Parul Mehrotra

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""मेरी केलम"" छोटी सी मेरी "कलम "निर्जीव सी दिखती है, पर भाव ना जाने क्या-क्या लिखती हैं, राजपूतों की कुर्बानी लिखती है, राजा रानी की कहानी लिखती है, प्रेयसी की वेदना लिखती है, प्रेमी की संवेदना लिखती है, होली दीवाली त्योहार लिखती है, गणेश चतुर्थी,नवरात्रि का श्रृंगार लिखती, देवताओं में समाहित शक्ति लिखती है, प्रहलाद मीरा की भक्ति लिखती है, बड़ी बड़ी हस्तियां लिखती है, निर्धनों की बस्तियां लिखती है, ऋषि मुनियों का ज्ञान लिखती है, बाबा बने ढोंगियों का अज्ञान लिखती है, महाभारत शास्त्र पुराण लिखती है, गीता और कुरान लिखती हैं, रात को काले बादलों से घेरा लिखती है, नया सवेरा लिखती है, प्रेमिका प्रेमी की मधुर बेला लिखती है, प्रेमी के वियोग में प्रियसी को अकेला लिखती है, कुंडली हाथ की रेखाएं ,बदलता वक्त लिखती है, जन्म मरण का सत्य लिखती है, हां यह छोटी सी मेरी "कलम "निर्जीव सी दिखती है , पर भाव न जाने क्या-क्या लिखती है।। "पारुल✍️ ©Parul Mehrotra

#कविता #pwkalamkaar #pwardor #pwain  ""मेरी केलम""

छोटी सी मेरी "कलम "निर्जीव सी दिखती है, 
पर भाव ना जाने क्या-क्या लिखती हैं,
राजपूतों की कुर्बानी लिखती है,
राजा रानी की कहानी लिखती है,
प्रेयसी की वेदना लिखती है,
प्रेमी की संवेदना लिखती है,
होली दीवाली त्योहार लिखती है,
गणेश चतुर्थी,नवरात्रि का श्रृंगार लिखती,
देवताओं में समाहित शक्ति लिखती है, 
प्रहलाद मीरा की भक्ति लिखती है,
बड़ी बड़ी हस्तियां लिखती है,
 निर्धनों की बस्तियां लिखती है,
ऋषि मुनियों का ज्ञान लिखती है,
 बाबा बने ढोंगियों का अज्ञान लिखती है,
महाभारत शास्त्र पुराण लिखती है,
 गीता और कुरान लिखती हैं,
रात को काले बादलों से घेरा लिखती है,
 नया सवेरा लिखती है,
प्रेमिका प्रेमी की मधुर बेला लिखती है,
 प्रेमी के वियोग में प्रियसी को अकेला लिखती है,
कुंडली  हाथ की रेखाएं ,बदलता वक्त लिखती है,
 जन्म मरण का सत्य लिखती है,
हां यह छोटी सी मेरी "कलम "निर्जीव सी दिखती है ,
 पर भाव न जाने क्या-क्या लिखती है।।
   "पारुल✍️

©Parul Mehrotra

"मेरी कलम" "कलम" तेरा मुझ पर बड़ा उपकार, बलि बलि जाऊं तुझ पर बारंबार, हृदय पटल पर जब सब सूना दिखता है, फीके पड़ जाते हैं रंग हजार, महकाती हो "कलम" तुम ही मेरे जीवन को बनके मेरी यार ।। टूट कर मोती बिखर जाता है जब इश्क मेरा, दिल को छूते घाव हजार, बन कर आती हो "कलम" तुम मेरा निर्मल प्यार ।। छोड़ देता है जब मुझको एकांत में ये नकावी जमाना,खुद को पाती हूं बेबस लाचार, मालिक बन देती हो "कलम" तुम मुझको अपना समय उधार ।। उनसे जब कुछ कहने से कतराती हूँ,चाह कर भी कुछ अभिव्यक्त नहीं कर पाती हूं, पन्नों पर लिखवा देती हो" कलम" तुम मेरे भाव अपार ।। गमों की माला पोते पोते जब मैं थक जाती हूं, भाव समाहित हो जाता है बस अब जीवन है बेकार, निराशाओं में 'कलम" तुम ही करती हो आशाओं का संचार ।। कभी लिखती पन्नों पर रानी लक्ष्मीबाई की कुर्बानी, कभी कृष्ण थी मीरा की दीवानी, कभी हीर रांझा शाहजहां मुमताज की प्रेम कहानी, कभी लिखवा देती हो "कलम" मेरे जीवन का सार ।। "कलम" तेरा मुझ पर बड़ा उपकार, बलि बलि जाऊ तुझ पर बारंबार ।। "पारुल✍️ ©Parul Mehrotra

#कविता #pwkalamkaar #pwardor #pwains  "मेरी कलम"
"कलम" तेरा मुझ पर बड़ा उपकार, बलि बलि जाऊं तुझ पर बारंबार,

 हृदय पटल पर जब सब सूना दिखता है, फीके पड़ जाते हैं रंग हजार, 
महकाती हो "कलम" तुम ही मेरे जीवन को बनके मेरी यार ।।

टूट कर मोती बिखर जाता है जब इश्क मेरा, दिल को छूते घाव हजार,
 बन कर आती हो "कलम" तुम मेरा निर्मल प्यार ।।

छोड़ देता है जब मुझको एकांत में ये नकावी जमाना,खुद को पाती हूं बेबस लाचार,
मालिक बन देती हो "कलम" तुम मुझको अपना समय उधार ।।

उनसे जब कुछ कहने से कतराती हूँ,चाह कर भी कुछ अभिव्यक्त नहीं कर पाती हूं,
पन्नों पर लिखवा देती हो" कलम" तुम मेरे भाव अपार ।।

गमों की माला पोते पोते जब मैं थक जाती हूं,
भाव समाहित हो जाता है बस अब जीवन है बेकार,
निराशाओं में 'कलम" तुम ही करती हो आशाओं का संचार ।।

कभी लिखती पन्नों पर रानी लक्ष्मीबाई की कुर्बानी, 
कभी कृष्ण थी मीरा की दीवानी, 
कभी हीर रांझा शाहजहां मुमताज की प्रेम कहानी,
कभी लिखवा देती हो "कलम" मेरे जीवन का सार ।।

"कलम" तेरा मुझ पर बड़ा उपकार, बलि बलि जाऊ तुझ पर बारंबार ।।
                      "पारुल✍️

©Parul Mehrotra

काश एक ऐसी दुनिया, एक शहर हो, बेखौफ हो पल-पल सुकून का हर पहर हो।। न धधक रही हो ज्वाला दिलो में, न अत्याचार बलात्कार का कहर हो ।। पाक हो, पवित्र हो, प्रीत हो, पीठ पीछे न घुलता जहर हो ।। गुनगुनाती हो हर बेला, जीवन में एक मधुर संगीत हो, हो पास या रहे एक दूजे से दूर हम, दिलों में प्रीत हो । । सूरज की किरणों संग, चिड़ियों का चहचहाना हो, छोटा सा हो आंगन,हर सदस्य का खिलखिलाना हो ।। बड़ों की छत्रछाया हो, संस्कारों का ताना-बाना हो, हर शाम हो रंगीन, भीने भीने स्वर में बजता कोई गीत हो, इश्क मोहब्बत की बूंदों से मैं भीग रहा हूं और पास में मेरे मेरा मीत हो । सीता की जैसे राम संग, राधा की श्याम संग, बस ऐसी अपनी भी प्रीत हो ।। चांदनी रात हो तुम मेरे साथ हो, हृदय में उठती बस प्रेम की लहर हो, हां काश ऐसी ही एक दुनिया एक शहर हो ।। "पारुल✍️ ©Parul Mehrotra

#कविता #kalamkaarworld #pwardor  काश एक ऐसी दुनिया, एक शहर हो,
बेखौफ हो पल-पल सुकून का हर पहर हो।।

न धधक रही हो ज्वाला दिलो में, न अत्याचार बलात्कार का कहर हो ।।
पाक हो, पवित्र हो, प्रीत हो, पीठ पीछे न घुलता जहर हो ।।

गुनगुनाती हो हर बेला, जीवन में एक मधुर संगीत हो,
हो पास या रहे एक दूजे से दूर हम, दिलों में प्रीत हो । ।

सूरज की किरणों संग, चिड़ियों का चहचहाना हो, 
छोटा सा हो आंगन,हर सदस्य का खिलखिलाना हो ।।

बड़ों की छत्रछाया हो, 
संस्कारों का ताना-बाना हो,

हर शाम हो रंगीन, भीने भीने स्वर में बजता कोई गीत हो, 
इश्क मोहब्बत की बूंदों से मैं भीग रहा हूं और पास में मेरे मेरा मीत हो ।

सीता की जैसे राम संग, राधा की श्याम संग,
बस ऐसी अपनी भी प्रीत हो ।।

चांदनी रात हो तुम मेरे साथ हो, हृदय में उठती बस प्रेम की लहर हो, 
हां काश ऐसी ही एक दुनिया एक शहर हो ।।
                                   "पारुल✍️

©Parul Mehrotra
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