Ritu shrivastava

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Ek bund Sagar me....

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विशाल,विस्मय, न कोई प्रकाश होता है, कभी कभी कितना विस्तृत ये मन का आकाश होता है। ©Ritu shrivastava

#dusk  विशाल,विस्मय, न कोई प्रकाश होता है,
कभी कभी कितना विस्तृत ये मन का आकाश होता है।

©Ritu shrivastava

#dusk

18 Love

मिट्टी से बने, मिट्टी ही रहे, और मिट्टी में ही मिल जाना है, तो क्यूं न शीतलता ही प्रदान की जाए। ©Ritu shrivastava

#life✍✍  मिट्टी से बने, मिट्टी ही रहे, और मिट्टी में ही मिल जाना है,
तो क्यूं न शीतलता ही प्रदान की जाए।

©Ritu shrivastava

#life✍✍

17 Love

बेरंग से आज के रिश्तों को एहसास के रंगों की जरूरत है। मैं ( अहम) के मद में चूर लोगों को प्रेम के भांग की जरूरत है। हरपल रंग बदलने वालो को कभी न छूटने वाले संग की जरूरत है। तो क्यूं न कुछ दुआ ये मांगी जाए, कि सबका हृदय अपनेपन से सज जाए, हरतरफ सुकून के रंगों की फुहार फैल जाए, खुशियों से सज्जित ऐसा रंगोत्सव मनाए। ©Ritu shrivastava

#Quotes #Holi  बेरंग से आज के रिश्तों को
एहसास के रंगों की जरूरत है।
मैं ( अहम) के मद में चूर लोगों को
प्रेम के भांग की जरूरत है।
हरपल रंग बदलने वालो को
कभी न छूटने वाले संग की जरूरत है।
तो क्यूं न कुछ दुआ ये मांगी जाए,
कि सबका हृदय अपनेपन से सज जाए,
हरतरफ सुकून के रंगों की फुहार फैल जाए,
खुशियों से सज्जित ऐसा रंगोत्सव मनाए।

©Ritu shrivastava

#Holi

11 Love

रूठ कर तो रब भी मान जाता है, बस ये एक इंसान है जो हर वक्त अपनो को रुलाता है । ©Ritu shrivastava

#Dard_Bewajah  रूठ कर तो रब भी मान जाता है,
बस ये एक इंसान है जो हर वक्त अपनो को रुलाता है  ।

©Ritu shrivastava

ये ओस की बूंदे,ये बेमौसम बरसात, दिसंबर के जाने का दर्द ही तो है। ©Ritu shrivastava

#जुदाई_का_ग़म #शायरी  ये ओस की बूंदे,ये बेमौसम बरसात,
दिसंबर के जाने का दर्द ही तो है।

©Ritu shrivastava

परखनें वालों ने परख कर भी हमें पत्थर ही समझा, समझने वालों की नजर में हम हमेशा हीरा ही रहे है। ©Ritu shrivastava

#नजरिया_सोच_का #शायरी  परखनें वालों ने परख कर भी हमें पत्थर ही समझा,
समझने वालों की नजर में हम हमेशा हीरा ही रहे है।

©Ritu shrivastava
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