sunday wali poem

sunday wali poem Lives in Patna, Bihar, India

youtube.com/sundaywalipoem

https://www.youtube.com/sundaywalipoem

  • Latest
  • Popular
  • Video

क्रांति की तलवार में धार वैचारिक पत्थर पर रगड़ने से ही आती है (भगत सिंह) ©sunday wali poem

#विचार #Lights  क्रांति की तलवार में धार
वैचारिक पत्थर पर
रगड़ने से ही आती है

(भगत सिंह)

©sunday wali poem

#Lights

12 Love

कभी - कभी जिंदगी '1857 की क्रांति' जैसी लगती है जिसमें हो बहुत कुछ रहा है मगर संगठित कुछ भी नहीं है ©sunday wali poem

#शायरी #Sitaare  कभी - कभी जिंदगी
'1857 की क्रांति' 
जैसी लगती है
जिसमें हो बहुत कुछ 
रहा है
मगर
संगठित कुछ भी नहीं है

©sunday wali poem

#Sitaare

15 Love

#शायरी #DryTree  मैं देख रहा हूँ
झरी फूल से पँखुरी
मैं देख रहा हूँ अपने को ही झरते
मैं  चुप हूँ
वह मेरे भीतर वसंत गाता है

(अज्ञेय)

©sunday wali poem

#DryTree

46 View

जो भी विचार स्वयं के विरुद्ध जाता है वह स्वयं को ही चाटना शुरु कर देता है (दूधनाथ सिंह) ©sunday wali poem

#विचार #adventure  जो भी विचार 
स्वयं के विरुद्ध
जाता है
वह स्वयं को ही
चाटना शुरु कर देता है

(दूधनाथ सिंह)

©sunday wali poem

#adventure

11 Love

तेरे विचार के तार अधिक जितना चढ़ सके चढ़ाता चल पथ और नया खुल सकता है आगे को पांव बढ़ाता चल (रामधारी सिंह दिनकर) ©sunday wali poem

#विचार #cycle  तेरे विचार के तार अधिक
जितना चढ़ सके चढ़ाता चल
पथ और नया खुल सकता है
आगे को पांव बढ़ाता चल

(रामधारी सिंह दिनकर)

©sunday wali poem

#cycle

10 Love

जो कभी रो नहीं सकता वो कभी प्रेम भी नहीं कर सकता रूदन और प्रेम दोनों एक ही स्रोत से निकलते हैं (प्रेमचंद) ©sunday wali poem

#विचार #Tuaurmain  जो कभी रो नहीं सकता 
वो कभी प्रेम भी नहीं कर सकता
रूदन और प्रेम
दोनों एक ही स्रोत से निकलते हैं

(प्रेमचंद)

©sunday wali poem

#Tuaurmain

15 Love

Trending Topic