Jay Sita Ram2947

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“भगत कल्पतरु प्रनत हित कृपासिंधु सुखधाम सोइ निज भगति मोहि प्रभु देहु दया करि राम ”❤️🙏

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𝐑𝐚̄𝐦 𝐑𝐚̄𝐦 𝐑𝐚̄𝐦 𝐑𝐚̄𝐦 𝐑𝐚̄𝐦 𝐍𝐚̄𝐦𝐚 𝐓𝐚̄𝐫𝐚𝐤𝐚𝐦 𝐑𝐚̄𝐦 𝐊𝐫𝐬𝐧𝐚 𝐕𝐚̄𝐬𝐮𝐝𝐞𝐯𝐚 𝐁𝐡𝐚𝐤𝐭𝐢 𝐌𝐮𝐤𝐭𝐢 𝐃𝐚̄𝐲𝐚𝐤𝐚𝐦 𝐉𝐚̄𝐧𝐚𝐤𝐢̄ 𝐌𝐚𝐧𝐨̄𝐡𝐚𝐫𝐚𝐦 𝐒𝐚𝐫𝐯𝐚𝐥𝐨̄𝐤𝐚 𝐍𝐚̄𝐲𝐚𝐤𝐚𝐦 𝐒𝐡𝐚𝐧𝐤𝐚̄𝐫𝐚̄𝐝𝐢 𝐒𝐞̄𝐯𝐲𝐚𝐦𝐚̄𝐧𝐚 𝐏𝐮𝐧𝐲𝐚𝐧𝐚̄𝐦 𝐊𝐢𝐫𝐭𝐚𝐧𝐚𝐦 🚩ରାମ🏹राम🏹రామ్🏹ରାମ🏹राम🏹రామ్🏹🚩 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 ©Jay Sita Ram2947

#MereKhayaal  𝐑𝐚̄𝐦 𝐑𝐚̄𝐦 𝐑𝐚̄𝐦 𝐑𝐚̄𝐦 𝐑𝐚̄𝐦 𝐍𝐚̄𝐦𝐚 𝐓𝐚̄𝐫𝐚𝐤𝐚𝐦
𝐑𝐚̄𝐦 𝐊𝐫𝐬𝐧𝐚 𝐕𝐚̄𝐬𝐮𝐝𝐞𝐯𝐚 𝐁𝐡𝐚𝐤𝐭𝐢 𝐌𝐮𝐤𝐭𝐢 𝐃𝐚̄𝐲𝐚𝐤𝐚𝐦

𝐉𝐚̄𝐧𝐚𝐤𝐢̄ 𝐌𝐚𝐧𝐨̄𝐡𝐚𝐫𝐚𝐦 𝐒𝐚𝐫𝐯𝐚𝐥𝐨̄𝐤𝐚 𝐍𝐚̄𝐲𝐚𝐤𝐚𝐦
𝐒𝐡𝐚𝐧𝐤𝐚̄𝐫𝐚̄𝐝𝐢 𝐒𝐞̄𝐯𝐲𝐚𝐦𝐚̄𝐧𝐚 𝐏𝐮𝐧𝐲𝐚𝐧𝐚̄𝐦 𝐊𝐢𝐫𝐭𝐚𝐧𝐚𝐦

🚩ରାମ🏹राम🏹రామ్🏹ରାମ🏹राम🏹రామ్🏹🚩
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#Rām #MereKhayaal

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श्रीरामचरितमानस उत्तरकाण्ड आगम निगम पुरान अनेका। पढ़े सुने कर फल प्रभु एका॥ तव पद पंकज प्रीति निरंतर। सब साधन कर यह फल सुंदर॥2॥ (तथा) हे प्रभो! अनेक तंत्र, वेद और पुराणों के पढ़ने और सुनने का सर्वोत्तम फल एक ही है और सब साधनों का भी यही एक सुंदर फल है कि आपके चरणकमलों में सदा-सर्वदा प्रेम हो॥2॥ ©Jay Sita Ram2947

#Shriramcharitamanas #findyourself  श्रीरामचरितमानस
उत्तरकाण्ड
आगम निगम पुरान अनेका। पढ़े सुने कर फल प्रभु एका॥
तव पद पंकज प्रीति निरंतर। सब साधन कर यह फल सुंदर॥2॥

(तथा) हे प्रभो! अनेक तंत्र, वेद और पुराणों के पढ़ने और सुनने का सर्वोत्तम फल एक ही है और सब साधनों का भी यही एक सुंदर फल है कि आपके चरणकमलों में सदा-सर्वदा प्रेम हो॥2॥

©Jay Sita Ram2947

श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 9 श्लोक 13 हे पार्थ! मोहमुक्त महात्माजन दैवी प्रकृति के संरक्षण में रहते हैं | वे पूर्णतः भक्ति में निमग्न रहते हैं क्योंकि वे मुझे आदि तथा अविनाशी भगवान् के रूप में जानते हैं अध्याय 9 श्लोक 14 ये महात्मा मेरी महिमा का नित्य कीर्तन करते हुए दृढसंकल्प के साथप्रयास करते हुए, मुझे नमस्कार करते हुए, भक्तिभाव से निरन्तर मेरी पूजा करते हैं ©Jay Sita Ram

#shrimadbagvadgita #Anhoni  श्रीमद्भागवत गीता

अध्याय 9 श्लोक 13

हे पार्थ! मोहमुक्त महात्माजन दैवी प्रकृति के संरक्षण में रहते हैं | वे पूर्णतः भक्ति में निमग्न रहते हैं क्योंकि वे मुझे आदि तथा अविनाशी भगवान् के रूप में जानते हैं 

अध्याय 9 श्लोक 14

ये महात्मा मेरी महिमा का नित्य कीर्तन करते हुए दृढसंकल्प के साथप्रयास करते हुए, मुझे नमस्कार करते हुए, भक्तिभाव से निरन्तर मेरी पूजा करते हैं

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श्रीरामचरितमानस उत्तरकाण्ड साधक सिद्ध बिमुक्त उदासी। कबि कोबिद कृतग्य संन्यासी॥ जोगी सूर सुतापस ग्यानी। धर्म निरत पंडित बिग्यानी॥3॥ साधक, सिद्ध, जीवनमुक्त, उदासीन (विरक्त), कवि, विद्वान, कर्म (रहस्य) के ज्ञाता, संन्यासी, योगी, शूरवीर, बड़े तपस्वी, ज्ञानी, धर्मपरायण, पंडित और विज्ञानी-॥3॥ तरहिं न बिनु सेएँ मम स्वामी। राम नमामि नमामि नमामी॥ सरन गएँ मो से अघ रासी। होहिं सुद्ध नमामि अबिनासी॥4॥ ये कोई भी मेरे स्वामी श्री रामजी का सेवन (भजन) किए बिना नहीं तर सकते। मैं, उन्हीं श्री रामजी को बार-बार नमस्कार करता हूँ। जिनकी शरण जाने पर मुझ जैसे पापराशि भी शुद्ध (पापरहित) हो जाते हैं, उन अविनाशी श्री रामजी को मैं नमस्कार करता हूँ॥4॥ ©Bhobindra Majhi

#Shriramcharitamanas #safarnama  श्रीरामचरितमानस उत्तरकाण्ड

साधक सिद्ध बिमुक्त उदासी। कबि कोबिद कृतग्य संन्यासी॥
जोगी सूर सुतापस ग्यानी। धर्म निरत पंडित बिग्यानी॥3॥

साधक, सिद्ध, जीवनमुक्त, उदासीन (विरक्त), कवि, विद्वान, कर्म (रहस्य) के ज्ञाता, संन्यासी, योगी, शूरवीर, बड़े तपस्वी, ज्ञानी, धर्मपरायण, पंडित और विज्ञानी-॥3॥

तरहिं न बिनु सेएँ मम स्वामी। राम नमामि नमामि नमामी॥
सरन गएँ मो से अघ रासी। होहिं सुद्ध नमामि अबिनासी॥4॥
ये कोई भी मेरे स्वामी श्री रामजी का सेवन (भजन) किए बिना नहीं तर सकते। मैं, उन्हीं श्री रामजी को बार-बार नमस्कार करता हूँ। जिनकी शरण जाने पर मुझ जैसे पापराशि भी शुद्ध (पापरहित) हो जाते हैं, उन अविनाशी श्री रामजी को मैं नमस्कार करता हूँ॥4॥

©Bhobindra Majhi

Subh Vishwakarma Pooja Pavitra Vishwakarma Pooja ki Aap Sabhi Ko Bahut Bahut Badhai Aur Subhkamnaye Jay Shri Vishwakarma ❤️🙏 ©Bhobindra Majhi

#Happy_Viswakarma_Pooja #sunrays  Subh Vishwakarma Pooja 
Pavitra Vishwakarma Pooja ki Aap Sabhi Ko Bahut Bahut Badhai Aur Subhkamnaye Jay Shri Vishwakarma ❤️🙏

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श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 9 श्लोक 8 सम्पूर्ण विराट जगत मेरे अधीन है | यह मेरी इच्छा से बारम्बार स्वतः प्रकट होता रहता है और मेरी ही इच्छा से अन्त में विनष्ट होता है ©Bhobindra Majhi

#Bhagavadgita #nojato #peace  श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 9 श्लोक 8

सम्पूर्ण विराट जगत मेरे अधीन है | यह मेरी इच्छा से बारम्बार स्वतः प्रकट होता रहता है और मेरी ही इच्छा से अन्त में विनष्ट होता है

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