Santosh Sagar

Santosh Sagar Lives in Gomoh, Jharkhand, India

कवि, लेखक, शायर, सामजसेवी ( रेल चालक )

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रुजगार, महंगाई के मुद्दों को छोड़, सिमट गया अख़बार तुम्हारी चोटी में! ©Santosh Sagar

#शायरी  रुजगार, महंगाई  के  मुद्दों को  छोड़,
सिमट गया अख़बार तुम्हारी चोटी में!

©Santosh Sagar

उलझे हैं हम यार तुम्हारी चोटी में, उलझा मेरा प्यार तुम्हारी चोटी में! मार कराये यार तुम्हारे नखड़े और, झुक जाये सरकार तुम्हारी चोटी में! गज़रा,जुड़ा और लगाती हो आल्पीन, कितने हैं किरदार तुम्हारी चोटी में!

14 Love

माँ शायरी ©Santosh Sagar

#शायरी #sad_poetry #Mother #sagar  माँ शायरी

©Santosh Sagar

#Mother #sagar #SAD #sad_poetry # Shristi Yadav Rakesh Srivastava Neha mallhotra Riya Soni POOJA UDESHI

10 Love

सच बताओ क्या हमें तुम जा रही हो छोड़कर, ग़र नहीं तो देख लो ना यार हमको मुड़कर! @संतोष 'सागर' ©Santosh Sagar

#शायरी  सच बताओ क्या हमें तुम जा रही हो छोड़कर,
ग़र नहीं तो देख लो  ना  यार हमको  मुड़कर!
@संतोष 'सागर'

©Santosh Sagar

puja ji gudiya Riya Soni Neha mallhotra Anwesha Rath

15 Love

Alone तेरे बिना दिल का बगीचा है मेरी सुनसान जां, जैसे बच्चों के बिना वीरान घर-आँगन हुआ! @संतोष 'सागर' ©Santosh Sagar

#Heartbeat #लव #alone  Alone  तेरे बिना दिल का बगीचा है मेरी सुनसान जां,
जैसे  बच्चों के बिना  वीरान घर-आँगन हुआ!
                @संतोष 'सागर'

©Santosh Sagar

#Heartbeat #alone Niranjan Rahi Shristi Yadav Jay Karthik Jiyalal Meena(World Union Commission) Pratik Banait

12 Love

तुम से मिले हैं जब से सनम, सपनों में खोये रहते हैं हम! कितनी भी चाहे रहे दूरियां, होगा नहीं अब कभी प्यार कम!! @ संतोष 'साग़र' ©Santosh Sagar

#Life_experience #LostInNature #Rinesha  तुम  से  मिले  हैं  जब  से  सनम,
सपनों  में  खोये   रहते   हैं  हम!

कितनी   भी   चाहे   रहे   दूरियां,
होगा नहीं अब कभी प्यार कम!!
           @ संतोष 'साग़र'

©Santosh Sagar

#LostInNature सुुमन कवयित्री अधूरी बातें Nikita kumari #Rinesha singh vaishnavi Pandey

10 Love

#Labour_Day घर से अपने हम दुर हैं, हाँ हम भी मजदूर है ! अपनों से दुर रह कर, काम करने को मजबूर हैं !! हाँ हम भी मजदूर है.... दिन में हमें कमाना होता है , तब रात में खाना होता है ! किसी को हमारी चिंता नहीं है , न हमारे पास कोई बहाना होता है!! ये दुनियां भी बड़ा क्रूर है... हाँ हम भी मजदूर है.... होली, दीपावली, ईद, रमजान ! रोहन, सोहन, सलीम, रहमान !! कोई भी हो काम पर इस दिन, नहीं मिलता कभी भी आराम !! ख़ुदा का ये कैसा दस्तूर है.... हाँ हम भी मजदूर है.... घर में माँ -बाप बीमार हो, या दिन क्यों न इतवार हो ! समय पर कभी छुटी नहीं मिलती, सुनना पड़ता है क्या तुम गवाँर हो !! गलियां सुनते हैं साहब महाजन से, ज़ब उनके पास कुछ पैसे उधार हो ! ख़ुदा तु ही बता मेरा क्या कसूर है... हाँ हम भी मजदूर है.... हमारे काम पर दुनियां वाले आराम करते हैं, सब बैठ के खाते हैं घरों में हम काम करते हैं ! हमारी मेहनत को कैद कर लेते हैं चंद पैसे वाले, फिर हमहीं पर कालाबाजारी का कोहराम करते हैं!! हम रात - दिन खेतो में काम कर के अन्न उपजाते हैं, फिर सारी फसल चंद लोग अपने नाम करते हैं ! जिसने अन्न को जनम दिया खून से सिंच कर, पराली के नाम पर उन्हें बदनाम करते हैं !! राजाओं ने तो हमें हर बार सताया है.... तुम्ही मेरे माँ - बाप तुम्ही मेरे हुजूर है... हाँ हम भी मजदूर है.... @ संतोष 'साग़र'

#Labour_Day  #Labour_Day घर से अपने हम दुर हैं, 
हाँ हम भी मजदूर  है !
अपनों से दुर रह कर, 
काम करने को मजबूर हैं !!
हाँ हम भी मजदूर  है....

दिन में हमें कमाना होता है , 
तब रात में खाना होता है !
किसी को हमारी चिंता नहीं है , 
न हमारे पास कोई बहाना होता है!!
ये दुनियां भी बड़ा क्रूर है... 
हाँ हम भी मजदूर  है....

होली, दीपावली, ईद, रमजान !
रोहन, सोहन, सलीम, रहमान !!
कोई भी हो काम पर इस दिन, 
नहीं मिलता कभी भी आराम !!
ख़ुदा का ये कैसा दस्तूर है.... 
हाँ हम भी मजदूर  है....

घर में माँ -बाप बीमार हो, 
या दिन क्यों न इतवार हो !
समय पर कभी छुटी नहीं मिलती, 
सुनना पड़ता है क्या तुम गवाँर हो !!
गलियां सुनते हैं साहब महाजन से, 
ज़ब उनके पास कुछ पैसे उधार हो !
ख़ुदा तु ही बता मेरा क्या कसूर है...
हाँ हम भी मजदूर  है....

हमारे काम पर दुनियां वाले आराम करते हैं, 
सब बैठ के खाते हैं घरों में हम काम करते हैं !
हमारी मेहनत को कैद कर लेते हैं चंद पैसे वाले, 
फिर हमहीं पर कालाबाजारी का कोहराम करते हैं!!
हम रात - दिन खेतो में काम कर के अन्न उपजाते हैं, 
फिर सारी फसल चंद लोग अपने नाम करते हैं !
जिसने अन्न को जनम दिया खून से सिंच कर, 
पराली के नाम पर उन्हें बदनाम करते हैं !!
राजाओं ने तो हमें हर बार सताया है....
तुम्ही मेरे माँ - बाप तुम्ही मेरे हुजूर है...
हाँ हम भी मजदूर है....

                       @ संतोष 'साग़र'

#Labour_Day

31 Love

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