अनुज

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लखनऊ, भारत

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#love_shayari  White मैं सिमट कर प्रेम में, गुमनाम हो जाऊं,
तू मेरा और मैं तेरा आयाम हो जाऊं,
टूटकर चाहे मुझे गर कोई मीरा तो,
मैं राधा का कन्हैया और सीता राम हो जाऊं।

©अनुज

#love_shayari

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White कैसे ज्यों के त्यों रहे, प्रेम को कैसे करे परिभाषित, कैसे बिन आलिंगन, प्रेम को रखें मर्यादित हां, मैं स्पष्टता को प्रमाणित करना चाहता हूं, परन्तु, बिना शब्दों के अनुवादित कोई छद्म और बिना भेद भाव, जहां सिर्फ प्रेम हो, और हो शब्दों का आभाव, जहां समझ सके सिकुड़न, माथे की हम, और अंतर्मन के पीड़ा को, मिल जाए थोड़ा ठहराव, हां! अगर किंचित मात्र भी, मन सकुचा जाए, या फिर की कोई और, हृदयतल में घर कर जाए, निरुत्तर, सांझ न होने देना, अपने नयनों को, अश्रु मगन होने देना, बस इतना ही हो, कि मैं अपना आधार बदल दूंगा, लिखे पृष्ठ प्रेम सहित, श्रृंगार बदल दूंगा, कहे वचन को फिर न, मैं धूमिल होने दूंगा, हे प्रियशी! बीज प्रेम के, मन में, फिर न बोने दूंगा, न ही स्वयं को मैं, तुम पर होने दूंगा आश्रित, न मन में प्रश्न एक भी, न तुमको खुद पर होने दूंगा आच्छादित, चलो रहे ज्यों के त्यों, और करे प्रेम को परिभाषित। ©अनुज

#love_shayari  White  कैसे ज्यों के त्यों रहे,
प्रेम को कैसे करे परिभाषित,
कैसे बिन आलिंगन,
प्रेम को रखें मर्यादित 
हां, मैं स्पष्टता को
प्रमाणित करना चाहता हूं,
परन्तु, बिना शब्दों के अनुवादित
कोई छद्म और बिना भेद भाव,
जहां सिर्फ प्रेम हो, और
हो शब्दों का आभाव,
जहां समझ सके सिकुड़न,
माथे की हम,
और अंतर्मन के पीड़ा को,
मिल जाए थोड़ा ठहराव,
हां! अगर किंचित मात्र भी,
मन सकुचा जाए,
या फिर की कोई और,
हृदयतल में घर कर जाए,
निरुत्तर, सांझ न होने देना,
अपने नयनों को,
अश्रु मगन होने देना,
बस इतना ही हो,
कि मैं अपना आधार बदल दूंगा,
लिखे पृष्ठ प्रेम सहित,
श्रृंगार बदल दूंगा,
कहे वचन को फिर न,
मैं धूमिल होने दूंगा,
हे प्रियशी! बीज प्रेम के,
मन में, फिर न बोने दूंगा,
न ही स्वयं को मैं,
तुम पर होने दूंगा आश्रित,
न मन में प्रश्न एक भी,
न तुमको खुद पर 
होने दूंगा आच्छादित,
चलो रहे ज्यों के त्यों,
और करे प्रेम को परिभाषित।

©अनुज

#love_shayari @Pushpvritiya @RAVISHANKAR PAL @Divya Joshi Sudha Tripathi Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय"

18 Love

#nojohindi #Remember  फिर तुम्हारी बातें और मुलाकातें
चलो आगे बढ़ते हैं....
आंसू आंखों में है, ऊपर से बरसातें
चलो आगे बढ़ते हैं....
आखिर कब तक छिपकर तुमसे 
यूं मिलना हो पायेगा
कोई  देख न‌ ले आते जाते
चलो आगे बढ़ते हैं....

©अनुज
#nojohindi  हर चेहरे का वो नूर जमीं पर रह गया
सारे मन का फितूर जमीं पर रह गया
जो कहते थे मिला देंगे खाक में तुझको
जलकर वो गुरूर जमीं पर रह गया

आसमा से बहुत दूर जमीं पर रह गया
बिन पर के एक मजबूर जमीं पर रह गया
जिनके तेवर थे शैलाबो से बगावत वाले
शीशे सा चुकनाचूर जमीं पर रह गया

मेरे दिल का नासूर जमीं पर रह गया
वो हुस्न का शुरूर जमीं पर रह गया
नफरतो के ढेर पर वो पा गया मुकाम
मोहब्बत में बेकसूर जमीं पर रह गया

©अनुज

#nojohindi

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हिमाकत जुगनुओं के जैसे जरा सी की गई अंधेरों में, उजालों की तलाशी ली गई जहां तहां बिखरी, दम तोड़ती खुशियां इस कदर, उधार कुछ उदासी ली गई ©अनुज

#nojohindi #Poet  हिमाकत जुगनुओं के जैसे जरा सी की गई

अंधेरों में, उजालों की तलाशी ली गई

जहां तहां बिखरी, दम तोड़ती खुशियां

इस कदर, उधार कुछ उदासी ली गई

©अनुज

#nojohindi #Poet

17 Love

जीवन और मृत्यु के मध्य एक पल कभी सफल !! कभी असफल !! ©अनुज

 जीवन और मृत्यु के मध्य एक पल

कभी सफल !!

कभी असफल !!

©अनुज

जीवन और मृत्यु के मध्य एक पल कभी सफल !! कभी असफल !! ©अनुज

20 Love

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