अमरेश चित्रांश

अमरेश चित्रांश

थोड़ा अक्खड़, ज्यादा फक्कड़, तबियत से कवि, मन से पाठक।

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पता है मुझे मैं 'इसी भीड़ में' हूँ, 'इसी भीड़ का' हूँ ये ग़फ़लत तुझे है! 😊

 पता है मुझे मैं 'इसी भीड़ में' हूँ,
'इसी भीड़ का' हूँ ये ग़फ़लत तुझे है! 
😊

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#मुक्तक
#तुम_चलो_सफ़र_के_लिए #मुक्तक
#पथिक

मौन रह कर सभी घाव सह आये हैं, हम उजालों के भी गाँव रह आये हैं, रात के चाँद का मोल होता नहीं दिन के तारों से सब भाव कह आये हैं! #मुक्तक ©अमरेश चित्रांश.

#कविता_मुक्तक #मुक्तक #कविता  मौन रह कर सभी घाव सह आये हैं,
हम उजालों के भी गाँव रह आये हैं,
रात के चाँद का मोल होता नहीं
दिन के तारों से सब भाव कह आये हैं!

#मुक्तक
©अमरेश चित्रांश.

मुझे ख़ुदारा ख़ुदग़र्ज़ आशिक औ बेमुरव्वत समझ रही हो, मैं फुरक़तों के तमाम बोसे अब इस बदन से उतार दूँगा, मुझे पता है कि कुछ दिनों से तुम्हारी चाहत बदल रही है, मुझे तो मंज़िल नहीं मिलेगी, तुम्हारी मंज़िल सँवार दूँगा!😊 ©अमरेश चित्रांश

#शायरी  मुझे ख़ुदारा ख़ुदग़र्ज़ आशिक औ बेमुरव्वत समझ रही हो,
मैं फुरक़तों के तमाम बोसे अब इस बदन से उतार दूँगा,
मुझे पता है कि कुछ दिनों से तुम्हारी चाहत बदल रही है,
मुझे तो मंज़िल नहीं मिलेगी, तुम्हारी मंज़िल सँवार दूँगा!😊

©अमरेश चित्रांश

मुझे ख़ुदारा ख़ुदग़र्ज़ आशिक औ बेमुरव्वत समझ रही हो, मैं फुरक़तों के तमाम बोसे अब इस बदन से उतार दूँगा, मुझे पता है कि कुछ दिनों से तुम्हारी चाहत बदल रही है, मुझे तो मंज़िल नहीं मिलेगी, तुम्हारी मंज़िल सँवार दूँगा!😊 ©अमरेश चित्रांश

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