवाज का कितना शोर होता हैं
ऐसे ही खयालों मे नींद आ जाती हैं
और आखिर ये रात पूरी हो जाती हैं।

इन रातों मे कुछ रातें याद आती हैं तुमसे की हुई कुछ बाते याद आती हैं कुछ ख्वाब तारों की तरह टूटते हैं कुछ हाथ जैसे हाथों से छूटते हैं इन अंधेरों मे एक उजाला नजर आता हैं जैसे ख्वाबों मे उनका चहरा नजर आता हैं इस खमोशी मे भी बहुत जोर होता हैं दिल की आवाज का कितना शोर होता हैं

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Tum jab aaogi to khoya hua paogi mujhe meri tanhayi mein khwabon ke siwa kuch bhi nahin mere kamre ko sajaane ki tamanna hai tumhe mere kamre mai

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Tu ainaa hai mera aa mujhko mujhse mila tujhko meri h kasam mere hone ka sanam mujhko ehsaas dila tu dil h mera aa mujhe kudhse mila mare man k zazbaat ka mai zinda hu is baat ka mujhko ehsaaas dila

#SelfWritten #lovepoetry  Tu ainaa hai mera
aa mujhko mujhse mila
tujhko meri h kasam 
mere hone ka sanam 
mujhko ehsaas dila
tu dil h mera 
aa mujhe kudhse mila
mare man k zazbaat ka 
mai zinda hu is baat ka 
mujhko ehsaaas dila

#khubsurati
#SelfWritten #azaadi

#OpenPoetry आजादी किसे कहते हैं, 15 अगस्त 1947 को देश के बटवारे के नाम पर जो हमें मिली क्या वो आजादी थी। हिन्दू मुस्लिम दो कोम मे हो देश का बटवारा क्या ये था हमारी आजादी का नारा। ये तो थी देश की आजादी । हमारी आजादी कहा हैं। हमें कैसे कपडे पहनने है, कैसे बोलना है, कैसे रहना है ये तो हमारा समाज तय करता हैं तो फिर कहाँ हैं हमारी आजादी। पांच साल की बच्ची हवस का शिकार हो जाती हैं और जिम्मेदार पश्चिमी सभ्यता कहलाती हैं। NCRB के तहत, Rape is the fourth most common crime against woman in india. कैसी आजादी हैं जहाँ घर की बेटी घर मे ही सुरक्षित नहीं। Candle march होते हैं, news मे इस पर चर्चा होती , कई अफसोस के ट्वीट किए जाते हैं, सलोगन बनते हैं ...जस्टिस फोर --------। कई दिन तक जहन मे सबके गुस्सा रहता हैं, लेकिन फिर एक नई मूवी आती हैं लोग उसकी बातो मे लग जाते हैं...News वाले भी सब भूल जाते हैं क्योंकि जो बिकता हैं वो दिखता हैं। कुछ दिन बाद फिर एक बडी घटना घटती हैं, फिर सलोगन बनते हैं जस्टिस के, एक बार फिर news मे इस पर चर्चा होती हैं, candle march होती हैं। क्यूँ इस जुर्म पर कोई सख्त कानून नहीं बनता, क्यूँ एक भेडिया खुलेआम हैं घुमता, क्यूँ एक मासूम का सर हैं खुचलता ।

#SelfWritten #OpenPoetry #azaadi  #OpenPoetry    आजादी किसे कहते हैं, 15 अगस्त 1947 को देश के बटवारे के नाम पर जो हमें मिली क्या वो आजादी थी।
हिन्दू मुस्लिम दो कोम मे हो देश का बटवारा 
क्या ये था हमारी आजादी का नारा।
ये तो थी देश की आजादी । हमारी आजादी कहा हैं। हमें कैसे कपडे पहनने है, कैसे बोलना है, कैसे रहना है ये तो हमारा समाज तय करता हैं तो फिर कहाँ हैं हमारी आजादी।
पांच साल की बच्ची हवस का शिकार हो जाती हैं
और जिम्मेदार पश्चिमी सभ्यता कहलाती हैं।
NCRB के तहत, Rape is the fourth most common crime against woman in india. कैसी आजादी हैं जहाँ घर की बेटी घर मे ही सुरक्षित नहीं।
Candle march होते हैं, news मे इस पर चर्चा होती , कई अफसोस के ट्वीट किए जाते हैं, सलोगन बनते हैं ...जस्टिस फोर --------। कई दिन तक जहन मे सबके गुस्सा रहता हैं, लेकिन फिर एक नई मूवी आती हैं लोग उसकी बातो मे लग जाते हैं...News वाले भी सब भूल जाते हैं क्योंकि जो बिकता हैं वो दिखता हैं।
कुछ दिन बाद फिर एक बडी घटना घटती हैं, फिर सलोगन बनते हैं जस्टिस के, एक बार फिर news मे इस पर चर्चा होती हैं, candle march होती हैं।
क्यूँ इस जुर्म पर कोई सख्त कानून नहीं बनता,
क्यूँ एक भेडिया खुलेआम हैं घुमता,
क्यूँ एक मासूम का सर हैं खुचलता ।
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