santosh gaikwad

santosh gaikwad

POET

  • Latest
  • Popular
  • Video
#मराठीकविता #BoloAazadi

#BoloAazadi

98 View

Poetry Nights

Poetry Nights

Friday, 12 August | 09:22 am

4 Bookings

Expired

जन्मदिवस बाबाजींचा ****************** ****************** कवी:डॉ.श्री.संतोष भानुदास गायकवाड (पालखेडकर). ललित पंचमीच्या या शुभ दिवशी दहेगावी, पुत्ररत्न पाटील कुळी माता म्हाळसाई च्या पोटी, जगद्गुरु संत जनार्दन स्वामी महान शिवभक्त जन्मले, रात्र अन् दिवस सतत बारा वर्ष खडतर तप केले त्यांनी, चाले जप तप अखंड शिवनाम ओठी, अपंग झाले पद त्यांचे तरीही सोडली नाही शिवभक्ती, पाहून त्यांची ही अतूट शिवभक्ती प्रसन्न झाले शिवपार्वती, बांधून शिवालये,आश्रमशाळा,विद्यालये कित्येक ठिकाणी, भक्तांना देवून आशीर्वाद पाजले बाळकडू शिवणामचे, उध्दार केला पाटील कुळाचा कल्याण केले मानवजातीचे, नाव अजरामर झाले त्यांचे कित्येकांचे संसार थाटले, पोटी नव्हते संतान कुणाला,बाबाजी चे उदी प्रसादाने पुत्र पुत्री कुलदीपक भक्तांना मिळाले,जगी जनार्दन नाव प्रकटले, कुणास भूतबाधा,कुणास झाला सर्पदंश,कुणास वाटे भीती, रक्षण त्यांचे होत असे आपोआप जे जे नाम त्यांचे घेती, राष्ट्रसंत जगद्गुरु थोर शिवभक्त स्वामी जनार्दन मौनगिरी मुनी दैवत प्रिय भुवनी आहे प्रचंड त्यांची ख्याती, नुसते नावच तुम्ही घ्या बाबाजिंचे जय जनार्दन होईल तुमचे साकार अशक्य ते शक्य सर्व मनोकामना पूर्ण होईल स्वप्न, नका विसरु नका सोडू बाबाजींच्या निष्काम विधीला, आठवा आठवा तो क्षण बाबांनी सांगितलेल्या प्रवचनाचा, अवतार तो जगदीश्वराचा शिवाचा स्वामी जनार्धनाचा, नका नका विसरू तुम्ही कधी त्यांच्या या महान कार्याला, घ्या मुखी नाम सतत बाबाजींचे करा अभिवादन या महान संताला त्यांच्या या अमर विभुतीला स्मृतीला, मिळाला संजीवनी गुरुमंत्र ओम जनार्धनाय नमा, जप तप करा शिभक्ती शिवनाम क्षणो क्षणी उठता बसता, करा समृद्ध सुखी आनंदी सदा सर्वकाळ या जीवनाला, नका नका विसरू रे तुम्ही माझ्या स्वामीला जनार्धनाला. ©santosh gaikwad

#navaratri  जन्मदिवस बाबाजींचा
******************
******************
कवी:डॉ.श्री.संतोष भानुदास गायकवाड (पालखेडकर).

ललित पंचमीच्या या शुभ दिवशी दहेगावी,
पुत्ररत्न पाटील कुळी माता म्हाळसाई च्या पोटी,
जगद्गुरु संत जनार्दन स्वामी महान शिवभक्त जन्मले,
रात्र अन् दिवस सतत बारा वर्ष खडतर तप केले त्यांनी,
चाले जप तप अखंड शिवनाम ओठी,
अपंग झाले पद त्यांचे तरीही सोडली नाही शिवभक्ती,
पाहून त्यांची ही अतूट शिवभक्ती प्रसन्न झाले शिवपार्वती,
बांधून शिवालये,आश्रमशाळा,विद्यालये कित्येक ठिकाणी,  भक्तांना देवून आशीर्वाद पाजले बाळकडू शिवणामचे,
उध्दार केला पाटील कुळाचा कल्याण केले मानवजातीचे,
नाव अजरामर झाले  त्यांचे कित्येकांचे संसार थाटले,
पोटी नव्हते संतान कुणाला,बाबाजी चे उदी प्रसादाने पुत्र पुत्री कुलदीपक भक्तांना मिळाले,जगी जनार्दन नाव प्रकटले,
कुणास भूतबाधा,कुणास झाला सर्पदंश,कुणास वाटे भीती,
रक्षण त्यांचे होत असे आपोआप जे जे नाम त्यांचे घेती,
राष्ट्रसंत जगद्गुरु थोर शिवभक्त स्वामी जनार्दन मौनगिरी मुनी दैवत प्रिय भुवनी आहे प्रचंड त्यांची ख्याती,
नुसते नावच तुम्ही घ्या बाबाजिंचे जय जनार्दन होईल तुमचे साकार अशक्य ते शक्य सर्व मनोकामना पूर्ण होईल स्वप्न,
नका विसरु नका सोडू बाबाजींच्या निष्काम विधीला,
आठवा आठवा तो क्षण बाबांनी सांगितलेल्या प्रवचनाचा, अवतार तो जगदीश्वराचा शिवाचा स्वामी जनार्धनाचा, 
नका नका विसरू तुम्ही कधी त्यांच्या या महान कार्याला,
घ्या मुखी नाम सतत बाबाजींचे करा अभिवादन या महान संताला त्यांच्या या अमर विभुतीला स्मृतीला, 
मिळाला संजीवनी गुरुमंत्र ओम जनार्धनाय नमा,
जप तप करा शिभक्ती शिवनाम क्षणो क्षणी उठता बसता,
करा समृद्ध सुखी आनंदी सदा सर्वकाळ या जीवनाला,
नका नका विसरू रे तुम्ही माझ्या स्वामीला जनार्धनाला.

©santosh gaikwad

#navaratri

11 Love

#MusicalMemories

#AzaadKalakaar मझहब *************** *************** कवी:श्री.संतोष भानुदास गायकवाड( पालखेडकर) सारे जहाँ में खुदा इश ईश्वर एक है| कानुन भी उसका ही हैं| इन्साफ भी वही करता है | यहां हुकूमत भी उसकी ही चलती है | ये नादान इंसान तु समझ लेअभी भी| सब कूच संवारता निंवारता वो ही हैं | होगी तेरी नियत आच्छि तो, काबा और काशी भी तेरी दासी हैं| मन तेरा होगा चंगा तो कठोती होगी तेरी गंगा| मन तेरा होगा मैला तो हालत तेरी बूरी होगी| जैसे की तुझे ना पूछेगा कोई सब करेंगे तेरी बुराई | कर तू नेक काम एक दुजे के वास्ते होगा तेरा भला| मुसिबत में फसा जो उसकी तू कर मदद और भलाई| सुकून तुझे तब मिलेगा अगर किया हैं तूने नेक काम| जिंदगी में खुश रहना चाहता हैं दुसरों को दे खुशी| मझहब नही सिखाता आपस में बैर रखना | आज आगर यांहा हैं तो कल होगा वहा जहाँ कहा | दो दिन का बसेरा हैं जिंदगी का क्या भरोसा| क्या पता तेरा मेरा होगा काहा ठिकाणा| छोड के सब कूछ जाणा हैं एक दीन ये सारा जहाँ| ना कल तेरा होगा न मेरा पल भर का बासेरा यहाँ| जी ले जिंदगी हंसी खुशी से ना रखणा बैर किसी से| उधार की हैं ये जिंदगी तू बाट खुशी ले दुवाये खुदासे| ©santosh gaikwad

#मराठीकविता #AzaadKalakaar  #AzaadKalakaar मझहब
***************
***************
कवी:श्री.संतोष भानुदास गायकवाड( पालखेडकर)
सारे जहाँ में खुदा इश ईश्वर एक है|
कानुन भी उसका ही हैं| 
इन्साफ भी वही करता है |
यहां हुकूमत भी उसकी ही चलती है |
ये नादान इंसान तु समझ लेअभी भी|
सब कूच संवारता निंवारता वो ही हैं |
होगी तेरी नियत आच्छि तो,
काबा और काशी भी तेरी दासी हैं|
मन तेरा होगा चंगा तो कठोती होगी तेरी गंगा|
मन तेरा होगा मैला तो हालत तेरी  बूरी होगी| 
जैसे की तुझे ना पूछेगा कोई सब करेंगे तेरी बुराई |
कर तू नेक काम एक दुजे के वास्ते होगा तेरा भला|
मुसिबत में फसा जो उसकी तू कर मदद और भलाई|
सुकून तुझे तब मिलेगा अगर किया हैं तूने नेक काम|
जिंदगी में खुश रहना चाहता हैं दुसरों को दे खुशी|
मझहब नही सिखाता आपस में बैर रखना |
आज आगर यांहा हैं तो कल होगा वहा जहाँ कहा |
दो दिन का बसेरा हैं जिंदगी का क्या भरोसा|
क्या पता तेरा मेरा होगा काहा ठिकाणा|
छोड के सब कूछ जाणा हैं एक दीन ये सारा जहाँ|
ना कल तेरा होगा न मेरा पल भर का बासेरा यहाँ|
जी ले जिंदगी हंसी खुशी से ना रखणा बैर किसी से|
उधार की हैं ये जिंदगी तू बाट खुशी ले दुवाये खुदासे|

©santosh gaikwad

कण कण में बसा प्रभु देख रहा चाहे पुण्य करो चाहे पाप करो कोई उसकी नजर से बच न सका चाहे पुण्य करो चाहे पाप करो यह जगत रचा है ईश्वर ने जीवो के कर्म करने के लिए कुछ कर्म नए करने के लिए पहले जो किए भरने के लिए यही आवागमन का चक्र चला चाहे पुण्य करो चाहे पाप करो कण कण में बसा प्रभु देख रहा सब पुण्य का फल तो चाहते हैं पर पुण्य कर्म नहीं करते हैं फल पाप करोगे नहीं चाहते जग में दिन रात बिचरते हैं मिलता है सभी को अपना किया चाहे पुण्य करो चाहे पाप करो कण कण में बसा प्रभु देख रहा इंसान शुभाशुभ कर्म करे अधिकार मिला है जमाने में कर मोह में स्वतंत्र बना है मगर परतंत्र सदा फल पाने में न्याय प्रभु का बहुत कड़ा चाहे पुण्य करो चाहे पाप करो कण कण में बसा प्रभु देख रहा इस जीवन में कर्मों का फल हरगिज माफ नहीं होगा सब सत्य यहां उगता है कभी ये दामन साफ नहीं होगा रहे याद पथिक ये नियम सदा चाहे पुण्य करो चाहे पाप करो कण कण में बसा प्रभु देख रहा 🌷हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे🌷 🌷हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे🌷 ©santosh gaikwad

#DearKanha #poem  कण  कण  में  बसा  प्रभु  देख  रहा 
चाहे  पुण्य   करो   चाहे  पाप  करो 
कोई  उसकी  नजर से  बच न सका 
चाहे  पुण्य  करो   चाहे  पाप  करो 

    यह   जगत  रचा  है   ईश्वर  ने 
    जीवो  के  कर्म   करने  के  लिए 
    कुछ  कर्म   नए  करने  के  लिए 
    पहले  जो  किए  भरने  के  लिए 
    यही  आवागमन  का  चक्र चला 
    चाहे  पुण्य करो  चाहे पाप करो 
    कण कण में बसा  प्रभु देख रहा 

सब पुण्य का फल  तो चाहते हैं 
पर   पुण्य   कर्म  नहीं  करते  हैं 
फल   पाप   करोगे  नहीं  चाहते 
जग  में  दिन  रात   बिचरते   हैं 
मिलता है सभी को अपना किया 
चाहे  पुण्य करो  चाहे पाप करो 
कण कण में बसा  प्रभु देख रहा 

      इंसान    शुभाशुभ    कर्म    करे 
      अधिकार  मिला   है  जमाने  में 
      कर  मोह   में   स्वतंत्र  बना  है 
      मगर  परतंत्र सदा  फल पाने में 
      न्याय   प्रभु   का   बहुत   कड़ा 
      चाहे  पुण्य करो चाहे पाप करो 
       कण कण में बसा प्रभु देख रहा 

इस  जीवन  में  कर्मों  का  फल 
हरगिज    माफ    नहीं     होगा 
सब   सत्य    यहां   उगता   है
कभी ये दामन  साफ नहीं होगा 
रहे याद पथिक  ये नियम सदा 
चाहे पुण्य करो  चाहे पाप करो
कण कण में बसा प्रभु देख रहा

🌷हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे🌷
🌷हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे🌷

©santosh gaikwad

#DearKanha

6 Love

Trending Topic