प्रीति गौतम

प्रीति गौतम

यकीं आता नहीं कच्ची नींद में शायद तुझ से ख़्वाबो में भी रिश्ता तोड़ आएं हैं हमें हिजरत की गुफा में याद आता है अपने हाथों से ही किसी और को सौंप आएं हैं ये चांद तू क्यों हैं खफा मुझ से हम तो पुरा जहां उसके नाम कर आएं हैं

https://www.instagram.com/p/B8gP5CKjH0C/?igshid=1hj58ri7htz1v

  • Latest
  • Popular
  • Video

47 View

लिखना भी भूल गए पढ़ना भी भूल गए माही तेरे खातिर देखो हम जीना भी भूल गए कैसे यकीं दिलाएं हम तुझको ही चाहें एक सिर्फ तुझको याद किया बाकी सब भूल गए लिखना भी भूल गए पढ़ना भी भूल गए जालिमा तेरे खातिर देखो हम हंसना भूल गए तेरे बिन दिल को कैसे मनाएं तु कहीं नहीं है कैसे बताएं दिल है भी सीने में या नहीं ये भी भूल गए एक सिर्फ तुझको याद किया बाकी सब भूल गए लिखना भी भूल गए पढ़ना भी भूल गए माही तेरे खातिर देखो हम जीना भी भूल गए।

#कविता  लिखना भी भूल गए
पढ़ना भी  भूल  गए
माही तेरे खातिर देखो
हम जीना भी भूल गए 
कैसे यकीं दिलाएं
हम तुझको ही चाहें
एक सिर्फ तुझको याद किया
बाकी सब भूल गए
लिखना भी भूल गए
पढ़ना भी भूल गए
जालिमा तेरे खातिर देखो
हम हंसना भूल गए
तेरे बिन दिल को कैसे मनाएं
तु कहीं नहीं है कैसे बताएं
दिल है भी सीने में या नहीं
ये भी भूल गए 
एक सिर्फ तुझको याद किया
बाकी सब भूल गए
लिखना भी भूल गए
पढ़ना भी भूल गए
माही तेरे खातिर देखो
हम जीना भी भूल गए।

कलम_से_प्रीति

11 Love

बहुत देर तक समझाते हैं खुद को तब समझ आता है जिंदगी आसान हो सकती थी अगर ऐसा होता अगर वैसा होता ये कहा न होता वो सुना न होता कितना आसान होता अगर कोई सपना ही न होता न सपना होता न उन्हें पूरा करने के लिए भटकते न भटकते न ठोकरें मिलती न दर्द होता न आज ये कविता बनती *प्रीती गौतम*

#कलम_से_प्रीति #शायरी  बहुत देर तक समझाते हैं 
खुद को तब समझ आता है 
जिंदगी आसान हो सकती थी
अगर ऐसा होता अगर वैसा होता 
ये कहा न होता वो सुना न होता 
कितना आसान होता अगर कोई सपना ही न होता 
न सपना होता न उन्हें पूरा करने के लिए भटकते 
न भटकते न ठोकरें मिलती न दर्द होता 
न आज ये कविता बनती 


 *प्रीती गौतम*

अजीब सी बैचेनी, घर आंगन सुना, वीरान सी जिंदगी, ठहरा हुआ वातावरण, जब नहीं होता उनका अस्तित्व, हल्की सी आहट से खिल उठता घर आँगन, आने से उनके नाचती घर की फिजायें, गति मिलती दिशा को, सुधरती दशा, रंग घुलते जीवन में, जब होते हैं साथ पिता, बरगद की सी छांव, पहाड़ की सी ओट, कश्ती को लगाते किनारे बन कर मांझी, हर सवाल जा जवाब बस एक ही शब्द पिता... Adv Rakesh bauddh

 अजीब सी बैचेनी,
घर आंगन सुना,
वीरान सी जिंदगी,
ठहरा हुआ वातावरण,
जब नहीं होता
उनका अस्तित्व,
हल्की सी 
आहट से
खिल उठता
घर आँगन,
आने से उनके 
नाचती घर की फिजायें,
गति मिलती दिशा को,
सुधरती दशा,
रंग घुलते जीवन में,
जब होते हैं
साथ पिता,
बरगद की सी छांव,
पहाड़ की सी ओट,
कश्ती को
लगाते किनारे
बन कर मांझी,
हर सवाल जा जवाब
बस एक ही शब्द
पिता...

Adv Rakesh bauddh

अजीब सी बैचेनी, घर आंगन सुना, वीरान सी जिंदगी, ठहरा हुआ वातावरण, जब नहीं होता उनका अस्तित्व, हल्की सी आहट से खिल उठता घर आँगन, आने से उनके नाचती घर की फिजायें, गति मिलती दिशा को, सुधरती दशा, रंग घुलते जीवन में, जब होते हैं साथ पिता, बरगद की सी छांव, पहाड़ की सी ओट, कश्ती को लगाते किनारे बन कर मांझी, हर सवाल जा जवाब बस एक ही शब्द पिता... Adv Rakesh bauddh

9 Love

अजीब सी बैचेनी, घर आंगन सुना, वीरान सी जिंदगी, ठहरा हुआ वातावरण, जब नहीं होता उनका अस्तित्व, हल्की सी आहट से खिल उठता घर आँगन, आने से उनके नाचती घर की फिजायें, गति मिलती दिशा को, सुधरती दशा, रंग घुलते जीवन में, जब होते हैं साथ पिता, बरगद की सी छांव, पहाड़ की सी ओट, कश्ती को लगाते किनारे बन कर मांझी, हर सवाल जा जवाब बस एक ही शब्द पिता... Adv Rakesh bauddh

 अजीब सी बैचेनी,
घर आंगन सुना,

वीरान सी जिंदगी,
ठहरा हुआ वातावरण,

जब नहीं होता
उनका अस्तित्व,

हल्की सी 
आहट से
खिल उठता
घर आँगन,

आने से उनके 
नाचती घर की फिजायें,

गति मिलती दिशा को,
सुधरती दशा,

रंग घुलते जीवन में,
जब होते हैं
साथ पिता,

बरगद की सी छांव,
पहाड़ की सी ओट,

कश्ती को
लगाते किनारे
बन कर मांझी,

हर सवाल जा जवाब
बस एक ही शब्द
पिता...

Adv Rakesh bauddh

अजीब सी बैचेनी, घर आंगन सुना, वीरान सी जिंदगी, ठहरा हुआ वातावरण, जब नहीं होता उनका अस्तित्व, हल्की सी आहट से खिल उठता घर आँगन, आने से उनके नाचती घर की फिजायें, गति मिलती दिशा को, सुधरती दशा, रंग घुलते जीवन में, जब होते हैं साथ पिता, बरगद की सी छांव, पहाड़ की सी ओट, कश्ती को लगाते किनारे बन कर मांझी, हर सवाल जा जवाब बस एक ही शब्द पिता... Adv Rakesh bauddh

9 Love

#इकबाल_अशर #शायरी
Trending Topic