नारी
नारी, तुम सबल हो,
हर क्षेत्र में, हर पल में,
नर की संबल तुम हो,
माँ, बहन, पत्नी, बेटी, सखी;
बहुतेरे रूप में।
तुमने अपना हुनर,
हर जगह दिखाया है,
हर मुद्दे को आजमाया है,
नर की ताकत मिथ्या है,
शिशु को जन्म देकर,
तुमने ये बतलाया है।
माना लोग नेक नहीं सब,
कुछ अच्छे भी हैं पर,
ग्लानि है हमें,
तुम्हें इतना कुछ झेलता,
हमने पाया है।
तुमने सभी को समझा है,
पर शायद तुम्हें,
कोई समझ ना पाया है,
भगवान ने भी जाने,
तुम्हें कितना सहनशील बनाया है।
मन की अनकहि बातें क्या,
तुमने चेहरों को भी,
पढ़ पाया है,
नमन है, तुम्हें,
इस कदर हमें,
जानवर से इंसान बनाया है।
©Rajnish Kumar
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