गुड़िया तिवारी

गुड़िया तिवारी

मैं कविता शायरी गजल कहानी लिखने पढ़ने में रुचि रखती हूं ।

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#भोजपुरी #साहित्य #कविता होली में भौजी लागेली छिछोरी। पहिने के साड़ी पहिने कोरी धोती। बइठे चुहानी पुआ पकवान बनावे, मसखरा में रंग पुआ फेटी में घोरी।। बनावेली पकौड़ी चुन चइली चुनी। दहीबड़ा भीतर से रूई भी मिली। फुलौरी तिलौरी खा के मन डेराला, नाजाने गुझिया ठेकुआ में का मिली।। ✍️गुडिया तिवार ©गुड़िया तिवारी

 #भोजपुरी #साहित्य #कविता 

होली  में  भौजी लागेली छिछोरी।
पहिने के साड़ी पहिने कोरी धोती।
बइठे चुहानी पुआ पकवान बनावे,
मसखरा में रंग पुआ फेटी में घोरी।।

बनावेली पकौड़ी चुन चइली चुनी।
दहीबड़ा भीतर  से रूई भी मिली।
फुलौरी तिलौरी खा के मन डेराला,
नाजाने गुझिया ठेकुआ में का मिली।।

✍️गुडिया तिवार

©गुड़िया तिवारी

#Holi #भौजी संग होली

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#देशभक्ति #शायरी #shaheeddiwas  है कहां फौलाद वह,
कि औलाद ऐसा पैदा करें।
है रगों में देशभक्ति नहीं,
कि भगत आजाद जना करें।।

✍️गुडिया तिवारी

©गुड़िया तिवारी
#कविता #फगुआ #Holi  #फगुआ 🌾🌾🌹🌹😊

पूरुआ से पछुआ जा टकराया।
फगुआ खेलत धूर से नहलाया।
इठलाई उठी जब पूरूवा रानी,
भागत पछुआ को खूब भिंगाया।।

✍️गुड़िया तिवारी

©गुड़िया तिवारी
 Autumn विश्व कविता दिवस

कविता गीत है संगीत है
कवि की है साधना।
कविता कवि का स्वर है
कविता कवि की आराधना।

भावों का एहसास है कविता
शब्दों की है संरचना
विचारों का विन्यास है कविता
और कवि की कल्पना।

कविता कवि की रचना
पद्य की है अल्पना।
कविता कवि की नजरों से
अनदेखी पहलुओं की परिकल्पना।

कविता प्रकृति का अनुराग है।
कविता कवि को मां वरदा का वरदान है।
कविता रंग है कविता तरंग है।
कविता कवि के जीवन में सत्संग है।

✍️गुडिया तिवारी

©गुड़िया तिवारी

#autumn #कविता दिवस

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#मुक्तक #विचार  

रचना......
करम  धरम  के  जाल बुनल बा।
नया दुनिया के रंगढंग अलग बा।
जिए खातिर कुशल कौशल चाही,
बिना... 
झूठ बेईमानी जियल मुश्किल बा।।

✍️गुड़िया तिवारी

©गुड़िया तिवारी
#हिंदी_कविता #कविता #NatureQuotes  Nature Quotes 

हमें प्यार है सादगी से तुम्हारे,
            मगर   तुम   नएपन  में  ढलने  लगे  हो।
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वह धोती का बंधन माथे का चंदन,
             क्यों मेरी साड़ी पर एतराज करने लगे हो।
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खाते थे घर का भाजी तरकारी
             तुम आजकल रोज होटल जाने लगे हो।
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देवता सदा से जिनके है मैया बापू
             तो क्यों मंदिरों  में घंटी बजाने  लगे हो।
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पार्वती की उपाधि दिए अर्धांगिनी को
             अब सुबह शाम लांछन लगाने लगे हो।
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यह घर जिसके अंदर बसा सदा से
            तो  क्यों  अब घर  से दूर जाने लगे हो।
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            मौलिक रचना
      ✍️गुड़िया तिवारी गोपालगंज

©गुड़िया तिवारी
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